Saturday, March 5, 2011

एक्साइज डय़ूटी के विरोध में कारोबारियों का धरना-प्रदर्शन



नई दिल्ली (४/३/11)। रेडीमेड गारमेंट पर 10 फीसद एक्साइज डय़ूटी लगाने के विरोध में रेडीमेड गारमेंट से जुड़े देशभर के कारोबारियों ने शुक्रवार को जंतर-मंतर पर धरना दिया। इस दौरान राजधानी सहित दूसरे शहरों के भी व्यापारी यहां पहुंचे और अपनी आवाज बुलंद की। हजारों की संख्या में पहुंचे कारोबारियों ने सरकार को यह चेतावनी भी दी कि अगर सरकार एक्साइज डय़ूटी नहीं हटाती तो वह अपना आंदोलन इसी तरह से पूरे देश में जारी रखेंगे। इसके साथ ही उन्होंने सरकार को यह इंडस्ट्री बंद होने और उससे देश में बड़ी संख्या में बढ़ने वाले बेरोजगारों की संख्या का आइना भी दिखाया। विरोध-प्रदर्शन का आयोजन क्लोथिंग मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएमएआई) तथा इंटिमेट अपेरेल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएआई) की ओर से किया गया था। आईएएएम के एमडी राकेश ग्रोवर ने बताया कि रेडीमेड गारमेंट पर 10 फीसद एक्साइज डय़ूटी लगता है तो उत्पाद की कीमतों में 40 फीसद तक का इजाफा होगा। आईएएआई के एमडी राकेश ग्रोवर ने कहा कि पिछले एक साल में कॉटन की कीमतों में 130 फीसद की बढ़ोतरी हुई है, जिससे पहले ही कॉटन से बने उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। अब फिर रेडीमेड गारमेंट पर 10 फीसद एक्साइज डय़ूटी बढ़ाने से रूमाल से लेकर अंडर गारमेंट की कीमतें इतनी बढ़ जाएंगी कि आम आदमी को अपना तन ढंकना तक मुश्किल हो जाएगा। इसके साथ ही छोटे कारोबारियों का कारोबार पूरी तरह से चौपट हो जाएगा और इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के सामने बेरोजगारी की विकराल समस्या खड़ी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार का यह कदम इस इंडस्ट्री को चौपट करने जैसा है और विदेशी कंपनियों को देश में कारोबार फैलाने के लिए आमंत्रित करने वाला है। उन्होंने कहाकि हम किसी भी हालत में इस क्षेत्र में कार्यरत दो करोड़ लोगों के सामने भूखों मरने की नौबत नहीं आने देंगे। इसके लिए हम वित्त मंत्री से मिलेंगे और उसके बाद भी एक्साइज डय़ूटी सरकार वापस नहीं लेती है तो पूरे देश में अपना आंदोलन जारी रखेंगे। उन्होंने कहाकि इस उद्योग के बंद होने से सबसे ज्यादा बेरोजगार महिलाएं होगी। क्योंकि अंडर गारमेंट निर्माण में महिलाएं सबसे ज्यादा हैं। एक साल में 130 फीसद महंगा हुआ कॉटन आईएएआई के अनुसार पिछले तीस वर्षो से कॉटन के निर्यात पर रोक लगी हुई थी जिससे कॉटन इन तीस वर्षो में इसकी कीमतों में केवल 30 फीसद की बढ़ोतरी हुई थी लेकिन एक साल पहले जब कॉटन निर्यात करने की सरकार ने इजाजत दी तब से अब तक कॉटन की कीमतों में 130 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। आईएएआई के अनुसार इससे पहले कॉटन की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं होने से कॉटन की जगह उससे बना उत्पाद निर्यात होता था लेकिन अब कच्चा कॉटन ही निर्यात होने लगा है। इससे देश में कॉटन की कमी पैदा हुई है और इसकी कीमतों में इजाफा होता गया। सरकार किसे रेडीमेड गारमेंट मानती है जो उत्पाद डिब्बे में पैक हो और उसके ऊपर लेबल लगा हो। इसके अलावा वह रजिस्र्टड हो। देश में गारमेंट का बाजार 35-40 हजार करोड़ का है। रेडीमेट गारमेंट के काम में दो करोड़ लोग लगे हैं जिनमें से 50 फीसद हिस्सा महिलाओं का है।

