tag:blogger.com,1999:blog-45181981625760894462024-03-12T16:31:43.941-07:00खबरी कलमamit kumarhttp://www.blogger.com/profile/13031613113379009188noreply@blogger.comBlogger81125tag:blogger.com,1999:blog-4518198162576089446.post-19458481263970604482020-03-26T22:17:00.000-07:002020-03-26T22:17:31.362-07:00कोरोना महामारी है या चीन की चाल कॉपी पेस्ट
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वुहान से निकला वायरस पूरी दुनिया में पहुँच गया पर बीजिंग, शंघाई और पड़ोसी देश उत्तर कोरिया के साथ साथ रूस तक नहीं पहुंचा। दुनिया में बड़े बड़े लोगो को कोरोना हो चूका है, हॉलीवुड स्टार, ऑस्ट्रेलिया के गृह मंत्री, ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री, स्पेन के प्रधानमत्री की पत्नी और अब तो ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स को भी कोरोना हो चूका है, पर चीन में एक भी नेता, एक भी मिलिट्री कमांडर को कोरोना ने टच भी नहीं किया है।
कोरोना वायरस ने दुनिया भर में इकॉनमी को बर्बाद कर दिया है, हजारों की जान जा चुकी है, लाखों को ये बीमारी हो चुकी है और अनगिनत लोग घरों में बंद कर दिए गए है, कई देशों में लॉक डाउन हो चूका है जिसमे भारत भी एक है।
कोरोना वायरस चीन के वुहान शहर से निकला है, और अब ये दुनिया के कोने - कोने में पहुँच चूका है, पर ये वायरस वुहान के ही पास चीन की राजधानी बीजिंग और आर्थिक राजधानी शंघाई तक नहीं पहुंचा, क्यों..?
आज पेरिस बंद है, न्यू यॉर्क बंद है, बर्लिन बंद है, रोम बंद है, दिल्ली बंद है, मुंबई बंद है, टोक्यो बंद है, दुनिया के प्रमुख आर्थिक और राजनतिक केंद्र बंद है, पर बीजिंग और शंघाई खुले हुए है। वहां कोरोना ने कोई असर ही नहीं दिखाया, गिने चुने केस सामने आये पर एक तरह से बीजिंग और शंघाई पर कोरोना का कोई असर ही नहीं हुआ।
बीजिंग वो शहर है जहाँ चीन के सभी नेता रहते है, यहाँ मिलिट्री लीडर रहते है, चीन की सत्ता को चलाने वाले यहाँ रहते है, बीजिंग में कोई लॉक डाउन नहीं है, ये खुला हुआ है यहाँ कोरोना का कोई असर नहीं, क्यों..?
शंघाई वो शहर है जो चीन की इकॉनमी को चलाता है, ये चीन की आर्थिक राजधानी है, यहाँ चीन के सभी अमीर लोग रहते है, इंडस्ट्री को चलाने वाले रहते है, यहाँ भी कोई लॉक डाउन नहीं, यहाँ कोरोना का कोई असर नहीं, क्यों?
क्या कोरोना एक पाला हुआ वायरस है, जिसे बता दिया गया है की तुम्हे दुनिया भर में आतंक मचाना है, पर तुम बीजिंग और शंघाई नहीं आओगे, चीन से ये सवाल पूछा जाना बहुत जरुरी है, की जब दुनिया के बड़े - बड़े विकसित देश कोरोना को नहीं रोक सके, दुनिया के बड़े बड़े शहरों में कोरोना ने आतंक मचा दिया, तो ये विरुस्व बीजिंग क्यों नहीं पहुंचा, शंघाई क्यों नहीं पहुंचा..?
बीजिंग और शंघाई वुहान से लगे हुए इलाके ही है। वुहान से निकला वायरस दुनिया के कोने - कोने में पहुँच गया पर ये वायरस शंघाई नहीं पहुँच सका।
आज पूरा भारत और 130 करोड़ भारतीय भले लॉक डाउन हो चुके है, हमारी इकॉनमी ठप्प हो रही है, पर China के सभी प्रमुख शहर खुले हुए है, और तो और अब 8 अप्रैल से चीन वुहान को भी खोल रहा है, पूरी दुनिया आतंक से त्रस्त हो चुकी है, पर चीन में अब नए केस भी सामने नहीं आ रहे है और चीन खुला हुआ है।
एक और बड़ी चीज ये की दुनिया भर के शेयर मार्किट लगभग आधा गिर चुके है, भारत में भी निफ्टी 12 हज़ार से 7 हज़ार तक पहुँच गया है, पर चीन का शेयर मार्किट 3 हज़ार पे था, जो 2700 पर ही है। चीन के लोकल मार्किट पर भी इस वायरस का कोई असर नहीं।
ये जो भी चीजें है वो सिर्फ एक बात की ओर इशारा करती है, की कोरोना चीन का बायो केमिकल हथियार है। जिसे चीन ने दुनिया भर में तबाही के लिए बनाकर छोड़ दिया है, अपने यहाँ कुछ लोगो को मरवा कर चीन ने अब इस वायरस पर कण्ट्रोल कर लिया है। कदाचित उसके पास दवाई भी है जो वो दुनिया से शेयर नहीं कर रहा है!
भारत में चीन के राजदूत भारत सरकार और भारत के विदेश मंत्री से आग्रह कर रहे हैं कि वह दुनिया को समझाए और रोके कि Corona को China Virus न कहे। इनकी उम्मीद यही है कि भारत International cooperation और solidarity दिखाते हुए चीन का पक्ष ले। आखिर क्यों ?
कम्युनिस्ट तानाशाही और तिब्बत पर हमले के वक्त भी चीन ने भारत से गुहार लगाई थी और नेहरू जी चीन के लिए इंटरनेशनल लॉबिंग में जुट गये थे।
१) जहां पूरी दुनिया इससे प्रभावित हो रही है, वहीं चीन में हुबई प्रांत और वुहान के अलावा यह कहीं नहीं फैला? चीन की राजधानी आखिर इससे अछूती कैसे रह गयी ?
२) प्रारंभिक अवस्था में चीन ने पूरी दुनिया से इस वायरस के बारे में क्यों छुपाया ?
३) कोरोना के प्रारंभिक सैंपल को नष्ट क्यों किया ?
४) इसे सामने लाने वाले डॉक्टर और पत्रकार को खामोश क्यों किया ? पत्रकार को तो गायब ही कर दिया गया है ?
५) दुनिया के अन्य देशों ने जब सूचना साझा करने को कहा तो उसने सूचना साझा क्यों नहीं किया ? मना क्यों किया ?
६) कोरोना मानव से मानव में फैलता है, इसे छुपाने के लिए WHO के कम्युनिस्ट निदेशक का उपयोग क्यों किया गया ? WHO के निदेशक जनवरी में बीझिंग में क्या कर रहे थे ?
७) WHO 11 जनवरी तक यह ट्वीट क्यों करता रहा कि किसी भी अंतरराष्ट्रीय उड़ान के लिए कोई गाइडलाइन जारी करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह मानव से मानव में नहीं फैलता है ? आज साबित हो गया कि कोरोना मानव से मानव में फैलता है तो फिर WHO ने झूठ क्यों बोला ?
७) वुहान से 50 लाख लोगों को बिना मेडिकल जांच के लिए दुनिया के अलग-अलग हिस्से में क्यों भेजा गया ? इटली में 6 फरवरी तक मामूली केस था। एकाएक चीनी 'हम चीनी हैं वायरस नहीं। हमें गले लगाइए।' प्लेकार्ड के साथ दुनिया के पर्यटन स्थल 'सिटी ऑफ लव' के नाम से मशहूर इटली के लोगों को गले लगाने क्यों पहुंचे ?
८) पूरी दुनिया आज चीन और WHO को संदेह की नजर से देख रही है और ताज्जुब देखिए कि एक ही दिन चीन और WHO, दोनों भारत की तारीफ में उतर आए ! क्या यह महज संयोग है ?
९) और इसके अगले ही दिन भारत में चीन के राजदूत ट्वीट कर उम्मीद करते हैं कि भारत इंटरनेशनल कम्युनिटी में उसकी पैरवी करे। आखिर क्यों ?
यह मोदी सरकार है, और उम्मीद है वह आम से कम वह गलती तो नहीं ही दोहराएगी ?
१०) सार्क से लेकर G-20 तक की बैठक पीएम मोदी के कहने पर हो रही है। संकट के समय भारत वर्ल्ड लीडर के रूप में उभरा है। इटली, जर्मनी, स्पेन, फ्रांस, ब्रिटेन, अमेरिका तक जब कैरोना से निबटने में असफल हो रहे हैं तो पीएम मोदी की पहल पर भारत इससे कहीं बेहतर तरीके से डील कर रहा है।
चीन इसी का फायदा उठाकर यह चाहता है कि भारत इंटरनेशनल कम्युनिटी में उसके अछूतपन को दूर करे। अब यह नहीं होगा। चीन संदेह के घेरे में है और रहेगा !
*दृश्य 1 :*
पर्दा खुलता है: चीन बीमार हो जाता है, एक "संकट" में प्रवेश करता है और अपने व्यापार को पंगु बना देता है। पर्दा बंद हो जाता है।
उन
* SCENE II। *
पर्दा खुलता है: चीनी मुद्रा का अवमूल्यन होता है। वे कुछ नहीं करते। पर्दा बंद हो जाता है।
* SCENE III। "
पर्दा खुलता है :: यूरोप और अमरीका की कंपनियों के व्यापार में कमी के कारण इन कंपनियों के शेयरों के भाव गिर जाते है उनके मूल्य के 40% तक, जो चीन में स्थित हैं चीन कुछ नहीं करता है
* SCENE IV। *
पर्दा खुलता है :: दुनिया बीमार है, चीन यूरोप और अमेरिका की कंपनियों के शेयर 30% से भी कम कीमत पर खरीद लेता है। जब दुनिया में इस बीमारी के कारण सारे व्यापार धंधे बंद पड़ जाते है, पर्दा बंद हो जाता है।
* SCENE V. *
पर्दा खुलता है: चीन ने इस बीमारी को नियंत्रित कर लिया है और अब वह यूरोप और अमेरिका में कंपनियों का मालिक है। क्युकी यहां व्यापार धंधे ध्वस्त हो चुके हैं और वह यह तय करता है कि ये कंपनियां चीन में रहें और $ 20,000 बिलियन कमाएं। पर्दा बंद हो जाता है। नाटक इसे कहा जाता है?
