Monday, April 22, 2013

Rashtriya Sahara. 21/4/13



पुलिस और सरकार के रवैये से सामाजिक संगठन नाराज


नई दिल्ली (एसएनबी)। गुड़िया के साथ हुए दुष्कर्म की घटना को सामाजिक संगठनों में भारी गुस्सा है। महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों का मानना है कि सरकार और पुलिस का व्यवहार गैर जिम्मेदाराना हो गया है। 


गुड़िया मामले पर सेंन्ट्रर फोर सोशल रिसर्च (सीएसआर) की निदेशक डा. रंजना कुमारी मानना है कि जिस तरह से पुलिस पीड़ित पिता को घूस देकर पूरे मामले पर पर्दा डालने की कोशिश की है वह पूरे पुलिस महकमें के चरित्र को उजागर करता है। उससे भी ज्यादा राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष द्वारा गैर जिम्मेदाराना बनाया देना कि ‘आज रामनवमी का दिन है हम कल कार्रवाई करेंगे। यह तो हद हो गई। 



Rashtriya Sahara. 21/4/13


Rashtriya Sahara 22/4/13


Rashtriya Sahara- 22/4/13


इंसाफ न मिला तो बन जाऊंगी आतंकवादी
 नई दिल्ली। इंसाफ की मांग को लेकर पिछले सौ दिनों से जंतर-मंतर पर बैठी राष्ट्रीय स्तर की बालीबॉल खिलाड़ी ने रविवार को कहा कि अगर अब न्याय नहीं मिला तो वह आतंकवादी बन जाएगी, और इसकी जिम्मेदार सरकार होगी। उन्होंने कहा कि सरकार पीड़िता को न्याय दिलाने के बजाय आरोपी को संरक्षण देती है। कानूनी दावपेंच में मामले को लंबा खींचा जाता है। ऐसे में मेरे सामने आतंकवादी बनने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। पंजाब की यह महिला प्रदेश स्तर की खिलाड़ी हर चुकी है। ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट के तौर पर वह दूसरों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ती रही हैं। वह पैरामेडिकल छात्रा से गैंगरेप की घटना के बाद न्याय की आस लिए राजधानी के जंतर मंतर पहुंची थी और यहां पर 12 जनवरी से सात फरवरी तक भूख हड़ताल पर बैठी थी। तब हालत खराब होने के बाद भूख हड़ताल समाप्त कर दी, लेकिन अभी तक यही पर डटी हुई हैं। इन सौ दिनों में रात के अंधेरे में पुलिस के चेहरे और चरित्र को नजदीक से देखने वाली यह खिलाड़ी कहती है कि रात के सन्नाटे में पुलिसवालों की बातचीत को सुन कर दिल दहल जाता है। लगता है जैसे उनके अंदर मानवता जैसी कोई चीज ही नहीं बची है। पिछले दिनों पांच वर्पीय बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म की घटना से वह काफी परेशान हैं। वह कहती हैं कि पैरामेडिकल छात्रा से गैंगरेप की घटना के बाद लगा था कि सरकार और पुलिस की सोच में बदलाव आयेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अब महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए खुद ही पहल करनी होगी। उन्होंने पंजाब कै डर के एक आईपीएस अधिकारी पर जबरन शारीरिक संबंध बनाने और मारपीट का आरोप लगाते हुए कहा कि इस घटना हो गुजरे चार वर्ष होने को आ रहे हैं पर अभी तक न्याय नही मिला है। राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री तक से गुहार लगा चुकी हूं। पिछले सप्ताह यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने गयी थी। लेकिन अभी तक कहीं से भी न्याय मिलता हुआ नहीं दिख रहा है। ऐसे में अब मैं इतनी ज्यादा मायूस हो चुकी हूं कि मेरे सामने एक ही रास्ता बचा है आतंकवादी  बनने का। उन्होंने कहा कि अगर सरकार और पुलिस का रवैया ऐसे ही रहा तो आने वाले समय में रेप की शिकार महिलाएं न्याय के लिए पुलिस और कानून के पास जाने के बजाए खुद ही बदूंक उठाने को मजबूर होंगी।
रेप की शिकार महिलाओं को न्याय पाने के लिए अब खुद उठानी होगी बंदूक न्याय की आस लिए सौ दिनों से जंतर-मंतर पर बैठी है पीड़िता