सोमवार को बंद रहेंगे शोरूम

नई दिल्ली। पेंटालूंस, शापर्स स्टाप, वेस्टसाइड, लाइफस्टाइल व मदुरा गारमेंट्स सहित तमाम बड़ी परिधान कंपनियों के शोरूम सोमवार को बंद रहेंगे। इन कंपनियों ने ब्रांडेड परिधानों पर 10 फीसद उत्पाद शुल्क लगाने के सरकार के फैसले के विरोध में इस एकदिनी हड़ताल की घोषणा की। रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सीईओ कुमार राजगोपालन ने पीटीआई को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सभी बड़े रिटेलरों ने 4,000 छोटे रिटेलरों के साथ सोमवार को अपने शोरूम बंद रखने का फैसला किया है। सरकार ने आम बजट में ब्रांडेड परिधानों पर दस फीसद उत्पाद शुल्क लगाने का प्रस्ताव किया है। उन्होंने कहा कि भारत में लगभग 50,000 परिधान ब्रांड हैं जिन पर इस घोषणा का असर होगा। सोमवार को देशभर में इस तरह के लगभग 10,000 शोरूम बंद रहेंगे। राजगोपालन ने कहा कि भारत में परिधानों का सलाना कारोबार 1,00,000 करोड़ रुपए का है जिसमें से 60,000 करोड़ रुपए ब्रांडेड परिधानों से आते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार पर अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए दबाव डालने के लिए यह पहल की गई है। यूचर ग्रुप के निदेशक एवं सीईओ राकेश बियाणी ने कहा कि उत्पाद शुल्क न केवल कंपनियों के लिए, बल्कि उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ा झटका है।


कन्फेडरेशन ने भी किया विरोध

नई दिल्ली । कन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स ने सरकार द्वारा रेडीमेड गारमेंट पर एक्साइज डय़ूटी लगाने का विरोध कर रहे संगठनों का समर्थन करते हुए केन्द्र सरकार से इसे वापस लिए जाने की मांग की है। कन्फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतीया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खण्डेलवाल ने कहा कि वित्त मंत्री ने अपने बजट में 2012 से देशभर में जीएसटी लागू किए जाने की घोषणा है ऐसे में रेडीमेड गारमेंट पर एक्साइज डय़ूटी लगाया जाना सही नहीं है। खण्डेलवाल ने कहा कि इससे छोटे कारोबारियों का कारोबार पूरी तरह से चौपट हो जाएगा और देश में विदेशी कंपनियों के उत्पादों की भरमार हो जाएगी। कनफेडरेशन ने केन्द्रीय वित्त मंत्री, कपड़ा मंत्री व लोकसभा एवं राज्यसभा में विपक्ष के नेताओं को ज्ञापन भेजकर इस मामले पर अपनी चिंता जताई है।

Friday, March 4, 2011

अनचाही कॉल्स से मुक्ति के लिए दो लाख उपभोक्ताओं ने कराया रजिस्ट्रेशन


नई दिल्ली।(३/३/११) पर्सनल लोन, कार लोन, होम लोन, बीमा कराने, डिमेट एकाउंट खोलने जैसी अनचाही फोन कॉल्स से परेशान राजधानी के दो लाख से भी अधिक मोबाइल फोन उपभोक्तओं ने अभी तक ‘डू नॉट डिस्टर्ब’ सेवा के तहत अपना रजिस्ट्रेशन कराया है। रजिस्ट्रेशन के बाद भी अभी तक इन उपभोक्ताओं को अनचाही कॉल्स से पूरी तरह निजात नहीं मिली है लेकिन पहले की तुलना में अब उनके पास लोन, बीमा, एकाउंट खोलने या अन्य ऐसे कॉल्स के आने का सिलसिला कम जरूर हुआ है। ट्राई ने ऐसे अनचाही कॉल्स को पूरी तरह से बंद किये जाने के लिए एक मार्च तक का समय मोबाइल कंपनियों को दिया था, लेकिन ट्राई ने अब इसे बढ़ाकर 21 मार्च तक कर दिया है। सूत्रों के अनुसार एयरटेल, बोडाफोन, एमटीएनएल, रिलायंस, आइडिया, एयरसेल समेत अन्य मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों के उपभोक्ताओं ने ‘डू नॉट कॉल’ के लिए राष्ट्रीय नम्बर 1909 पर एसएमएस कर ऐसे फोन से छुटकारा पाने के लिए अपने रजिस्ट्रेशन कराए हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में लोगों ने इंटरनेट के माध्यम से भी अपने लैंड लाइन और मोबाइल फोन पर इस तरह के व्यवसायिक फोन र्काल्स स्वीकार न किये जाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराए हैं। सूत्रों के अनुसार एमटीएनएल के पास अब तक अनचाही फोन से निजात पाने के लिए 20-25 हजार से अधिक एसएमएस आये हैं, जबकि एयरटेल और बोडाफोन के पास आये एसएमएस की संख्या इससे दोगुने ज्यादा है। रिलांयस और आइडिया के पास भी करीब-करीब इतने ही एसएमएस आये हैं। एमटीएनएल के एक अधिकारी के अनुसार ट्राई ने अनचाही कॉल्स पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए एक मार्च तक का समय सभी मोबाइल फोन सेवा प्रदाता कंपनियों को दिया था। उसके हिसाब से हमने अपनी तैयारी भी कर ली है पर अब ट्राई ने अनचाही काल्स पर रोक लगाये जाने की समय सीमा को 21 मार्च तक बढ़ा दिया है। इसलिए उपभोक्ताओं के पास अभी ऐसे व्यवसायिक फोन काल्स जा रहें होंगे लेकिन 21 मार्च के बाद ऐसे फोन पूरी तरह से बंद हो जाएंगे। एमटीएनएल सूत्रों के अनुसार दिल्ली के उपभोक्ता सबसे ज्यादा व्यवसायिक फोन काल्स से परेशान हैं।