* स्कैन VI: *
* शह और मात! *
* फिर से देखना लेकिन सच है *
कल और आज के बीच दो वीडियो जारी हुए हैं, जिनसे मुझे कुछ संदेह हुआ, कोई जरूरी नहीं हो सकता हो यह सिर्फ मेरी अटकल हो। पर मुझे विश्वास है कि कोरोनोवायरस का जानबूझकर स्वयं चीन द्वारा फैलाया गया था। वो
पहले से ही तैयार थे इस नाटक के शुरू होने के तीन हफ्ते में ही उन्होंने 12,000 बिस्तर वाले अस्पताल पहले से ही बनवा लिए केसे? क्या वास्तव में उन्होंने इनका निर्माण दो सप्ताह में किया हो ही नहीं सकता वो उनका निर्माण पहले से ही कर चुके थे क्युकी ये सब एक योजना का हिस्सा था।
कल उन्होंने घोषणा की कि उन्होंने महामारी को रोक दिया है। वे जश्न मनाते हुए वीडियो में दिखाई देते हैं, वे घोषणा करते हैं कि उनके पास एक टीका भी है। सभी आनुवंशिक जानकारी के बिना वे इसे इतनी जल्दी कैसे बना सकते हैं? पर यदि आप खुद ही इस नाटक के निर्माता हो तो यह बिल्कुल मुश्किल भी नहीं है।
और आज मैंने सिर्फ एक वीडियो देखा जो बताता है कि कैसे जिन पिंग जो की दुनिया के शक्तिशाली देश का राष्ट्रपति है उसने पूरी दुनिया को बगैर किसी युद्ध के घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया कोरोनावायरस के कारण, चीन में पश्चिमी देशों कंपनियों का कारोबार नाटकीय रूप से गिर गया जब दुनिया भर के स्टॉक एक्सचेंजों में इन कंपनियों के शेयर के भाव गिर गए तो उन्हें चीनियों द्वारा खरीद लिया गया। अब चीन, अमेरिका और यूरोप में इन्हीं एक्सचेंजों और अपनी पूंजी द्वारा यह डिसाइड करेगा कि बाज़ार का रुख केसा होगा, औेर कीमतों को निर्धारित करने में सक्षम होगा पश्चिम को अपनी जरूरत की हर चीज बेचने के लिए। क्या गजब की योजना ?
हा इसमें संयोग से कुछ बूढ़े मर गए? कम उम्र के लोग भी मारे गए पर ना तो चीन को इसकी परवाह है और ना ही कोई बड़ी समस्या वो इनके परिजनों को थोड़े समय मुआवजे के रूप में पेंशन दे देगा , पर इसके एवज उसने कितनी बड़ी लूट की है। और अभी पश्चिम आर्थिक रूप से पराजित है, संकट में और बीमारी से स्तब्ध। और बिना कुछ जाने की यह सब एक योजना का हिस्सा है और बहुत ही सोच समझ कर बनाई गई परफेक्ट योजना ।
अब चीन 1.18 ट्रिलियन होल्डिंग वाले जापान के बाद अमेरिकी खजाने के सबसे बड़े मालिक है।
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अब देखिए इस नाटक के दूसरे किरदारों का रोल केसे रूस और उत्तर कोरिया में करोना नामक घातक बीमारी के केस इतने कम है या नहीं है जबकि बे तो चीन के सहयोगी है उनके आपस में आवाजाही भी ज्यादा है फिर भी क्युकर उनके यहां करोना ने वैसा विकराल रूप दिखाया जैसा की अन्य अमेरिकी और यूरोपीय देशों में देखने को मिला
क्या इसलिए कि वे चीन के कट्टर सहयोगी हैं
दूसरी ओर संयुक्त राज्य अमेरिका / दक्षिण कोरिया / यूनाइटेड किंगडम / फ्रांस / इटली / स्पेन और एशिया गंभीर रूप से प्रभावित हैं
कैसे वुहान अचानक घातक वायरस से मुक्त हुआ ?
चीन का कहना है कि उसके द्वारा उठाए गए कठोर उपाय के कारण वुहान करोना मुक्त हो गया केसे वो कोंस उपाय थे चीन ने उनका खुलासा नहीं किया चलिए हम इसको इस तरह से देखते है कि वुहान ही क्यों जो वायरस पूरी दुनिया में फेल गया वो वायरस चीन के दूसरे हिस्सों में क्यू नहीं फेला बीजिंग जो कि चीन की राजधानी थी वह इसका कोई भी असर देखने को क्यू नहीं मिला क्या एक संक्रमित बीजिंग तक नहीं पहुंचा जबकि पूरी दुनिया में संक्रमण फेल चुका है या फिर इस नाटक को सिर्फ वुहान के लिए रचा गया था क्या एक भी संक्रमित व्यक्ति ने नवम्बर से लेकर जनवरी तक वुहान से चीन के अन्य हिस्सों में यात्रा नहीं की जबकि इसके उलट ये संक्रमित दुनिया लगभग हर कोने में पहुंच गए वो भी अच्छी खासी तादाद केसे? क्यू ?
बीजिंग में करोना से एक व्यक्ति नहीं मारा गया? और सिर्फ वुहान में हजारों
यह विचार करना और दिलचस्प है ., की अब केसे चीन ने इस पर काबू पा लिया उन्होंने इसका क्या इलाज किया और फिर अब उसे व्यापार के लिए खोल भी दिया आखिर केसे जबकि दुनिया भर के डाक्टर इसका इलाज ढूंढ रहे हैं तो चीनियों ने केसे ये चमत्कार कर लिया
खैर ..
करोना को हमे व्यापार युद्ध में यूएसए द्वारा चीन की बांह मोड़ने की पृष्ठभूमि में देखा जाना चाहिए
अमेरिका और उपर्युक्त सभी देश आर्थिक रूप से तबाह हैं
जल्द ही अमेरिकी अर्थव्यवस्था चीन की योजना के अनुसार ढह जाएगी।
चीन जानता है कि वह अमेरिका को सैन्य रूप से नहीं हरा सकता क्योंकि अमरीका वर्तमान में दुनिया में सबसे शक्तिशाली देश है।
तो उसने यहां वाइरस का उपयोग किया ... जो कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था और रक्षा क्षमताओं को पंगु बना दें।
मुझे यकीन है कि नैन्सी पेलोसी( जो की अमेरिकी विपक्षी दल की नेता है) को भी इसमें एक हिस्सा मिला होगा .... ट्रम्प को पछाड़ने के लिए ...।
राष्ट्रपति ट्रम्प हमेशा से यह बताते रहे हैं कि कैसे अमेरिकी अर्थव्यवस्था सभी मोर्चों पर सुधार कर रही थी और नौकरियां संयुक्त राज्य अमेरिका में वापस आ रही थीं।
AMERICA GREAT AGAIN बनाने की उनकी दृष्टि को नष्ट करने का एकमात्र तरीका एक ECONOMIC HAVOC है।
नैन्सी पेलोसी महाभियोग के माध्यम से ट्रम्प को नीचे लाने में असमर्थ थी ..... इसलिए क्यू ना चीन के साथ मिलकर एक वायरस जारी करके ट्रम्प को नष्ट कर दिया जाए ।
वुहान की महामारी एक सोची समझी साजिश थी।
आप ही सोचिए महामारी के चरम पर .... चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ... उन प्रभावी क्षेत्रों का दौरा करने के लिए जाते वक़्त बस एक साधारण आरएम 1 फेसमास्क पहने हुए थे जबकि इटली में इस महामारी का इलाज कर रहे डाक्टर पूरी तरह कवर होने और सावधानी बरतने के बाद भी संक्रमित हो रहे है
राष्ट्रपति के रूप में उन्हें सिर से पैर तक ढंका जाना चाहिए था ... लेकिन ऐसा नहीं था क्यों? क्या इसीलिए की इस महामारी से होने किसी भी प्रकार नुकसान से बचने के लिए उन्होंने पहले से ही कोई टीका लगा रखा था इसका मतलब है की इस महामारी का इलाज पहले ही ढूंढ लिया गया था बाद में इस वायरस को फैलाया गया है
शायद यह सब चीन की योजना थी अब ECONOMIC COLLAPSE के कगार पर बैठे देशों से अधिकतर शेयर स्टॉक खरीदने के बाद विश्व अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने की ..... बाद में चीन यह घोषणा करेगा कि उनके मेडिकल शोधकर्ताओं ने वायरस को नष्ट करने का इलाज ढूंढ लिया है और इस तरह इस नाटक की समाप्ति की घोषणा हो जाएगी और बिना किसी युद्ध के चीन ने अपना साम्राज्य पूरी दुनिया में फेला दिया अब वह अपने देश में बैठे बैठे ही किसी भी देश की अर्थवयवस्था को हिला सकता है। चीन अपने सभी पश्चिमी गठबंधनों के साथ मिलकर विश्व की अलग देशों की अर्थव्यवस्था बर्बाद करेगा और ये देश बहुत जल्द ही अपने नए मास्टर ..... चीन के गुलाम हो जाएंगे। भविष्य का युद्ध हथियारों से नहीं व्यापार से शेयर स्टॉक से लड़ा जाएगा और चीन ने इस विश्व युद्ध की शुरुआत कर दी है। आपको हमे और देश को समझना होगा कि इस तरह के युद्ध में हमारी रणनीति क्या हो!
चीन को 10 कड़े सवाल : (सवाल नं 6,7,8,9 अवश्य पढ़ें):
1) जहां पूरी दुनिया इससे प्रभावित हो रही है, वहीं चीन में वुहान के अलावा यह क्यों कहीं नहीं फैला? चीन की राजधानी आखिर इससे अछूती कैसे रह गयी?
2) प्रारंभिक अवस्था में चीन ने पूरी दुनिया से इस वायरस के बारे में क्यों छुपाया?
3) कोरोना के प्रारंभिक सैंपल को नष्ट क्यों किया?
4) इसे सामने लाने वाले डॉक्टर और पत्रकार को खामोश क्यों किया? पत्रकार को तो गायब ही कर दिया गया है?
5) दुनिया के अन्य देशों ने जब सूचना साझा करने को कहा तो उसने सूचना साझा क्यों नहीं किया? मना क्यों किया?
6) कोरोना मानव से मानव में फैलता है, इसे छुपाने के लिए WHO के कम्युनिस्ट निदेशक का उपयोग क्यों किया गया? WHO के निदेशक जनवरी में "बीझिंग (चीन)" में क्या कर रहे थे ..... ?????? (प्लान फिक्सिंग कर रहे थे क्या?)
7) "किसी भी अंतरराष्ट्रीय उड़ान के लिए कोई गाइडलाइन जारी करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह मानव से मानव में नहीं फैलता है" ....ऐसा ट्वीट 11 जनवरी तक WHO करता रहा । क्यों ??? आज साबित हो गया कि कोरोना मानव से मानव में फैलता है... तो फिर WHO ने झूठ क्यों बोला ????
8) वुहान से एकसाथ 50,00,000 लोगों को बिना मेडिकल जांच किए "दुनिया के अलग-अलग हिस्से में" क्यों भेजा गया ..???
9) इटली में 6 फरवरी तक मामूली केस था। एकाएक चीनी 'हम चीनी हैं वायरस नहीं, हमें गले लगाइए।' प्लेकार्ड के साथ दुनिया के पर्यटन स्थल 'सिटी ऑफ लव' के नाम से मशहूर इटली के लोगों को गले लगाने क्यों पहुंचे ???
10) पूरी दुनिया आज चीन और WHO को संदेह की नजर से देख रही है और ताज्जुब देखिए कि एक ही दिन चीन और WHO, दोनों भारत की तारीफ में उतर आए! क्या यह महज संयोग है?
