Saturday, December 7, 2013

अब भी जारी है तत्काल ई-टिकटों का घपला!



रेलवे की आधिकारिक वेबसाइट का हाल छह को ही फुल हो गई नौ दिसम्बर की तत्काल टिकटें रेलवे अधिकारियों का तीन दिन पहले दिलाया गया था इस ओर ध्यान
नई दिल्ली (एसएनबी)। रेलवे की वेबसाइट पर कई ट्रेनों में अब भी दो से तीन दिन बाद की तत्काल ई टिकटें बुक नजर आ रही हैं। पूर्वोत्तर की ओर से आने वाली कुछ एक ट्रेनों में यात्रा से दो से तीन दिन बाद की तत्काल टिकटें अब भी फुल शो हो रही हैं। डिब्रूगढ़ से दिल्ली के बीच चलने वाली ब्रह्मपुत्र एक्सप्रेस में तो स्लीपर और एसी थ्री की नौ दिसम्बर तक की तत्काल ई टिकटें फुल हो चुकी हैं। सीतामढ़ी से आनंद विहार के बीच चलने वाली लिच्छवी एक्सप्रेस में आठ दिसम्बर तक की तत्काल टिकटें बुक हो चुकी हैं। तत्काल ई- टिकट के घपले को लेकर तीन दिसम्बर को ‘राष्ट्रीय सहारा’ ने ‘घपला : तत्काल टिकटें तीन दिन पहले फुल’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। वेबसाइट के इस घपले की खबर आम होते ही रेलवे अधिकारियों में खलबली मच गई थी और मामला जीएम और सीसीएम तक पहुंच गया था। सूत्रों के अनुसार कुछ एक लोगों को इस पूरे मामले के बारे में पता करने को कहा गया था। यह आशंका थी कि वेबसाइट पर किसी तकनीकी गड़बड़ी की वजह से ऐसा हुआ होगा, जो ठीक हो जाएगा। लेकिन तीन दिन बाद भी रेलवे की वेबसाइट लाल किला, सीमांचल, नार्थ ईस्ट, अवध असम व लिच्छवी एक्सप्रेस में आठ दिसम्बर तक की तत्काल टिकटें फुल दिखा रही है। सूत्रों के अनुसार, अधिकारी भी मान रहे हैं कि ई-तत्काल टिकटों की बुकिंग को लेकर कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ी है, लेकिन कोई भी यह बताने को तैयार नहीं है कि गड़बड़ी कहां से हो रही है। अधिकारी तीन दिन बाद तक की तत्काल टिकटों की बुकिंग होने को गंभीर मान रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, ऐसा तभी हो सकता है, जब कोई वेबसाइट को हैक कर ले। काउंटर से तो दो और तीन दिन बाद की तत्काल टिकटों की बुकिंग करना संभव नहीं है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि रेलवे इस घपले की जांच करवाने में देरी क्यों कर रहा है। हालांकि रेलवे प्रवक्ता का कहना है कि मामले की जांच कराई जा रही है।

घपला : तत्काल टिकटें तीन दिन पहले फुल!