दुष्कर्मी को मानसिक रोगी कहना गलत : डॉक्टर
नई दिल्ली । पांच वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी को मानसिक रोगी बताए जाने को कुछ डॉक्टर गलत मान रहे हैं। उनके अनुसार इस तरह के वीभत्स कृत्य को अंजाम देने वाला व्यक्ति बीमार नहीं हो सकता। अगर कोई मानसिक रूप से बीमार होगा तो उसका असर उसके पूरे व्यक्तित्व पर देखने को मिलेगा। ऐसे व्यक्ति की पहचान आसान है, लेकिन पांच वर्षीय बच्ची के साथ जिस तरह से दुष्कर्म किया गया है, उसे कोई विकृत मानसिकता वाला व्यक्ति ही अंजाम दे सकता है। डॉक्टर्स ऐसे लोगों के लिए मेडिकल शब्द ‘पाराफिलियस’ का इस्तेमाल करते हैं। इसके साथ ही एक और शब्द ‘सेडिज्म’ का इस्तेमाल किया जाता है। इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट सायकायट्रिस्ट के पूर्व अध्यक्ष डा. अवधेश शर्मा ऐसे लोगों को मानसिक रोगी मानने को कतई तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को मानसिक रोगी कहकर सजा में नरमी की मांग की जाती है। जबकि हकीकत यह है कि ऐसे कृत्य को अंजाम देने वाले मानसिक विकृति के शिकार होते हैं। हम लोग ऐसे लोगों को मेडिकल भाषा में पाराफिलियस कहते हैं। इस तरह के विकृत मानसिकता वाले लोग दूसरों की भावनाओं के प्रति असंवेदनहीन होते हैं। उन्हें दूसरों को दुख पहुंचाने में मजा आता है। ऐसे लोग इतने वीभत्स तरीके से सेक्सुअल रिलेशन बनाते हैं कि सामने वाले को ज्यादा से ज्यादा पीड़ा हो। ऐसे में जब शराब या अन्य कोई दूसरी चीज जैसे अश्लील फोटो, फिल्म या पुस्तक मिल जाए, तो उससे जो कुछ भी वह ग्रहण करते हैं, उससे भी ज्यादा वीभत्स तरीके से ये लोग शारीरिक संबंध बनाते है। शर्मा के अनुसार, ऐसे ही लोग मुख मैथुन जैसे कृत्य को अंजाम देते हैं। सफदरजंग अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक प्रो. यतीश अग्रवाल भी ऐसे लोगों को मानसिक रूप से बीमार नहीं मानते हैं। वह कहते हैं कि मानसिक विकृति का इलाज है, लेकिन ऐसे लोगों की पहचान नहीं हो पाती, क्योंकि हाव भाव या चेहरे से विकृत मानसिकता का पता नहीं चलता। शर्मा ने ऐसे लोगों की पहचान के लिए कुछ संकेत बताए हैं, लेकिन उन पर पूरी तरह से भरोसा नहीं किया जा सकता। मानसिक रोगी नहीं, मानसिक विकृति वाले लोग करते हैं ऐसे कृत्य ऐसे लोगों पहचानना मुश्किलक्ष्/

विकृत मानसिकता वालों के लक्षण अपोजिट सेक्स वालों के साथ अकेले रहने की कोशिश करना, मौके तलाशना या फिर ऐसे हालात पैदा करना जिससे कि एकांत मिले बगैर किसी कारण के शरीर को ‘टच’
करना, कपड़े की तारीफ करते हुए शरीर को टच करने की कोशिश करना। अश्लील कमेंट करना। कोई बच्चा अगर किसी से कटा-कटा सहमा हुआ रहे, तो ऐसे लोगों से सतर्क हो जाना चाहिए। ऐसे लोग भी मानसिक विकृति वाले हो सकते हैं।

कैसे पैदा होते हैं विकृत मानसिकता वाले लोग यौन हिंसा के शिकार बच्चे भी बड़े होकर ऐसे कृत्य को अंजाम देते हैं। उन्हें लगता है कि वह ऐसा करके अपने साथ हुए कृत्य का बदला ले रहे हैं। दूसरों के द्वारा बार-बार यह कहते सुना जाना कि स्त्री तो सिर्फ सेक्स के लिए होती है। अश्लील फि ल्में देखना, अश्लील पुस्तकें पढ़ना या फिर दोस्तों से शारीरिक संबंध बनाए जाने के बारे में जानना। जिनके माता-पिता ज्यादा हिंसक होते हैं। जिनके घर का माहौल गाली-गलौज वाला होता है। बात-बात में लोग एक दूसरे से लड़ने-झगड़ने पर उतारू हो जाते हैं। जिन घरों में महिलाओं को इज्जत नहीं दी जाती।

जब खुद चाहेंगे तभी उपचार संभव ऐसे लोगों का इलाज तभी हो सकता है, जब वह खुद चाहेंगे। ऐसे लोग, जहां काम करते हैं, वहां भी लोगों को शर्मिदगी का शिकार होना पड़ता है। यह शर्मिदगी उस वक्त होती है, जब वह किसी महिला को टच करने की कोशिश करते हैं या एकांत में कमेंट करते हैं। जिन लोगों को अपोजिट सेक्स वाले के साथ एकांत में मिलने की उत्तेजना महसूस हो। उन्हें लगे कि वह सामने वाली महिला के साथ कुछ भी कर सकता है और वह कुछ नहीं कहेंगी, तो तुरंत उसे मनोरोग विशेषज्ञ के पास जाना चाहिए। ऐसे लोगों का इलाज दवा से नहीं हो सकता है। मनोरोग विशेषज्ञ उन्हें कुछ टिप्स बताते हैं, जिनमें अश्लील चीजों को न देखने, किसी महिला के साथ अकेले न रहने आदि की हिदायत दी जाती है।