11) और इसके अगले ही दिन भारत में चीन के राजदूत ट्वीट कर उम्मीद करते हैं कि भारत इंटरनेशनल कम्युनिटी में उसकी पैरवी करे। आखिर क्यों? नेहरू की एक गलती का खामियाजा हम भुगत चुके हैं। यह मोदी सरकार है, और उम्मीद है वह कम से कम वह गलती तो नहीं ही दोहराएगी?
12) सार्क से लेकर G-20 तक की बैठक पीएम मोदी के कहने पर हो रही है। संकट के समय भारत वर्ल्ड लीडर के रूप में उभरा है। इटली, जर्मनी, स्पेन, फ्रांस, ब्रिटेन, अमेरिका तक जब कैरोना से निबटने में असफल हो रहे हैं तो पीएम मोदी की पहल पर भारत इससे कहीं बेहतर तरीके से डील कर रहा है।
चीन इसी का फायदा उठाकर यह चाहता है कि भारत इंटरनेशनल कम्युनिटी में उसके अछूतपन को दूर करे। अब यह नहीं होगा। चीन संदेह के घेरे में है और रहेगा!
नोट: धीरे - धीरे MAKE IN INDIA का और भारत सरकार के रणनीति का असर दिखने लगा था, जिसके कारण चीन भारत से अंदर ही अंदर परेशान था या है।
चीन का एक ही ईलाज है, की चीन के समान का पूर्णतः वहिष्कार करें। चीन को आप सब खुद घुटने टेकते देखेंगे...
amit kumarhttp://www.blogger.com/profile/13031613113379009188noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4518198162576089446.post-5584744591153604332016-02-17T05:08:00.001-08:002016-02-17T05:08:20.643-08:00सियासत करने वालों को मिल गई है खुराकनई दिल्ली। इन दिनों जेएनयू में पाकिस्तान समर्थित नारे लगने की बात को लेकर राजनीति गरमाई हुई है। ऐसे समय में राजधानी में साहित्य अकादमी पुरस्कार ग्रहण करने आए साहित्यकारों से जब इस मुद्दे पर बातचीत की गई तो उन्होंने इस पूरे मामले को देश के लिए अपमानजनक बताते हुए देश को बांटने वालों और देश विरोधी नारे लगाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई किये जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि यह तो सियासत करने वालों के लिए खुराक मिल गया है।अपनी कृति ‘‘आग की हंसी’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार हासिल करने वाले हिन्दी के जानेमाने साहित्यकार रामदरश मिश्र ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जेएनयू में जो कुछ भी हुआ है वह गलत है। इस तरह के कृत्य करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मामले में जो कोई भी गुनहगार है उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर हो रही राजनीति पर भी आश्यर्च व्यक्त करते हुए कहा कि कोई देश को टुकड़े करने की बात करता है, लोग उसके समर्थन में खड़े हो जा रहे हैं। यह कैसी राजनीति है। अपनी उर्दू कृति ‘‘तसब्बुफ और भक्ति’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार पाने वाले उर्दू के जानेमाने लेखक शमीम तारिक ने कहा कि वह क्या कोई भी आदमी देश विरोधी नारे लगाने वाले या फिर देश का विघटन करने वाले के पक्ष में नहीं बोलेगा। उन्होंने कहा कि जब भी समाज में कुछ गलत होता है उसका सबसे पहले विरोध लेखक ही करता है, वह किसी भी भाषा का लेखक क्यों न हो। लेकिन लेखक के कहने का तरीका अलग होता है। डोगरी कविता संग्रह ‘‘परछामें दी लो’ के लिए अकादमी पुरस्कार पाने वाले ध्यान सिंह ने भी इस घटना की र्भत्सना करते हुए कहा कि देश में कई मसले हैं उन पर बात होनी चाहिए। यह तो एक तरह से सियासत करने वालों के लिए खुराक मिल गया है। वह इस पर अपनी रोटिंया सेक रहे हैं जबकि इस समय लोग गरीबी और भूख से जुझ रहे हैं। उनके बारे में लोगों को सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि जेएनयू का मुद्दा तब तक सूर्खियों में रहेगा जब तक कोई नया मुद्दा नहीं मिल जाता। श्री सिंह ने कहा कि देश में इस समय अराजकता का माहौल है, जो ठीक नहीं है।amit kumarhttp://www.blogger.com/profile/13031613113379009188noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4518198162576089446.post-75928698564119516572016-01-29T06:47:00.000-08:002016-01-29T06:47:08.268-08:00एशिया का सबसे बड़ा नाटय़ महोत्सव भारंगम एक से
नई दिल्ली। एशिया का सबसे बड़े नाटय़ महोत्सवों में शामिल 18वां भारत रंग महोत्सव’ (भारंगम) का आयोजन एक फरवरी से 21 फरवरी के बीच किया जाएगा। 21 दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में देश-विदेश के 80 नाटकों का मंचन होगा, जिसमें 65 भारतीय और 15 विदेशी नाटक शामिल हैं। इस वर्ष पाकिस्तान से अभी तक एक नाटक के शामिल होने की संस्तुति प्राप्त हुई है। यह जानकारी बृहस्पतिवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) के निदेशक वामन केंद्रे ने दी। महोत्सव का उद्घाटन केन्द्रीय पर्यटन एवं संस्कृति राज्य मंत्री डा. महेश शर्मा करेंगे। इस मौके पर अभिनेता नाना पाटेकर मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रहेंगे। श्री केंद्रे ने कहा कि भारंगम एशिया का सबसे बड़ा और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा नाटय़ महोत्सव है। इस बार भारंगम का आयोजन एक से 21 फरवरी के बीच नई दिल्ली में, जबकि 3 से 14 फरवरी के बीच जम्मू, अहमदाबाद, भुवनेश्वर और तिरूवनंतपुरम में समानांतर महोत्सव आयोजित किया जाएगा। इन चारों जगहों पर छह-छह नाटकों का मंचन किया जाएगा, जिनमें तीन भारतीय और तीन विदेशी नाटकों का मंचन शामिल हैं। इस साल 10 से ज्यादा देशों के नाट्य समूह भारंगम का हिस्सा होंगे, जिसमें अमेरिका, आस्ट्रेलिया, इटली, श्रीलंका, पोलैंड, बांग्लादेश, स्पेन, चीन, पाकिस्तान और आस्ट्रिया शामिल हैं। नाना पाटेकर, एमके रैना, पंकज कपूर, अनुपम खेर, परेश रावल, सौरभ शुक्ला, मोहन अगाशे, चंद्रशेखर कंबार, कन्हाई लाल और राम गोपाल बजाज भारंगम का हिस्सा बनेंगे।
amit kumarhttp://www.blogger.com/profile/13031613113379009188noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4518198162576089446.post-51968134820108284032016-01-29T06:28:00.000-08:002016-01-29T06:28:06.846-08:00’शौच‘‘ जाना 92 कर्मियों को पड़ा महंगा, गंवाई नौकरी
नई दिल्ली। ‘‘शौच’ जाने की मांग करना करीब सात दर्जन से अधिक महिलाओं और उनका समर्थन करने वाले कर्मचारियों को भारी पड़ गया। तीन से लेकर 13 वर्ष तक ठेके पर काम कर रही इन महिलाओं को भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) ने एक फरवरी से नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने भी पीड़ित महिलाओं की मदद के बजाय उल्टा आईआरसीटीसी की मुखबिरी करते हुए शिकायतकर्ताओं की सूची आईआरसीटीसी अधिकारियों को थमा दी। मामला दिल्ली स्थित आईआरसीटीसी के ई-टिकट यूनिट का है। स्टेट एंट्री रोड पर आईआरसीटीसी की ई-टिकट यूनिट आईटी सेंटर का कार्यालय है, जिसमें काफी संख्या में पुरु षों के साथ-साथ महिला कर्मचारी भी हैं। इनमें कार्यरत महिलाओं का आरोप है कि उनके साथ भेदभाव किया जाता है। यहां न तो उनके लिए अलग से रेस्ट रूम है और न अन्य सुविधाएं। महिलाओं के लिए यहां कोई शिकायत विभाग भी नहीं है। उनका आरोप है कि एक महिला अधिकारी ममता शर्मा ने मौखिक आदेश जारी कर सुबह 10 से 12 बजे तक टॉयलेट जाने पर रोक लगा दी है। इस तुगलकी फरमान का जब महिलाओं ने विरोध शुरू किया तो उन्हें किसी न किसी बहाने प्रताड़ित किया जाने लगा। इसके बाद इन महिलाओं ने पिछले साल नौ सितम्बर को दिल्ली महिला आयोग का दरवाजा खटखटाया। महिलाओं का आरोप है कि जब डीसीडब्ल्यू ने उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की तो इन लोगों ने 18 दिसम्बर 2015 को आरटीआई के माध्यम से आयोग से 9/9/15 को भेजे गए उस पत्र के बारे में जानकारी मांगी, जिसके माध्यम से 18 महिलाओं ने आईआरसीटीसी के कृत्यों के खिलाफ शिकायत की थी। इसके बाद डीसीडब्ल्यू ने 22 दिसम्बर 2015 को आईआरसीटीसी के जीएम को पत्र लिखकर इस मामले में प्रगति रिपोर्ट मांगी। महिलाओं का आरोप है कि डीसीडब्ल्यू के इस पत्र के बाद महिला कर्मचारियों को आईआरसीटीसी को मैन पावर मुहैया कराने वाली कंपनी जेएमडी कंसल्टेंट ने पत्र जारी कर कहा है कि एक फरवरी से उनकी सेवाएं समाप्त की जा रही हैं। आईआरसीटीसी यूनिट के महासचिव सुरजीत श्यामल बताते हैं कि महिलाओं को सुबह 10-12 बजे के बीच टॉयलेट यह कहकर नहीं जाने दिया जाता है कि वह तो अभी घर से आई हैं। अगर किसी को टॉयलेट जाना भी होता है तो उसे विस्तार से पुरु ष अधिकारी को बताना पड़ता है कि वह पांच मिनट के लिए टॉयलेट जाना चाहती है या 10 मिनट के लिए। इसके पीछे एक और तर्क दिया जाता है कि यहां वर्क लोड ज्यादा है इसलिए इस दरम्यान अपनी सीट से कोई नहीं हिलेगा। इतना ही नहीं इस दरम्यान एक कर्मचारी को कम से कम 150 कॉल रिसीव करने का टारगेट होता है। श्यामल बताते हैं कि आईआरसीटीसी के इस तुगलकी फरमान और कर्मियों को नौकरी से निकाले जाने को लेकर पिछले दो दिनों तक महिला/पुरु ष कर्मचारी धरना-प्रदर्शन भी कर चुके हैं। इतना ही नहीं महिला कर्मचारियों ने न्याय पाने के लिए प्रधानमंत्री व रेल मंत्री को भी लिखित में शिकायत दी है लेकिन अभी तक पीड़ित महिलाओं को कहीं से कोई न्याय नहीं मिला है। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली महिला आयोग ने भी शिकायत करने वाले कर्मचारियों की सूची आईआरसीटीसी कर्मचारियों को दे दी थी, जिसके बाद इन कर्मचारियों को एक फरवरी से नौकरी से हटाए जाने का नोटिस थमा दिया गया है। इस बारे में आईआरसीटीसी के पीआरओ संदीप दत्ता महिला ने कर्मचारियों द्वारा लगाए जा रहे सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हैं। उनका कहना है कि हम लोग बड़ी कंपनी के माध्यम से ठेके पर रखना चाहते हैं। इसकी जानकारी हमने पहले ही कर्मचारियों को दे दी थी। उन्होंने कहा कि जहां ढेर सारे लोग काम करते हैं वहां धरना-प्रदर्शन भी होते रहते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यहां पर कुछ गलत हो रहा है।amit kumarhttp://www.blogger.com/profile/13031613113379009188noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4518198162576089446.post-26808230645600370972014-01-05T01:32:00.000-08:002014-01-05T01:32:44.230-08:00रैन बसेरों में नहीं मिल रहा चैन<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<table style="background-color: white; font-family: arial; width: 100%px;"><tbody>