नई दिल्ली। तत्काल टिकट का खेल बदस्तूर जारी है। नियमों के अनुसार तत्काल टिकटों की बुकिंग एक दिन पहले होनी चाहिए, लेकिन आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर पूर्वोत्तर से आने वाली कुछ एक ट्रेनों में चार और पांच दिसम्बर तक तत्काल टिकटों की बुकिंग ‘फुल’ हो चुकी है। लिच्छवी, नार्थ-ईस्ट, सीमांचल, लालकिला आदि ट्रेनों मे चार दिसम्बर तक की तत्काल टिकटें बुक हो चुकी हैं, जबकि डिब्रूगढ़ से दिल्ली आने वाली ब्रrापुत्र एक्सप्रेस (14055) में पांच दिसम्बर तक तत्काल टिकटों की बुकिंग हो चुकी है। आईआरसीटीसी की साइट पर चार और पांच दिसम्बर तक तत्काल की सीटें फुल दिखाए जाने के बारे में जब आईआरसीटीसी के प्रवक्ता प्रदीप कुंडू से बात की गई तो पहले तो यह मानने को ही तैयार नहीं थे कि तीन दिसम्बर के बाद तत्काल की सीटें फुल शो कर रही होगी, लेकिन जब उन ट्रेनों के नाम बताए जिनकी तत्काल सीटें साइट पर फुल शो हो रही थीं तो उन्होंने यह कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया कि रेलवे की ओर से जो हमें डाटा मिलता है वही आईआरसीटीसी की साइट पर दिखाई देता है। उन्होंने कहा कि इसके बारे में ज्यादा जानकारी रेल अधिकारी ही दे सकते हैं। जब हमने उत्तर रेलवे के सीपीआरओ नीरज शर्मा से बात की तो वे भी यह मानने को तैयार नहीं थे कि आईआरसीटीसी की साइट पर तत्काल श्रेणी की सीटें चार और पांच दिसम्बर तक फुल होंगी। उन्होंने मामले की जांच कराने की बात कही। ये माजरा क्या है? सोमवार (2 दिसम्बर) को आईआरसीटीसी के माध्यम से पटना से दिल्ली के लिए ब्रrापुत्र एक्सप्रेस ट्रेन से तत्काल टिकट बुक कराने की कोशिश की गई तो उसमें तीन, चार और पांच दिसम्बर तक स्लीपर क्लास की सभी तत्काल सीटें फुल थीं, जबकि एसी थ्री की चार दिसम्बर तक की सीटें फुल शो हो रही हैं। इसी तरह पटना से होकर आने वाली नार्थ-ईस्ट (12505), सीमांचल एक्सप्रेस (12487), लालकिला (13111) आदि में चार दिसम्बर तक की तत्काल की सीटें फुल शो हो रही हैं। लिच्छवी एक्सप्रेस (14005) और अवध असम एक्सप्रेस में चार दिसम्बर तक साइट पर तत्काल की सीटें फुल शो हो रही हैं।
ब्रrापुत्र एक्सप्रेस में पांच और लालकिला, नार्थ- ईस्ट, सीमांचल, अवध असम व लिच्छवी एक्सप्रेस में चार दिसम्बर तक की तत्काल टिकटें हैं फुल आईआरसीटीसी व उत्तर रेलवे के प्रवक्ताओं ने दिए गोलमोल जवाब नियमत: यात्रा से एक दिन पहले ही हो सकती है तत्काल टिकटों की बुकिंग

Monday, August 5, 2013


नई दिल्ली। शनिवार (27 / 3 /13 )की देर शाम जिस वक्त दिल्ली बारिश की फुहारों में भीग रही थी, ठीक उसी वक्त पूर्वा सांस्कृतिक केन्द्र के सभागार में बैठे दर्शक नृत्य व गीत-संगीत की स्वर लहरियों पर मदहोश हुए जा रहे थे। सांस्कृतिक संस्था नृत्यांजलि द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘नृत्य रागा’ में नन्हे कलाकारों ने लोक नृत्य संगीत का ऐसा समां बांधा की सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। कार्यक्रम का संचालन दो नन्हे कलाकारों अमृत कुमार व रिया श्रीवास्तव ने किया। सावन की सुहानी शाम की शुरुआत भरतनाट्यम से हुई। महक गोगिया, श्रेया अग्रवाल, ईशा, कृतिका, मानसी, सोनिया, चेष्ठा, अनन्या और आयुषी ने समूह नृत्य ˜मल्लार  पेश कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके बाद गॉड जीसस को समर्पित तेलगु कीर्तन को बेहद ही खूबसूरती के साथ आकृति, रिया, मुस्कान व प्राची ने पेश किया। घंटे भर से ज्यादा समय तक चले संगीत के इस कार्यक्रम के दौरान अन्य कलाकारों ने कालबेलिया नृत्य, गरबा और भंगड़ा पेश किया। सबसे आखिर में बच्चों ने वेस्टर्न डांस पर दर्शकों को थिरकने के लिए मजबूर कर दिया। नृत्य संगीत के इस कार्यक्रम का संचालन दो नन्हे कलाकारों अमृत और रिया ने जिस तरह किया, उसे देखकर कोई भी सहज में यह विश्वास नहीं कर पा रहा था कि इतने छोटे बच्चे भी इस तरह कार्यक्रम का संचालन कर सकते हैं। उनका आत्मविश्वास देखते ही बन रहा था। कार्यक्रम के अंत में संस्था की निदेशिका विल्खा गोगिया ने सभी कलाकारों को प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया। कलाकारों में अभिलाषा, तनिषा, आरती, श्रेया, ऋतिका, कशिश, नाव्या, देवांशी, सिया, छवि आदि शामिल रहीं।

