Thursday, May 27, 2010

कॉमनवेल्थ गेम्स में साहित्य का तड़का

नई दिल्ली। यदि भाषा वाध्यता के चलते आपने नाईजिरियाई सिमांडा अडिची की ‘द थिंग अराउंड योर नेक’, घाना की लेखिका आयशा हारूना अट्टा की ‘हरमैटन रेन’, सामोवा के लेखक अल्बर्ट वेंडि्ट की ‘द एडवेंचर ऑफ वेला’ के पढ़ने का आनंद नही ले पाए हैं तो अब परेशान होने की जरूरत नही है। आपकी इस समस्या का समाधान करने के लिए हिन्दी अकादमी सामने आयी है। अकादमी कॉमनवेल्थ देशों के साहित्यकारों व उनकी रचनाओं को हिन्दी में प्रकाशित करने की तैयारियों में जुट गयी है। इस योजना के पीछे अकादमी का उद्देश्य सभी सदस्य देशों को साहित्यिक रूप से एक दूसरे के निकट लाना है। कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान हिन्दी अकादमी अपनी त्रैमासिक पत्रिका ‘इंद्रप्रस्थ भारती’ का एक विशेष अंक प्रकाशित करने वाली है। इस विशेष अंक में कॉमनवेल्थ देशों के लोकप्रिय (मैग्सेसे, बुकर, नोवेल व उन देशों के राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित) लेखकों की कृतियों व उनके साक्षात्कार हिन्दी में प्रकाशित किए जाएंगे। इसके अलावा भारतीय साहित्य व साहित्यकारों से विशेष जुड़ाव रखने व अपनी भाषा में इन्हें बढ़ावा देने वाले विदेशी रचनाकारों को भी इस अंक में शामिल किया जाएगा। अकादमी के सचिव रवीन्द्र नाथ श्रीवास्तव ने बताया कि कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान प्रकाशित होने वाले इस विशेष अंक में उन विदेशी साहित्यकारों को भी शामिल किया जाएगा जिन्होंने साहित्य के विकास में सैद्धांतिक योगदान दिया है। इसके अलावा उन साहित्यकारों को भी शामिल किया जाएगा जिन्होंने किसी सांस्कृतिक सिद्धांत का प्रतिपादन किया हो या इसमें सहयोग दिया हो। रवीन्द्र नाथ श्रीवास्तव ने कहा कि उन देशों में जहां भारतीय भाषाएं बोलचाल में तो प्रयोग की जाती है लेकिन लिपी के रूप में किसी अन्य भाषा का प्रयोग किया जाता है, उन्हें भी वास्तविक पहचान दिलाने की पहल इस पत्रिका के माध्मय से की जाएगी। पत्रिका का उद्देश्य ऐसे साहित्यकारों को ढूंढकर भारतीय भाषाओं में साहित्य रचने के लिए प्रोत्साहित करना है। उन्होंने कहा कि नोवेल पुरस्कार विजेता वीएस नायपाल के साक्षात्कार के साथ-साथ उनके जैसे अन्य साहित्यकारों को इस विशेष अंक में विशेष स्थान दिया जाएगा। इसके लिए विदेशी भाषाओं के विशेषज्ञों की टीम बनायी गयी है।