<tr><td><div class="haedlinesstory" style="font-family: mangal; font-size: 20px; font-weight: bold;">
<br /></div>
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<tr><td><table align="left"><tbody>
<tr><td><img align="left" src="http://www.rashtriyasahara.com/EpaperImages/31122013/CACB205241532120141524078-small.jpg" /></td></tr>
<tr><td><img align="right" class="hand1" src="http://www.rashtriyasahara.com/images/dnsenlarge.gif" style="cursor: pointer; font-size: 11px;" /></td></tr>
</tbody></table>
<div class="bodyd" style="font-family: mangal; font-size: 16px; line-height: 24px; text-align: justify;">
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<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
नई दिल्ली। दिल्ली का पारा सोमवार को दो डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच गया। लगातार सर्द होती रातों ने रैन बसेरों में रहने वालों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बने रैन बसेरों में रात गुजारने वालों को एक कंबल हाड़ कंपाने वाली सर्दी से राहत नहीं दे पा रहा है। इन टेंटो मे रहने वाले बेबस लोग सारी रात जागते हुए गुजार रहे हैं। कुछ रैन बसेरो में तो भीड़ इतनी ज्यादा है कि एक कंबल में दो लोगों को रात गुजारनी पड़ रही है। दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड की ओर से दिल्ली के विभिन्न इलाकों में पौने दो सौ रैन बसेरे (अस्थायी और अस्थायी मिलाकर) हैं। इनकी कुल क्षमता करीब 15 हजार लोगों की है। एनजीओ के माध्यम से चलाये जा रहे इन रैन बसेरों में कंबल और गद्दे की व्यवस्था दिल्ली सरकार की ओर से की जाती है। पिछले एक सप्ताह से भी ज्यादा समय से दिल्ली का पारा लगातार नीचे लुढ़क रहा है। ऐसे में लोगों को एक कंबल से राहत नहीं मिल रही है। रामलीला मैदान के पास बने रैन बसेरों में रहने वालों का सबसे बुरा हाल है। यहां गैर सरकारी संस्था आपार द्वारा टेंट में चलाये जा रहे रैन बसेरे में सर्द हवाएं लोगों को परेशान किए हुए हैं। एक कंबल ठंड से बचाव नहीं कर पा रहा है। यहां रात गुजारने वालों की शिकायत है कि उन्हें कम से कम दो कंबल दिए जाएं। वहीं रैन बसेरे के केयर टेकर का कहना है कि कंबलों की डिमांड की गई है, पर अभी तक नहीं मिले हैं। टेंट को भी ठीक करने के लिए कहा है। इसी तरह आईजीएसएसएस में कंबल की व्यवस्था तो ठीक है पर यहां पीने के पानी की किल्लत है। यहां रात गुजारने वालों का आरोप है कि 15 दिनों में एक बार पानी आता है। इन लोगों के लिए यहां शौचालय तक की व्यवस्था नहीं है। दूर बने शौचालय में जाने के लिए पैसे चुकाने पड़ते हैं। यमुना बाजार के पास उत्थान और सामर्थ संस्था की ओर से चलाये जा रहे रैन बसेरे में भी रहने वाले लोगों की एक ही शिकायत है कि उन्हें एक कंबल से ठंडक से राहत नहीं मिल रही है। उन्हें इतनी सर्दी में दो कंबल दिए जाएं। कुछ ऐसी ही स्थिति दिल्ली के अन्य हिस्सों में अस्थायी तौर पर चल रहे रैन बसेरों की भी है। इतना ही नहीं सर्दी बढ़ने के साथ ही इन रैन बसेरों में भीड़ भी बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति पिछले दो दिनों से इन रैन बसेरों में है। सबसे ज्यादा भीड़ रामलीला मैदान के पास होती है। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन नजदीक होने की वजह से यहां रिक्शा चलाने वाले और मजूदरी करने वालें लोग सर्दी बढ़ने पर रात गुजारने के लिए इन्हीं रैन बसेरों में आते हैं। ऐसे में एक कंबल में दो-दो लोगों को सोना पड़ता है।</div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
यह भी : दिल्ली के रैन बसेरों का सं चालन करीब 80 एनजीओ मिल कर करते हैं। ये सभी मदर एनजीओ फॉर होमलेस दिल्ली के तहत काम करते हैं। डा. आमोद कुमार को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। शहरी विकास मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि हम विशेषज्ञों से राय-मशविरा कर रहे हैं कि किस तरह रैनबसेरों में रहने वाले लोगों को बे हतर सुविधाएं दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार एक लाख की आबादी पर एक रैनबसेरा होना चाहिए, लेकिन इस समय दिल्ली में इतने रैनबसेरे नहीं हैं। हम शहरी विकास मंत्रालय से मांग करेंगे कि वह उचित संख्या में रैनबसेरों की व्यवस्था करे।</div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
कुल रैन बसेरे 15000 क्षमता 01 प्रति व्यक्ति कंबल व गद्दा मिलता है बुखार, सर्द दर्द, मामूली चोट आदि लगने पर दवाई व पीने के पानी की व्यवस्था होती है। 175</div>
</td></tr>
</tbody></table>
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amit kumarhttp://www.blogger.com/profile/13031613113379009188noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4518198162576089446.post-58257088632888344782013-12-07T02:56:00.003-08:002013-12-07T02:56:40.212-08:00 अब भी जारी है तत्काल ई-टिकटों का घपला!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="-webkit-text-stroke-width: 0px; background-color: white; color: #333333; display: inline !important; float: none; font-family: arial; font-size: small; font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: normal; orphans: auto; text-align: -webkit-center; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: auto; word-spacing: 0px;"></span><br />
<br /><table style="-webkit-text-stroke-width: 0px; background-color: white; font-family: arial; letter-spacing: normal; orphans: auto; text-indent: 0px; text-transform: none; widows: auto; width: 100%px; word-spacing: 0px;"><tbody>
<tr><td><table align="left"><tbody>
<tr><td><img align="left" src="http://www.rashtriyasahara.com/EpaperImages/7122013/84762052415391220133260109-small.jpg" /></td></tr>
<tr><td><img align="right" class="hand1" src="http://www.rashtriyasahara.com/images/dnsenlarge.gif" style="cursor: pointer; font-size: 11px;" /></td></tr>
</tbody></table>
<div class="bodyd" style="color: black; font-family: mangal; font-size: 16px; line-height: 24px; text-align: justify; text-decoration: none;">
</div>
<div style="color: black; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify; text-decoration: none;">
<b>रेलवे की आधिकारिक वेबसाइट का हाल छह को ही फुल हो गई नौ दिसम्बर की तत्काल टिकटें रेलवे अधिकारियों का तीन दिन पहले दिलाया गया था इस ओर ध्यान</b></div>
<div style="color: black; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify; text-decoration: none;">
नई दिल्ली (एसएनबी)। रेलवे की वेबसाइट पर कई ट्रेनों में अब भी दो से तीन दिन बाद की तत्काल ई टिकटें बुक नजर आ रही हैं। पूर्वोत्तर की ओर से आने वाली कुछ एक ट्रेनों में यात्रा से दो से तीन दिन बाद की तत्काल टिकटें अब भी फुल शो हो रही हैं। डिब्रूगढ़ से दिल्ली के बीच चलने वाली ब्रह्मपुत्र एक्सप्रेस में तो स्लीपर और एसी थ्री की नौ दिसम्बर तक की तत्काल ई टिकटें फुल हो चुकी हैं। सीतामढ़ी से आनंद विहार के बीच चलने वाली लिच्छवी एक्सप्रेस में आठ दिसम्बर तक की तत्काल टिकटें बुक हो चुकी हैं। तत्काल ई- टिकट के घपले को लेकर तीन दिसम्बर को ‘राष्ट्रीय सहारा’ ने ‘घपला : तत्काल टिकटें तीन दिन पहले फुल’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। वेबसाइट के इस घपले की खबर आम होते ही रेलवे अधिकारियों में खलबली मच गई थी और मामला जीएम और सीसीएम तक पहुंच गया था। सूत्रों के अनुसार कुछ एक लोगों को इस पूरे मामले के बारे में पता करने को कहा गया था। यह आशंका थी कि वेबसाइट पर किसी तकनीकी गड़बड़ी की वजह से ऐसा हुआ होगा, जो ठीक हो जाएगा। लेकिन तीन दिन बाद भी रेलवे की वेबसाइट लाल किला, सीमांचल, नार्थ ईस्ट, अवध असम व लिच्छवी एक्सप्रेस में आठ दिसम्बर तक की तत्काल टिकटें फुल दिखा रही है। सूत्रों के अनुसार, अधिकारी भी मान रहे हैं कि ई-तत्काल टिकटों की बुकिंग को लेकर कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ी है, लेकिन कोई भी यह बताने को तैयार नहीं है कि गड़बड़ी कहां से हो रही है। अधिकारी तीन दिन बाद तक की तत्काल टिकटों की बुकिंग होने को गंभीर मान रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, ऐसा तभी हो सकता है, जब कोई वेबसाइट को हैक कर ले। काउंटर से तो दो और तीन दिन बाद की तत्काल टिकटों की बुकिंग करना संभव नहीं है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि रेलवे इस घपले की जांच करवाने में देरी क्यों कर रहा है। हालांकि रेलवे प्रवक्ता का कहना है कि मामले की जांच कराई जा रही है।</div>
<div style="color: black; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify; text-decoration: none;">
</div>
</td></tr>
</tbody></table>
</div>
amit kumarhttp://www.blogger.com/profile/13031613113379009188noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4518198162576089446.post-77328336008456674322013-12-07T02:22:00.000-08:002013-12-07T02:22:24.849-08:00घपला : तत्काल टिकटें तीन दिन पहले फुल!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<table style="background-color: white; font-family: arial; width: 100%px;"><tbody>
<tr><td><div class="haedlinesstory" style="font-family: mangal; font-size: 20px; font-weight: bold;">
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<tr><td><table align="left"><tbody>
<tr><td><img align="left" src="http://www.rashtriyasahara.com/EpaperImages/3122013/1C3120524153312201315360468-small.jpg" /></td></tr>