नृत्य रागा कार्यक्रम में नन्हे कलाकारों ने बांधा समां



नई दिल्ली शनिवार (२७/३/१३)  की देर शाम जिस वक्त दिल्ली बारिश की फुहारों में भीग रही थी, ठीक उसी वक्त पूर्वा सांस्कृतिक केन्द्र के सभागार में बैठे दर्शक नृत्य व गीत-संगीत की स्वर लहरियों पर मदहोश हुए जा रहे थे। सांस्कृतिक संस्था नृत्यांजलि द्वारा आयोजित कार्यक्रम नृत्य रागा में नन्हे कलाकारों ने लोक नृत्य संगीत का ऐसा समां बांधा की सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। कार्यक्रम का संचालन दो नन्हे कलाकारों अमृत कुमार व रिया श्रीवास्तव ने किया। सावन की सुहानी शाम की शुरुआत भरतनाट्यम से हुई। महक गोगिया, श्रेया अग्रवाल, ईशा, कृतिका, मानसी, सोनिया, चेष्ठा, अनन्या और आयुषी ने समूह नृत्य मल्लारी पेश कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके बाद गॉड जीसस को समर्पित तेलगु कीर्तन को बेहद ही खूबसूरती के साथ आकृति, रिया, मुस्कान व प्राची ने पेश किया। घंटे भर से ज्यादा समय तक चले संगीत के इस कार्यक्रम के दौरान अन्य कलाकारों ने कालबेलिया नृत्य, गरबा और भंगड़ा पेश किया। सबसे आखिर में बच्चों ने वेस्टर्न डांस पर दर्शकों को थिरकने के लिए मजबूर कर दिया। नृत्य संगीत के इस कार्यक्रम का संचालन दो नन्हे कलाकारों अमृत और रिया ने जिस तरह किया, उसे देखकर कोई भी सहज में यह विश्वास नहीं कर पा रहा था कि इतने छोटे बच्चे भी इस तरह कार्यक्रम का संचालन कर सकते हैं। उनका आत्मविश्वास देखते ही बन रहा था। कार्यक्रम के अंत में संस्था की निदेशिका विल्खा गोगिया ने सभी कलाकारों को प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया। कलाकारों में अभिलाषा, तनिषा, आरती, श्रेया, ऋतिका, कशिश, नाव्या, देवांशी, सिया, छवि आदि शामिल रहीं।