<tr><td><img align="right" class="hand1" src="http://www.rashtriyasahara.com/images/dnsenlarge.gif" style="cursor: pointer; font-size: 11px;" /></td></tr>
</tbody></table>
<div class="bodyd" style="font-family: mangal; font-size: 16px; line-height: 24px; text-align: justify;">
</div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
नई दिल्ली। तत्काल टिकट का खेल बदस्तूर जारी है। नियमों के अनुसार तत्काल टिकटों की बुकिंग एक दिन पहले होनी चाहिए, लेकिन आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर पूर्वोत्तर से आने वाली कुछ एक ट्रेनों में चार और पांच दिसम्बर तक तत्काल टिकटों की बुकिंग ‘फुल’ हो चुकी है। लिच्छवी, नार्थ-ईस्ट, सीमांचल, लालकिला आदि ट्रेनों मे चार दिसम्बर तक की तत्काल टिकटें बुक हो चुकी हैं, जबकि डिब्रूगढ़ से दिल्ली आने वाली ब्रrापुत्र एक्सप्रेस (14055) में पांच दिसम्बर तक तत्काल टिकटों की बुकिंग हो चुकी है। आईआरसीटीसी की साइट पर चार और पांच दिसम्बर तक तत्काल की सीटें फुल दिखाए जाने के बारे में जब आईआरसीटीसी के प्रवक्ता प्रदीप कुंडू से बात की गई तो पहले तो यह मानने को ही तैयार नहीं थे कि तीन दिसम्बर के बाद तत्काल की सीटें फुल शो कर रही होगी, लेकिन जब उन ट्रेनों के नाम बताए जिनकी तत्काल सीटें साइट पर फुल शो हो रही थीं तो उन्होंने यह कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया कि रेलवे की ओर से जो हमें डाटा मिलता है वही आईआरसीटीसी की साइट पर दिखाई देता है। उन्होंने कहा कि इसके बारे में ज्यादा जानकारी रेल अधिकारी ही दे सकते हैं। जब हमने उत्तर रेलवे के सीपीआरओ नीरज शर्मा से बात की तो वे भी यह मानने को तैयार नहीं थे कि आईआरसीटीसी की साइट पर तत्काल श्रेणी की सीटें चार और पांच दिसम्बर तक फुल होंगी। उन्होंने मामले की जांच कराने की बात कही। ये माजरा क्या है? सोमवार (2 दिसम्बर) को आईआरसीटीसी के माध्यम से पटना से दिल्ली के लिए ब्रrापुत्र एक्सप्रेस ट्रेन से तत्काल टिकट बुक कराने की कोशिश की गई तो उसमें तीन, चार और पांच दिसम्बर तक स्लीपर क्लास की सभी तत्काल सीटें फुल थीं, जबकि एसी थ्री की चार दिसम्बर तक की सीटें फुल शो हो रही हैं। इसी तरह पटना से होकर आने वाली नार्थ-ईस्ट (12505), सीमांचल एक्सप्रेस (12487), लालकिला (13111) आदि में चार दिसम्बर तक की तत्काल की सीटें फुल शो हो रही हैं। लिच्छवी एक्सप्रेस (14005) और अवध असम एक्सप्रेस में चार दिसम्बर तक साइट पर तत्काल की सीटें फुल शो हो रही हैं।</div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
ब्रrापुत्र एक्सप्रेस में पांच और लालकिला, नार्थ- ईस्ट, सीमांचल, अवध असम व लिच्छवी एक्सप्रेस में चार दिसम्बर तक की तत्काल टिकटें हैं फुल आईआरसीटीसी व उत्तर रेलवे के प्रवक्ताओं ने दिए गोलमोल जवाब नियमत: यात्रा से एक दिन पहले ही हो सकती है तत्काल टिकटों की बुकिंग</div>
</td></tr>
</tbody></table>
</div>
amit kumarhttp://www.blogger.com/profile/13031613113379009188noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4518198162576089446.post-57812104789047157112013-08-05T02:57:00.000-07:002013-08-05T02:57:14.648-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<table style="font-family: arial; width: 100%px;"><tbody>
<tr><td><div class="haedlinesstory" style="font-family: mangal; font-size: 20px; font-weight: bold;">
<br /></div>
</td></tr>
<tr><td><div class="bodyd" style="font-family: mangal; font-size: 16px; line-height: 24px; text-align: justify;">
</div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
नई दिल्ली। शनिवार (27 / 3 /13 )की देर शाम जिस वक्त दिल्ली बारिश की फुहारों में भीग रही थी, ठीक उसी वक्त पूर्वा सांस्कृतिक केन्द्र के सभागार में बैठे दर्शक नृत्य व गीत-संगीत की स्वर लहरियों पर मदहोश हुए जा रहे थे। सांस्कृतिक संस्था नृत्यांजलि द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘नृत्य रागा’ में नन्हे कलाकारों ने लोक नृत्य संगीत का ऐसा समां बांधा की सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। कार्यक्रम का संचालन दो नन्हे कलाकारों अमृत कुमार व रिया श्रीवास्तव ने किया। सावन की सुहानी शाम की शुरुआत भरतनाट्यम से हुई। महक गोगिया, श्रेया अग्रवाल, ईशा, कृतिका, मानसी, सोनिया, चेष्ठा, अनन्या और आयुषी ने समूह नृत्य <span id="goog_1693833149"></span><span id="goog_1693833150"></span>˜मल्लार पेश कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके बाद गॉड जीसस को समर्पित तेलगु कीर्तन को बेहद ही खूबसूरती के साथ आकृति, रिया, मुस्कान व प्राची ने पेश किया। घंटे भर से ज्यादा समय तक चले संगीत के इस कार्यक्रम के दौरान अन्य कलाकारों ने कालबेलिया नृत्य, गरबा और भंगड़ा पेश किया। सबसे आखिर में बच्चों ने वेस्टर्न डांस पर दर्शकों को थिरकने के लिए मजबूर कर दिया। नृत्य संगीत के इस कार्यक्रम का संचालन दो नन्हे कलाकारों अमृत और रिया ने जिस तरह किया, उसे देखकर कोई भी सहज में यह विश्वास नहीं कर पा रहा था कि इतने छोटे बच्चे भी इस तरह कार्यक्रम का संचालन कर सकते हैं। उनका आत्मविश्वास देखते ही बन रहा था। कार्यक्रम के अंत में संस्था की निदेशिका विल्खा गोगिया ने सभी कलाकारों को प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया। कलाकारों में अभिलाषा, तनिषा, आरती, श्रेया, ऋतिका, कशिश, नाव्या, देवांशी, सिया, छवि आदि शामिल रहीं।</div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="http://4.bp.blogspot.com/-YrCIckkTlbM/Uf9058BMwRI/AAAAAAAABaI/gN_NN3hGPu0/s1600/amrit-1.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="http://4.bp.blogspot.com/-YrCIckkTlbM/Uf9058BMwRI/AAAAAAAABaI/gN_NN3hGPu0/s1600/amrit-1.jpg" /></a></div>
</td></tr>
</tbody></table>
</div>
amit kumarhttp://www.blogger.com/profile/13031613113379009188noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4518198162576089446.post-3433639690781152532013-08-05T02:35:00.000-07:002013-08-05T02:57:26.722-07:00नृत्य रागा कार्यक्रम में नन्हे कलाकारों ने बांधा समां<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="-webkit-text-stroke-width: 0px; background-color: white; color: #333333; display: inline !important; float: none; font-family: arial; font-size: x-small; font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: normal; orphans: auto; text-align: -webkit-center; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; widows: auto; word-spacing: 0px;"></span><br />
<table style="-webkit-text-stroke-width: 0px; background-color: white; font-family: arial; letter-spacing: normal; orphans: auto; text-indent: 0px; text-transform: none; widows: auto; width: 100%px; word-spacing: 0px;"><tbody>
<tr><td><div class="haedlinesstory" style="color: black; font-family: mangal; font-size: 20px; font-weight: bold; text-align: left; text-decoration: none;">
<br /></div>
</td></tr>
<tr><td><div class="bodyd" style="color: black; font-family: mangal; font-size: 16px; line-height: 24px; text-align: justify; text-decoration: none;">
</div>
<div style="color: black; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify; text-decoration: none;">
नई दिल्ली शनिवार (२७/३/१३) की देर शाम जिस वक्त दिल्ली बारिश की फुहारों में भीग रही थी, ठीक उसी वक्त पूर्वा सांस्कृतिक केन्द्र के सभागार में बैठे दर्शक नृत्य व गीत-संगीत की स्वर लहरियों पर मदहोश हुए जा रहे थे। सांस्कृतिक संस्था नृत्यांजलि द्वारा आयोजित कार्यक्रम नृत्य रागा में नन्हे कलाकारों ने लोक नृत्य संगीत का ऐसा समां बांधा की सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। कार्यक्रम का संचालन दो नन्हे कलाकारों अमृत कुमार व रिया श्रीवास्तव ने किया। सावन की सुहानी शाम की शुरुआत भरतनाट्यम से हुई। महक गोगिया, श्रेया अग्रवाल, ईशा, कृतिका, मानसी, सोनिया, चेष्ठा, अनन्या और आयुषी ने समूह नृत्य मल्लारी पेश कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके बाद गॉड जीसस को समर्पित तेलगु कीर्तन को बेहद ही खूबसूरती के साथ आकृति, रिया, मुस्कान व प्राची ने पेश किया। घंटे भर से ज्यादा समय तक चले संगीत के इस कार्यक्रम के दौरान अन्य कलाकारों ने कालबेलिया नृत्य, गरबा और भंगड़ा पेश किया। सबसे आखिर में बच्चों ने वेस्टर्न डांस पर दर्शकों को थिरकने के लिए मजबूर कर दिया। नृत्य संगीत के इस कार्यक्रम का संचालन दो नन्हे कलाकारों अमृत और रिया ने जिस तरह किया, उसे देखकर कोई भी सहज में यह विश्वास नहीं कर पा रहा था कि इतने छोटे बच्चे भी इस तरह कार्यक्रम का संचालन कर सकते हैं। उनका आत्मविश्वास देखते ही बन रहा था। कार्यक्रम के अंत में संस्था की निदेशिका विल्खा गोगिया ने सभी कलाकारों को प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया। कलाकारों में अभिलाषा, तनिषा, आरती, श्रेया, ऋतिका, कशिश, नाव्या, देवांशी, सिया, छवि आदि शामिल रहीं।</div>
<div style="color: black; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify; text-decoration: none;">
</div>
</td></tr>
</tbody></table>
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amit kumarhttp://www.blogger.com/profile/13031613113379009188noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4518198162576089446.post-73412447522092738512013-08-05T02:22:00.002-07:002013-08-05T02:22:39.115-07:00ललित कला अकादमी से मांगा 75 लाख मुआवजा<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<table style="background-color: white; font-family: arial; width: 100%px;"><tbody>
<tr><td><div class="haedlinesstory" style="font-family: mangal; font-size: 20px; font-weight: bold;">