ललित कला अकादमी से मांगा 75 लाख मुआवजा


 नई दिल्ली। न्यूयार्क में रहने वाली भारतीय मूल की महिला कलाकार जरीना हाशमी के आर्ट वर्क (ब्लाइंडिंग लाइट) को नुकसान पहुंचाने के ऐवज में न्यूयार्क की आर्ट गैलरी ‘लुहरिन अगस्टीन’ ने ललित कला अकादमी से सवा लाख यूएस डालर (लगभग 75 लाख रुपए) क्षतिपूर्ति की मांग की है। जरीना हाशमी भी आर्ट वर्क को नुकसान पहुंचाए जाने को लेकर अकादमी से खासी नाराज हैं। दो वर्ष पहले वेनिस (फ्रांस) में आयोजित 54वीं अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी में पहली बार अलग से भारतीय पवेलियन लगाया गया था। इस पवेलियन के लिए आर्ट वर्क के चयन की जिम्मेदारी रणजीत होस्कोटे को मौजूदा अकादमी प्रशासन ने सौंपी थी। होस्कोटे ने चार भारतीय कलाकारों का चयन किया था। इनमें जरीना हाशमी (भारत में जन्मी और अब न्यूयार्क में रहकर काम करती हैं), प्रनीत सोई (कोलकाता में जन्मे और अब एमस्टरडम में रहते हैं), जीजी सकारिया (दिल्ली) व सोनल जैन शामिल थे। सूत्रों के अनुसार अकादमी को जरीना हाशमी की कृति न्यूयार्क की आर्ट गैलरी लुहरिन अगस्टीन ने मुहैया कराई थी। इस प्रदर्शनी में हाशमी की दो कृतियों को शामिल किया गया था। इनमें एक ब्लाइंडिंग लाइट व दूसरी ‘होम इज ए फॉरेन प्लेस’ थीं। लुहरिन अगस्टीन ने अकादमी को कृतियां देते वक्त इनका सवा लाख यूएस डालर का इंश्योरेंस करवाया था। साथ ही जरीना हाशमी ने यह शर्त भी रखी थी कि अगर किसी भी तरह से यह कृतियां क्षतिग्रस्त होती हैं, तो इसकी सूचना तत्काल उन्हें दी जाए और बगैर पूर्व अनुमति के दोनों कृतियों के साथ छेड़छाड़ न की जाए, लेकिन हुआ ठीक इसके उलट। न केवल कृति ब्लाइंडिंग लाइट को बुरी तरह से क्षतिग्रस्त किया गया, बल्कि इसकी जानकारी न तो कलाकार को दी गई और न ही उस गैलरी को जिसने यह कृति अकादमी को दी थी। अब लुहरिन अगस्टीन गैलरी ने अकादमी को पत्र लिखकर कहा है कि उसे इस कृति का इंश्योरेंस मूल्य सवा लाख यूएस डालर दिया जाए। इसके लिए गैलरी ने अकादमी के साथ हुए समझौते का हवाला दिया है। इस बारे में अकादमी के प्रभारी सचिव रामकृष्ण बेदाला का कहना है कि तत्कालीन सचिव ने इन पेंटिंग्स को सुरक्षित लाने के लिए असिस्टेंट सचिव डीएस यादव को भेजा था। उनकी ही गलती से हाशमी की कृति को क्षति पहुंची और उन्होंने इसकी जानकारी न तो अकादमी को दी और न ही कलाकार व गैलरी को। इस मामले में हमने डीएस यादव को 22 अप्रैल 2013 को एक मेमोरेंडम जारी कर उनसे जवाब मांगा था। हालांकि डीएस यादव अब रिटार्यड हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि हमने इस पूरे मामले को गंभीरता से लिया है। गैलरी के साथ मुआवजे को लेकर बातचीत चल रही है।

Wednesday, July 10, 2013


राष्ट्रपिता पर भारतीय भाषाओं में लिखी रचनाएं होंगी प्रकाशित


 नई दिल्ली। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे में विभिन्न भारतीय भाषाओं में बहुत कुछ लिखा गया है, जिनमें बहुत सी रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं पर अभी भी ढेर सारी ऐसी रचनाएं हैं, जिनका प्रकाशन होना है। प्रकाशित और अप्रकाशित रचनाओं, लेख और अखबारों की कतरनों को साहित्य अकादमी किताब के रूप में प्रकाशित करेगा। इसके लिए अकादमी ने ˜महात्मा गांधी पर लिखित रचनाओं के संकलन की परियोजना शुरू की है। हिंदी भाषा में करीब चार खंडों में प्रकाशित होने वाली इस किताब का संपादन वरिष्ठ आलोचक व साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी करेंगे। सूत्रों के अनुसार साहित्य अकादमी ने महात्मा गांधी की रचनाओं के संकलन की जो परियोजना तैयार की है, उसमें सभी 24 भारतीय भाषाओं में लिखित रचनाओं को शामिल किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार संकलन में शामिल किए जाने के लिए रचनाओं को चिन्हित करने के लिए अभी तक छह भारतीय भाषाओं के संयोजकों का चयन किया जा चुका है। हर भाषा का संयोजक उस भाषा में लिखित रचनाओं का चयन करेगा, जिसका बाद में हिन्दी में अनुदित कर पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जाएगा। डोगरी भाषा में महात्मा गांधी के ऊपर क्या कुछ लिखा गया, उसे एकत्र करने की जिम्मेदारी ललित मंगोत्रा को दी गई है। इसी तरह अंग्रेजी के लिए आलोक भल्ला, राजस्थानी के लिए चन्द्रप्रकाश देवल, हिन्दी के लिए माधव कौशिक, मैथिली के लिए रत्नेश्वर मिश्र और संथाली के लिए छोटे राम माझी को रचनाओं के चयन की जिम्मेदारी दी गई है। अन्य भारतीय भाषाओं में गांधी पर रचनाओं को तलाशने के लिए विद्वानों का चयन इसी महीने होने वाली बैठक में किए जाने की संभावना है। अकादमी सूत्रों के अनुसार पुस्तक के पहले खंड को जल्द से जल्द प्रकाशित किए जाने की योजना है।

Monday, April 22, 2013

Rashtriya Sahara. 21/4/13



पुलिस और सरकार के रवैये से सामाजिक संगठन नाराज


नई दिल्ली (एसएनबी)। गुड़िया के साथ हुए दुष्कर्म की घटना को सामाजिक संगठनों में भारी गुस्सा है। महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों का मानना है कि सरकार और पुलिस का व्यवहार गैर जिम्मेदाराना हो गया है। 


गुड़िया मामले पर सेंन्ट्रर फोर सोशल रिसर्च (सीएसआर) की निदेशक डा. रंजना कुमारी मानना है कि जिस तरह से पुलिस पीड़ित पिता को घूस देकर पूरे मामले पर पर्दा डालने की कोशिश की है वह पूरे पुलिस महकमें के चरित्र को उजागर करता है। उससे भी ज्यादा राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष द्वारा गैर जिम्मेदाराना बनाया देना कि ‘आज रामनवमी का दिन है हम कल कार्रवाई करेंगे। यह तो हद हो गई। 