<br /></div>
</td></tr>
<tr><td><table align="left"><tbody>
<tr><td><img align="left" src="http://rashtriyasahara.samaylive.com/EpaperImages/482013/BE54205241534820131530375-small.jpg" /></td></tr>
<tr><td><img align="right" class="hand1" src="http://rashtriyasahara.samaylive.com/images/dnsenlarge.gif" style="cursor: pointer; font-size: 11px;" /></td></tr>
</tbody></table>
<div class="bodyd" style="font-family: mangal; font-size: 16px; line-height: 24px; text-align: justify;">
</div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
नई दिल्ली। न्यूयार्क में रहने वाली भारतीय मूल की महिला कलाकार जरीना हाशमी के आर्ट वर्क (ब्लाइंडिंग लाइट) को नुकसान पहुंचाने के ऐवज में न्यूयार्क की आर्ट गैलरी ‘लुहरिन अगस्टीन’ ने ललित कला अकादमी से सवा लाख यूएस डालर (लगभग 75 लाख रुपए) क्षतिपूर्ति की मांग की है। जरीना हाशमी भी आर्ट वर्क को नुकसान पहुंचाए जाने को लेकर अकादमी से खासी नाराज हैं। दो वर्ष पहले वेनिस (फ्रांस) में आयोजित 54वीं अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी में पहली बार अलग से भारतीय पवेलियन लगाया गया था। इस पवेलियन के लिए आर्ट वर्क के चयन की जिम्मेदारी रणजीत होस्कोटे को मौजूदा अकादमी प्रशासन ने सौंपी थी। होस्कोटे ने चार भारतीय कलाकारों का चयन किया था। इनमें जरीना हाशमी (भारत में जन्मी और अब न्यूयार्क में रहकर काम करती हैं), प्रनीत सोई (कोलकाता में जन्मे और अब एमस्टरडम में रहते हैं), जीजी सकारिया (दिल्ली) व सोनल जैन शामिल थे। सूत्रों के अनुसार अकादमी को जरीना हाशमी की कृति न्यूयार्क की आर्ट गैलरी लुहरिन अगस्टीन ने मुहैया कराई थी। इस प्रदर्शनी में हाशमी की दो कृतियों को शामिल किया गया था। इनमें एक ब्लाइंडिंग लाइट व दूसरी ‘होम इज ए फॉरेन प्लेस’ थीं। लुहरिन अगस्टीन ने अकादमी को कृतियां देते वक्त इनका सवा लाख यूएस डालर का इंश्योरेंस करवाया था। साथ ही जरीना हाशमी ने यह शर्त भी रखी थी कि अगर किसी भी तरह से यह कृतियां क्षतिग्रस्त होती हैं, तो इसकी सूचना तत्काल उन्हें दी जाए और बगैर पूर्व अनुमति के दोनों कृतियों के साथ छेड़छाड़ न की जाए, लेकिन हुआ ठीक इसके उलट। न केवल कृति ब्लाइंडिंग लाइट को बुरी तरह से क्षतिग्रस्त किया गया, बल्कि इसकी जानकारी न तो कलाकार को दी गई और न ही उस गैलरी को जिसने यह कृति अकादमी को दी थी। अब लुहरिन अगस्टीन गैलरी ने अकादमी को पत्र लिखकर कहा है कि उसे इस कृति का इंश्योरेंस मूल्य सवा लाख यूएस डालर दिया जाए। इसके लिए गैलरी ने अकादमी के साथ हुए समझौते का हवाला दिया है। इस बारे में अकादमी के प्रभारी सचिव रामकृष्ण बेदाला का कहना है कि तत्कालीन सचिव ने इन पेंटिंग्स को सुरक्षित लाने के लिए असिस्टेंट सचिव डीएस यादव को भेजा था। उनकी ही गलती से हाशमी की कृति को क्षति पहुंची और उन्होंने इसकी जानकारी न तो अकादमी को दी और न ही कलाकार व गैलरी को। इस मामले में हमने डीएस यादव को 22 अप्रैल 2013 को एक मेमोरेंडम जारी कर उनसे जवाब मांगा था। हालांकि डीएस यादव अब रिटार्यड हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि हमने इस पूरे मामले को गंभीरता से लिया है। गैलरी के साथ मुआवजे को लेकर बातचीत चल रही है।</div>
</td></tr>
</tbody></table>
</div>
amit kumarhttp://www.blogger.com/profile/13031613113379009188noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4518198162576089446.post-89288441023807844172013-07-10T03:11:00.002-07:002013-07-10T03:11:39.004-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="http://1.bp.blogspot.com/-8LIuhsqtvoc/Ud0zQe6cSnI/AAAAAAAABOs/4ns2DHSzwxg/s1600/z-1+copy.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="320" src="http://1.bp.blogspot.com/-8LIuhsqtvoc/Ud0zQe6cSnI/AAAAAAAABOs/4ns2DHSzwxg/s320/z-1+copy.jpg" width="178" /></a></div>
<br /></div>
amit kumarhttp://www.blogger.com/profile/13031613113379009188noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4518198162576089446.post-45240734687183328392013-07-10T02:57:00.000-07:002013-07-10T02:57:20.010-07:00राष्ट्रपिता पर भारतीय भाषाओं में लिखी रचनाएं होंगी प्रकाशित<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<table style="background-color: white; font-family: arial; width: 100%px;"><tbody>
<tr><td><div class="haedlinesstory" style="font-family: mangal; font-size: 20px; font-weight: bold;">
<br /></div>
</td></tr>
<tr><td><div class="bodyd" style="font-family: mangal; font-size: 16px; line-height: 24px; text-align: justify;">
</div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
<b> </b>नई दिल्ली। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे में विभिन्न भारतीय भाषाओं में बहुत कुछ लिखा गया है, जिनमें बहुत सी रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं पर अभी भी ढेर सारी ऐसी रचनाएं हैं, जिनका प्रकाशन होना है। प्रकाशित और अप्रकाशित रचनाओं, लेख और अखबारों की कतरनों को साहित्य अकादमी किताब के रूप में प्रकाशित करेगा। इसके लिए अकादमी ने ˜महात्मा गांधी पर लिखित रचनाओं के संकलन की परियोजना शुरू की है। हिंदी भाषा में करीब चार खंडों में प्रकाशित होने वाली इस किताब का संपादन वरिष्ठ आलोचक व साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी करेंगे। सूत्रों के अनुसार साहित्य अकादमी ने महात्मा गांधी की रचनाओं के संकलन की जो परियोजना तैयार की है, उसमें सभी 24 भारतीय भाषाओं में लिखित रचनाओं को शामिल किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार संकलन में शामिल किए जाने के लिए रचनाओं को चिन्हित करने के लिए अभी तक छह भारतीय भाषाओं के संयोजकों का चयन किया जा चुका है। हर भाषा का संयोजक उस भाषा में लिखित रचनाओं का चयन करेगा, जिसका बाद में हिन्दी में अनुदित कर पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जाएगा। डोगरी भाषा में महात्मा गांधी के ऊपर क्या कुछ लिखा गया, उसे एकत्र करने की जिम्मेदारी ललित मंगोत्रा को दी गई है। इसी तरह अंग्रेजी के लिए आलोक भल्ला, राजस्थानी के लिए चन्द्रप्रकाश देवल, हिन्दी के लिए माधव कौशिक, मैथिली के लिए रत्नेश्वर मिश्र और संथाली के लिए छोटे राम माझी को रचनाओं के चयन की जिम्मेदारी दी गई है। अन्य भारतीय भाषाओं में गांधी पर रचनाओं को तलाशने के लिए विद्वानों का चयन इसी महीने होने वाली बैठक में किए जाने की संभावना है। अकादमी सूत्रों के अनुसार पुस्तक के पहले खंड को जल्द से जल्द प्रकाशित किए जाने की योजना है।</div>
</td></tr>
</tbody></table>
</div>
amit kumarhttp://www.blogger.com/profile/13031613113379009188noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4518198162576089446.post-60511188163100431892013-04-22T04:51:00.002-07:002013-04-22T04:51:55.033-07:00Rashtriya Sahara. 21/4/13<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
<div style="clear: left; float: left; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em; text-align: justify;">
<br /></div>
<table style="background-color: white; font-family: arial; width: 100%px;"><tbody>
<tr><td><div class="haedlinesstory" style="font-family: mangal; font-size: 20px; font-weight: bold; text-align: justify;">
पुलिस और सरकार के रवैये से सामाजिक संगठन नाराज</div>
</td></tr>
<tr><td><table style="text-align: justify;"><tbody>
<tr><td><br /></td></tr>
<tr><td><br /></td></tr>
</tbody></table>
<div class="bodyd" style="font-family: mangal; font-size: 16px; line-height: 24px; text-align: justify;">
</div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
नई दिल्ली (एसएनबी)। गुड़िया के साथ हुए दुष्कर्म की घटना को सामाजिक संगठनों में भारी गुस्सा है। महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों का मानना है कि सरकार और पुलिस का व्यवहार गैर जिम्मेदाराना हो गया है। </div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="http://1.bp.blogspot.com/-xUSoWMRxvNc/UXUi3STwDgI/AAAAAAAAA94/GGHCsV1y4Fk/s1600/ranjana+kumari.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em; text-align: justify;"><img border="0" height="131" src="http://1.bp.blogspot.com/-xUSoWMRxvNc/UXUi3STwDgI/AAAAAAAAA94/GGHCsV1y4Fk/s200/ranjana+kumari.jpg" width="200" /></a></div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
गुड़िया मामले पर सेंन्ट्रर फोर सोशल रिसर्च (सीएसआर) की निदेशक डा. रंजना कुमारी मानना है कि जिस तरह से पुलिस पीड़ित पिता को घूस देकर पूरे मामले पर पर्दा डालने की कोशिश की है वह पूरे पुलिस महकमें के चरित्र को उजागर करता है। उससे भी ज्यादा राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष द्वारा गैर जिम्मेदाराना बनाया देना कि ‘आज रामनवमी का दिन है हम कल कार्रवाई करेंगे। यह तो हद हो गई। </div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
</div>
<a name='more'></a><br /><br />
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
<img src="http://www.rashtriyasahara.com/EpaperImages/2142013/4487FC624A4621420133170968-small.jpg" /></div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (एकवा) की राष्ट्रीय सचिव कविता कृष्णन का कहना है कि पिछले दिनों वर्मा कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी है पर उस रिपोर्ट को अभी तक पूरी तरह से सरकार ने देखा भी नहीं है। फिर यह कैसे विश्वास किया जाए की सरकार महिलाओं की सुरक्षा और उनके ऊपर होने वाले अत्याचार, शोषण को लेकर गंभीर है। </div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