Rashtriya Sahara. 21/4/13


Rashtriya Sahara 22/4/13


Rashtriya Sahara- 22/4/13


इंसाफ न मिला तो बन जाऊंगी आतंकवादी
 नई दिल्ली। इंसाफ की मांग को लेकर पिछले सौ दिनों से जंतर-मंतर पर बैठी राष्ट्रीय स्तर की बालीबॉल खिलाड़ी ने रविवार को कहा कि अगर अब न्याय नहीं मिला तो वह आतंकवादी बन जाएगी, और इसकी जिम्मेदार सरकार होगी। उन्होंने कहा कि सरकार पीड़िता को न्याय दिलाने के बजाय आरोपी को संरक्षण देती है। कानूनी दावपेंच में मामले को लंबा खींचा जाता है। ऐसे में मेरे सामने आतंकवादी बनने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। पंजाब की यह महिला प्रदेश स्तर की खिलाड़ी हर चुकी है। ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट के तौर पर वह दूसरों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ती रही हैं। वह पैरामेडिकल छात्रा से गैंगरेप की घटना के बाद न्याय की आस लिए राजधानी के जंतर मंतर पहुंची थी और यहां पर 12 जनवरी से सात फरवरी तक भूख हड़ताल पर बैठी थी। तब हालत खराब होने के बाद भूख हड़ताल समाप्त कर दी, लेकिन अभी तक यही पर डटी हुई हैं। इन सौ दिनों में रात के अंधेरे में पुलिस के चेहरे और चरित्र को नजदीक से देखने वाली यह खिलाड़ी कहती है कि रात के सन्नाटे में पुलिसवालों की बातचीत को सुन कर दिल दहल जाता है। लगता है जैसे उनके अंदर मानवता जैसी कोई चीज ही नहीं बची है। पिछले दिनों पांच वर्पीय बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म की घटना से वह काफी परेशान हैं। वह कहती हैं कि पैरामेडिकल छात्रा से गैंगरेप की घटना के बाद लगा था कि सरकार और पुलिस की सोच में बदलाव आयेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अब महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए खुद ही पहल करनी होगी। उन्होंने पंजाब कै डर के एक आईपीएस अधिकारी पर जबरन शारीरिक संबंध बनाने और मारपीट का आरोप लगाते हुए कहा कि इस घटना हो गुजरे चार वर्ष होने को आ रहे हैं पर अभी तक न्याय नही मिला है। राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री तक से गुहार लगा चुकी हूं। पिछले सप्ताह यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने गयी थी। लेकिन अभी तक कहीं से भी न्याय मिलता हुआ नहीं दिख रहा है। ऐसे में अब मैं इतनी ज्यादा मायूस हो चुकी हूं कि मेरे सामने एक ही रास्ता बचा है आतंकवादी  बनने का। उन्होंने कहा कि अगर सरकार और पुलिस का रवैया ऐसे ही रहा तो आने वाले समय में रेप की शिकार महिलाएं न्याय के लिए पुलिस और कानून के पास जाने के बजाए खुद ही बदूंक उठाने को मजबूर होंगी।
रेप की शिकार महिलाओं को न्याय पाने के लिए अब खुद उठानी होगी बंदूक न्याय की आस लिए सौ दिनों से जंतर-मंतर पर बैठी है पीड़िता

दुष्कर्मी को मानसिक रोगी कहना गलत : डॉक्टर
नई दिल्ली । पांच वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी को मानसिक रोगी बताए जाने को कुछ डॉक्टर गलत मान रहे हैं। उनके अनुसार इस तरह के वीभत्स कृत्य को अंजाम देने वाला व्यक्ति बीमार नहीं हो सकता। अगर कोई मानसिक रूप से बीमार होगा तो उसका असर उसके पूरे व्यक्तित्व पर देखने को मिलेगा। ऐसे व्यक्ति की पहचान आसान है, लेकिन पांच वर्षीय बच्ची के साथ जिस तरह से दुष्कर्म किया गया है, उसे कोई विकृत मानसिकता वाला व्यक्ति ही अंजाम दे सकता है। डॉक्टर्स ऐसे लोगों के लिए मेडिकल शब्द ‘पाराफिलियस’ का इस्तेमाल करते हैं। इसके साथ ही एक और शब्द ‘सेडिज्म’ का इस्तेमाल किया जाता है। इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट सायकायट्रिस्ट के पूर्व अध्यक्ष डा. अवधेश शर्मा ऐसे लोगों को मानसिक रोगी मानने को कतई तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को मानसिक रोगी कहकर सजा में नरमी की मांग की जाती है। जबकि हकीकत यह है कि ऐसे कृत्य को अंजाम देने वाले मानसिक विकृति के शिकार होते हैं। हम लोग ऐसे लोगों को मेडिकल भाषा में पाराफिलियस कहते हैं। इस तरह के विकृत मानसिकता वाले लोग दूसरों की भावनाओं के प्रति असंवेदनहीन होते हैं। उन्हें दूसरों को दुख पहुंचाने में मजा आता है। ऐसे लोग इतने वीभत्स तरीके से सेक्सुअल रिलेशन बनाते हैं कि सामने वाले को ज्यादा से ज्यादा पीड़ा हो। ऐसे में जब शराब या अन्य कोई दूसरी चीज जैसे अश्लील फोटो, फिल्म या पुस्तक मिल जाए, तो उससे जो कुछ भी वह ग्रहण करते हैं, उससे भी ज्यादा वीभत्स तरीके से ये लोग शारीरिक संबंध बनाते है। शर्मा के अनुसार, ऐसे ही लोग मुख मैथुन जैसे कृत्य को अंजाम देते हैं। सफदरजंग अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक प्रो. यतीश अग्रवाल भी ऐसे लोगों को मानसिक रूप से बीमार नहीं मानते हैं। वह कहते हैं कि मानसिक विकृति का इलाज है, लेकिन ऐसे लोगों की पहचान नहीं हो पाती, क्योंकि हाव भाव या चेहरे से विकृत मानसिकता का पता नहीं चलता। शर्मा ने ऐसे लोगों की पहचान के लिए कुछ संकेत बताए हैं, लेकिन उन पर पूरी तरह से भरोसा नहीं किया जा सकता। मानसिक रोगी नहीं, मानसिक विकृति वाले लोग करते हैं ऐसे कृत्य ऐसे लोगों पहचानना मुश्किलक्ष्/