<img src="http://www.rashtriyasahara.com/EpaperImages//2142013//4487FC624A4621420133170531.jpg" /></div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग की सदस्य डा. वंदना प्रसाद कहती हैं कि इस पूरे घटनाक्रम से जो बात सामने ऊभर कर आयी है वह है पुलिस की भूमिका। उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि बच्चे गुम हो रहे है। ऐसे में पुलिस को ज्यादा संवेदनशील होना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। </div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
<img src="http://www.rashtriyasahara.com/EpaperImages//2142013//4487FC624A4621420133170734.jpg" /></div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
गैर सरकारी संस्था हक की संस्थापक निदेशक भारती अली कहती है कि गुमशुदा बच्चों की एफआईआर तुरंत दर्ज होनी चाहिए पर ऐसा होता नहीं है। हमने देखा है कि पीड़ित को एफआईआर दर्ज कराने में तीन-चार दिन से लेकर एक सप्ताह से भी ज्यादा का समय लग जाता है।</div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
</div>
</td></tr>
<tr><td><table align="left"><tbody>
<tr><td><br /></td></tr>
<tr><td><br /></td></tr>
</tbody></table>
</td></tr>
<tr><td><table align="left"><tbody>
<tr><td><br /></td></tr>
<tr><td><img align="right" class="hand1" src="http://www.rashtriyasahara.com/images/dnsenlarge.gif" style="cursor: pointer; font-size: 11px;" /></td></tr>
</tbody></table>
</td></tr>
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</div>
amit kumarhttp://www.blogger.com/profile/13031613113379009188noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4518198162576089446.post-513312557694675212013-04-22T04:30:00.004-07:002013-04-22T04:30:51.332-07:00Rashtriya Sahara. 21/4/13<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="http://3.bp.blogspot.com/-YuTCXd8Bdj0/UXUfN8ketUI/AAAAAAAAA9s/UBSlXOH4w2A/s1600/21+copy.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="326" src="http://3.bp.blogspot.com/-YuTCXd8Bdj0/UXUfN8ketUI/AAAAAAAAA9s/UBSlXOH4w2A/s400/21+copy.jpg" width="400" /></a></div>
<br /></div>
amit kumarhttp://www.blogger.com/profile/13031613113379009188noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4518198162576089446.post-12686625859082683892013-04-22T04:19:00.001-07:002013-04-22T04:25:01.344-07:00Rashtriya Sahara 22/4/13<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="http://1.bp.blogspot.com/-oaNUX90hBy8/UXUcq5kD-YI/AAAAAAAAA9g/qVqwRUeF-v4/s1600/rs-2.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="253" src="http://1.bp.blogspot.com/-oaNUX90hBy8/UXUcq5kD-YI/AAAAAAAAA9g/qVqwRUeF-v4/s400/rs-2.jpg" width="400" /></a></div>
<br /></div>
amit kumarhttp://www.blogger.com/profile/13031613113379009188noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4518198162576089446.post-30251785396479684662013-04-22T04:17:00.000-07:002013-04-22T04:17:16.004-07:00Rashtriya Sahara- 22/4/13<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="http://3.bp.blogspot.com/-WAPtFJVjfxg/UXUb9JtvYpI/AAAAAAAAA9Y/JPK_RGbmjT4/s1600/rs-1.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="192" src="http://3.bp.blogspot.com/-WAPtFJVjfxg/UXUb9JtvYpI/AAAAAAAAA9Y/JPK_RGbmjT4/s320/rs-1.jpg" width="320" /></a></div>
<br /></div>
amit kumarhttp://www.blogger.com/profile/13031613113379009188noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4518198162576089446.post-24630203330292316402013-04-22T04:13:00.002-07:002013-04-22T04:13:48.296-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<table style="background-color: white; font-family: arial; width: 100%px;"><tbody>
<tr><td><div class="haedlinesstory" style="font-family: mangal; font-size: 20px; font-weight: bold;">
इंसाफ न मिला तो बन जाऊंगी आतंकवादी</div>
</td></tr>
<tr><td><div class="bodyd" style="font-family: mangal; font-size: 16px; line-height: 24px; text-align: justify;">
</div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
<b> </b>नई दिल्ली। इंसाफ की मांग को लेकर पिछले सौ दिनों से जंतर-मंतर पर बैठी राष्ट्रीय स्तर की बालीबॉल खिलाड़ी ने रविवार को कहा कि अगर अब न्याय नहीं मिला तो वह आतंकवादी बन जाएगी, और इसकी जिम्मेदार सरकार होगी। उन्होंने कहा कि सरकार पीड़िता को न्याय दिलाने के बजाय आरोपी को संरक्षण देती है। कानूनी दावपेंच में मामले को लंबा खींचा जाता है। ऐसे में मेरे सामने आतंकवादी बनने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। पंजाब की यह महिला प्रदेश स्तर की खिलाड़ी हर चुकी है। ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट के तौर पर वह दूसरों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ती रही हैं। वह पैरामेडिकल छात्रा से गैंगरेप की घटना के बाद न्याय की आस लिए राजधानी के जंतर मंतर पहुंची थी और यहां पर 12 जनवरी से सात फरवरी तक भूख हड़ताल पर बैठी थी। तब हालत खराब होने के बाद भूख हड़ताल समाप्त कर दी, लेकिन अभी तक यही पर डटी हुई हैं। इन सौ दिनों में रात के अंधेरे में पुलिस के चेहरे और चरित्र को नजदीक से देखने वाली यह खिलाड़ी कहती है कि रात के सन्नाटे में पुलिसवालों की बातचीत को सुन कर दिल दहल जाता है। लगता है जैसे उनके अंदर मानवता जैसी कोई चीज ही नहीं बची है। पिछले दिनों पांच वर्पीय बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म की घटना से वह काफी परेशान हैं। वह कहती हैं कि पैरामेडिकल छात्रा से गैंगरेप की घटना के बाद लगा था कि सरकार और पुलिस की सोच में बदलाव आयेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अब महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए खुद ही पहल करनी होगी। उन्होंने पंजाब कै डर के एक आईपीएस अधिकारी पर जबरन शारीरिक संबंध बनाने और मारपीट का आरोप लगाते हुए कहा कि इस घटना हो गुजरे चार वर्ष होने को आ रहे हैं पर अभी तक न्याय नही मिला है। राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री तक से गुहार लगा चुकी हूं। पिछले सप्ताह यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने गयी थी। लेकिन अभी तक कहीं से भी न्याय मिलता हुआ नहीं दिख रहा है। ऐसे में अब मैं इतनी ज्यादा मायूस हो चुकी हूं कि मेरे सामने एक ही रास्ता बचा है आतंकवादी बनने का। उन्होंने कहा कि अगर सरकार और पुलिस का रवैया ऐसे ही रहा तो आने वाले समय में रेप की शिकार महिलाएं न्याय के लिए पुलिस और कानून के पास जाने के बजाए खुद ही बदूंक उठाने को मजबूर होंगी।</div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
रेप की शिकार महिलाओं को न्याय पाने के लिए अब खुद उठानी होगी बंदूक न्याय की आस लिए सौ दिनों से जंतर-मंतर पर बैठी है पीड़िता</div>
</td></tr>
</tbody></table>
</div>
amit kumarhttp://www.blogger.com/profile/13031613113379009188noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4518198162576089446.post-55823660829179214382013-04-22T04:08:00.000-07:002013-04-22T04:08:40.647-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
<table style="background-color: white; font-family: arial; width: 100%px;"><tbody>
<tr><td><div class="haedlinesstory" style="font-family: mangal; font-size: 20px; font-weight: bold;">
दुष्कर्मी को मानसिक रोगी कहना गलत : डॉक्टर</div>
</td></tr>
<tr><td><div class="bodyd" style="font-family: mangal; font-size: 16px; line-height: 24px; text-align: justify;">
</div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
नई दिल्ली । पांच वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी को मानसिक रोगी बताए जाने को कुछ डॉक्टर गलत मान रहे हैं। उनके अनुसार इस तरह के वीभत्स कृत्य को अंजाम देने वाला व्यक्ति बीमार नहीं हो सकता। अगर कोई मानसिक रूप से बीमार होगा तो उसका असर उसके पूरे व्यक्तित्व पर देखने को मिलेगा। ऐसे व्यक्ति की पहचान आसान है, लेकिन पांच वर्षीय बच्ची के साथ जिस तरह से दुष्कर्म किया गया है, उसे कोई विकृत मानसिकता वाला व्यक्ति ही अंजाम दे सकता है। डॉक्टर्स ऐसे लोगों के लिए मेडिकल शब्द ‘पाराफिलियस’ का इस्तेमाल करते हैं। इसके साथ ही एक और शब्द ‘सेडिज्म’ का इस्तेमाल किया जाता है। इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट सायकायट्रिस्ट के पूर्व अध्यक्ष डा. अवधेश शर्मा ऐसे लोगों को मानसिक रोगी मानने को कतई तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को मानसिक रोगी कहकर सजा में नरमी की मांग की जाती है। जबकि हकीकत यह है कि ऐसे कृत्य को अंजाम देने वाले मानसिक विकृति के शिकार होते हैं। हम लोग ऐसे लोगों को मेडिकल भाषा में पाराफिलियस कहते हैं। इस तरह के विकृत मानसिकता वाले लोग दूसरों की भावनाओं के प्रति असंवेदनहीन होते हैं। उन्हें दूसरों को दुख पहुंचाने में मजा आता है। ऐसे लोग इतने वीभत्स तरीके से सेक्सुअल रिलेशन बनाते हैं कि सामने वाले को ज्यादा से ज्यादा पीड़ा हो। ऐसे में जब शराब या अन्य कोई दूसरी चीज जैसे अश्लील फोटो, फिल्म या पुस्तक मिल जाए, तो उससे जो कुछ भी वह ग्रहण करते हैं, उससे भी ज्यादा वीभत्स तरीके से ये लोग शारीरिक संबंध बनाते है। शर्मा के अनुसार, ऐसे ही लोग मुख मैथुन जैसे कृत्य को अंजाम देते हैं। सफदरजंग अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक प्रो. यतीश अग्रवाल भी ऐसे लोगों को मानसिक रूप से बीमार नहीं मानते हैं। वह कहते हैं कि मानसिक विकृति का इलाज है, लेकिन ऐसे लोगों की पहचान नहीं हो पाती, क्योंकि हाव भाव या चेहरे से विकृत मानसिकता का पता नहीं चलता। शर्मा ने ऐसे लोगों की पहचान के लिए कुछ संकेत बताए हैं, लेकिन उन पर पूरी तरह से भरोसा नहीं किया जा सकता। मानसिक रोगी नहीं, मानसिक विकृति वाले लोग करते हैं ऐसे कृत्य ऐसे लोगों पहचानना मुश्किलक्ष्/</div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