विकृत मानसिकता वालों के लक्षण अपोजिट सेक्स वालों के साथ अकेले रहने की कोशिश करना, मौके तलाशना या फिर ऐसे हालात पैदा करना जिससे कि एकांत मिले बगैर किसी कारण के शरीर को ‘टच’
करना, कपड़े की तारीफ करते हुए शरीर को टच करने की कोशिश करना। अश्लील कमेंट करना। कोई बच्चा अगर किसी से कटा-कटा सहमा हुआ रहे, तो ऐसे लोगों से सतर्क हो जाना चाहिए। ऐसे लोग भी मानसिक विकृति वाले हो सकते हैं।

कैसे पैदा होते हैं विकृत मानसिकता वाले लोग यौन हिंसा के शिकार बच्चे भी बड़े होकर ऐसे कृत्य को अंजाम देते हैं। उन्हें लगता है कि वह ऐसा करके अपने साथ हुए कृत्य का बदला ले रहे हैं। दूसरों के द्वारा बार-बार यह कहते सुना जाना कि स्त्री तो सिर्फ सेक्स के लिए होती है। अश्लील फि ल्में देखना, अश्लील पुस्तकें पढ़ना या फिर दोस्तों से शारीरिक संबंध बनाए जाने के बारे में जानना। जिनके माता-पिता ज्यादा हिंसक होते हैं। जिनके घर का माहौल गाली-गलौज वाला होता है। बात-बात में लोग एक दूसरे से लड़ने-झगड़ने पर उतारू हो जाते हैं। जिन घरों में महिलाओं को इज्जत नहीं दी जाती।

जब खुद चाहेंगे तभी उपचार संभव ऐसे लोगों का इलाज तभी हो सकता है, जब वह खुद चाहेंगे। ऐसे लोग, जहां काम करते हैं, वहां भी लोगों को शर्मिदगी का शिकार होना पड़ता है। यह शर्मिदगी उस वक्त होती है, जब वह किसी महिला को टच करने की कोशिश करते हैं या एकांत में कमेंट करते हैं। जिन लोगों को अपोजिट सेक्स वाले के साथ एकांत में मिलने की उत्तेजना महसूस हो। उन्हें लगे कि वह सामने वाली महिला के साथ कुछ भी कर सकता है और वह कुछ नहीं कहेंगी, तो तुरंत उसे मनोरोग विशेषज्ञ के पास जाना चाहिए। ऐसे लोगों का इलाज दवा से नहीं हो सकता है। मनोरोग विशेषज्ञ उन्हें कुछ टिप्स बताते हैं, जिनमें अश्लील चीजों को न देखने, किसी महिला के साथ अकेले न रहने आदि की हिदायत दी जाती है।