<b style="background-color: white;">विकृत मानसिकता वालों के लक्षण </b>अपोजिट सेक्स वालों के साथ अकेले रहने की कोशिश करना, मौके तलाशना या फिर ऐसे हालात पैदा करना जिससे कि एकांत मिले बगैर किसी कारण के शरीर को ‘टच’</div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
करना, कपड़े की तारीफ करते हुए शरीर को टच करने की कोशिश करना। अश्लील कमेंट करना। कोई बच्चा अगर किसी से कटा-कटा सहमा हुआ रहे, तो ऐसे लोगों से सतर्क हो जाना चाहिए। ऐसे लोग भी मानसिक विकृति वाले हो सकते हैं।</div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
<b style="background-color: white;">कैसे पैदा होते हैं विकृत मानसिकता वाले लोग</b> यौन हिंसा के शिकार बच्चे भी बड़े होकर ऐसे कृत्य को अंजाम देते हैं। उन्हें लगता है कि वह ऐसा करके अपने साथ हुए कृत्य का बदला ले रहे हैं। दूसरों के द्वारा बार-बार यह कहते सुना जाना कि स्त्री तो सिर्फ सेक्स के लिए होती है। अश्लील फि ल्में देखना, अश्लील पुस्तकें पढ़ना या फिर दोस्तों से शारीरिक संबंध बनाए जाने के बारे में जानना। जिनके माता-पिता ज्यादा हिंसक होते हैं। जिनके घर का माहौल गाली-गलौज वाला होता है। बात-बात में लोग एक दूसरे से लड़ने-झगड़ने पर उतारू हो जाते हैं। जिन घरों में महिलाओं को इज्जत नहीं दी जाती।</div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
<b><br /></b></div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
<b style="background-color: white;">जब खुद चाहेंगे तभी उपचार संभव</b> ऐसे लोगों का इलाज तभी हो सकता है, जब वह खुद चाहेंगे। ऐसे लोग, जहां काम करते हैं, वहां भी लोगों को शर्मिदगी का शिकार होना पड़ता है। यह शर्मिदगी उस वक्त होती है, जब वह किसी महिला को टच करने की कोशिश करते हैं या एकांत में कमेंट करते हैं। जिन लोगों को अपोजिट सेक्स वाले के साथ एकांत में मिलने की उत्तेजना महसूस हो। उन्हें लगे कि वह सामने वाली महिला के साथ कुछ भी कर सकता है और वह कुछ नहीं कहेंगी, तो तुरंत उसे मनोरोग विशेषज्ञ के पास जाना चाहिए। ऐसे लोगों का इलाज दवा से नहीं हो सकता है। मनोरोग विशेषज्ञ उन्हें कुछ टिप्स बताते हैं, जिनमें अश्लील चीजों को न देखने, किसी महिला के साथ अकेले न रहने आदि की हिदायत दी जाती है।</div>
<div style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: 12px; text-align: justify;">
</div>
</td></tr>
</tbody></table>
<span style="background-color: white; color: #333333; font-family: arial; text-align: -webkit-center;"> </span><br />
<hr style="background-color: white; color: #333333; font-family: arial; text-align: -webkit-center;" />
<br /></div>
amit kumarhttp://www.blogger.com/profile/13031613113379009188noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4518198162576089446.post-81374916378526074772012-08-23T08:01:00.000-07:002012-08-23T08:02:41.209-07:00<a href="http://3.bp.blogspot.com/-arw3gOOU9Aw/UDZF_Fqi6RI/AAAAAAAAAl4/rb_hUlFKlIE/s1600/aaaa-13%2Bcopy.jpg"><img style="float:left; margin:0 10px 10px 0;cursor:pointer; cursor:hand;width: 249px; height: 320px;" src="http://3.bp.blogspot.com/-arw3gOOU9Aw/UDZF_Fqi6RI/AAAAAAAAAl4/rb_hUlFKlIE/s320/aaaa-13%2Bcopy.jpg" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5779884121931311378" border="0" /></a><br /><br />amit kumarhttp://www.blogger.com/profile/13031613113379009188noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4518198162576089446.post-63184270365431363742012-04-24T04:23:00.000-07:002012-04-24T04:24:19.382-07:00गंदगी से मुक्ति के लिए ट्रेनों में ग्रीन टॉयलेट<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<table><tbody>
<tr><td><div class="haedlinesstory">
<br /></div>
<table><tbody>
<tr><td><span style="background-color: red;"></span>आने वाले दिनों में
रेलवे स्टेशनों पर पहुंचने के बाद रेल लाइनों पर फैली मल-मूत्र की गंदगी और
उससे उठने वाली बदबू की वजह से नाक बंद करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। रेलवे
इस समस्या से निजात दिलाने के लिए ट्रेनों में ग्रीन टॉयलेट लगाएगा। पहले
चरण में ढाई हजार ट्रेनों में ग्रीन टॉयलेट लगाए जाएंगे। ग्रीन टॉयलेट लगाए
जाने के बाद रेलवे लाइनों व स्टेशनों पर मल-मूत्र की गंदगी फैलने से तो
निजात मिलेगी ही, साथ ही स्टेशनों पर फैलने वाली गंदगी को साफ करने में
खर्च होने वाले हजारों लीटर पानी की बर्बादी भी रुकेगी। उत्तर रेलवे के
डीआरएम अनी लोहानी ने सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ट्रेनों
मे ग्रीन टॉयलेट की शुरुआत इस महीने से हो गई है और उत्तर रेलवे के एक
ट्रेन के कुछ एक डिब्बों में इसे लगाया गया है। उन्होंने बताया कि अभी पहले
चरण में इस साल कुल 2500 ग्रीन टॉयलेट ट्रेनों मे लगाए जाएंगे। इसके बाद
तीन हजार और ग्रीन टॉयलेट लगाए जाने की योजना है। लोहानी ने बताया कि
ट्रेनों में ग्रीन टॉयलेट लगाए जाने के बाद रेलवे स्टेशनों और रेलवे
ट्रैकों पर फैलने वाली गंदगी से बहुत हद तक निजात मिल जाएगी। दिल्ली मंडल
के सीनियर डीएमई जेकेंिसंह ने कहा कि ग्रीन टॉयलेट को इस तरह से डिजाइन
किया गया है कि महीने में एक बार ही इसकी जांच करने की जरूरत पड़ेगी। हर
टॉयलेट में 150 लीटर लिक्विड वैक्टीरिया डाला गया है, जो मल को अवशोषित कर
लेता है और मूत्र बाहर गिर जाता है। उन्होंने कहा कि एक बार ग्रीन टॉयलेट
के बाक्स में डाला गया वैक्टीरिया दो वर्षो तक काम करता है। उन्होंने बताया
कि एक ग्रीन टॉयलेट के निर्माण पर 90 हजार रुपये का खर्च आता है। इस वर्ष
लगेंगे ढाई हजार ग्रीन टॉयलेट</td></tr>
</tbody></table>
</td></tr>
</tbody></table>
</div>amit kumarhttp://www.blogger.com/profile/13031613113379009188noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4518198162576089446.post-43198908014963037422012-04-23T09:14:00.000-07:002012-04-23T09:14:26.394-07:00छुट्टियों में हासिल करें हुनर, होगा व्यक्तित्व विकास<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
<div class="bodyd">
</div>
<b> </b>नई दिल्ली।
खेल-खेल में बच्चों के व्यक्तित्व विकास और उन्हें हुनरमंद बनाने का
सिलसिला अगले महीने से शुरू हो जाएगा। अगले महीने से शुरू होने वाले समर
वर्कशॉप में दाखिला दिलाने के लिए अभिभावकों ने दौड़ लगानी शुरू कर दी है।
इस बार राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) ने राजधानी के नौ स्कूलों में
समर वर्कशॉप चलाए जाने की घोषणा की है, जबकि साहित्य कला परिषद ने 50 से
अधिक जगहों पर अपना वर्कशॉप चलाए जाने की बात कही है। एनएसडी और साहित्य
कला परिषद का वर्कशॉप मई महीने के तीसरे सप्ताह में शुरू होगा, जबकि बाल
भवन ने पहले सप्ताह से ही वर्कशॉप शुरू किये जाने की बात कही है। समर
वर्कशॉप के प्रति अभिभावकों की बढ़ती रुचि का अंदाजा इसी बात से लगाया जा
सकता है कि प्रतिवर्ष समर वर्कशॉप कराने के लिए भरे जाने वाले फार्मो की
संख्या में 20 से 30 फीसद तक का इजाफा हो रहा है। लोगों की बढ़ती रुचि का
फायदा उठाने के लिए सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं के अलावा स्कूलों ने भी
अपने-अपने स्तर पर ग्रीष्मकालीन कार्यशाला का आयोजन करना शुरू कर दिया है।
इसके लिए स्कूल और प्राइवेट संस्थाएं अभिभावकों से मोटी रकम लेती हैं।
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) की ओर से इस वर्ष नौ सेंटरों पर
कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। 18 मई से 17 जून तक चलने वाली इस कार्यशाला
में एक सेंटर में कम से कम 90 और अधिक से अधिक 120 बच्चे होते हैं। इन्हें
अलग-अलग ग्रुप में बांटकर तीन-तीन प्रशिक्षक अभिनय का प्रशिक्षण देते हैं।
एनएसडी की ओर जिन स्कूलों में कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा, उनमें
महाराजा अग्रसेन पब्लिक स्कूल (अशोक विहार), हैप्पी मॉडल स्कूल (जनकपुरी),
ग्रेट मिशन टीचर्स ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (सेक्टर-5, द्वारका), एनपी गल्र्स
सेकेंड्री स्कूल (सुजान सिंह पार्क), एनपी को- एड मिडिल स्कूल (हेवलोक
स्क्वेयर, आरएमएल अस्पताल के पास), एल्कान पब्लिक स्कूल (मयूर विहार फेज-1)
और डीएवी पब्लिक स्कूल, श्रेष्ठ विहार शामिल हैं। इसी तरह, साहित्य कला
परिषद की ओर से इस बार राजधानी के 50 से अधिक जगहों पर ग्रीष्मकालीन
कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। इसकी शुरुआत मई के तीसरे सप्ताह से होगी।
दिल्ली सरकार की ओर से आयोजित होने वाली इस कार्यशाला में हिस्सा लेने के
लिए बच्चों को किसी भी तरह का कोई शुल्क नहीं चुकाना होगा। लेकिन एनएसडी की
ओर से चलाई जाने वाली कार्यशाला के लिए प्रति छात्र 500 रुपये देने होंगे।
फार्म के लिए अलग से 50 रुपये चुकाने होते हैं। साहित्य कला परिषद के सचिव
शेखर वैष्णवी की मानें तो इस बार चारों जोन के 50 से अधिक पब्लिक और
सरकारी स्कूलों में कार्यशाला आयोजित की जाएगी, जिसमें चार हजार से अधिक
बच्चों को डेढ़ सौ से अधिक प्रशिक्षक ट्रेनिंग देंगे। राष्ट्रीय बाल भवन की
ओर से छुट्टी होने के साथ ही स्कूलों में ग्रीष्मकालीन कार्यशाला शुरू कर
दी जाएगी, जो जून के आखिर तक चलेगी। यहां बच्चों को प्रशिक्षण के लिए सबसे
कम फीस देनी होती है। यहां 5 से 12 साल के बच्चों को एक साल के रजिस्ट्रेशन
के लिए महज 50 रुपये व 13 से 16 साल के बच्चों को 100 रुपये देने होते
हैं। रजिस्ट्रेशन कराने वाले बच्चे वषर्भर बाल भवन में होने वाले तमाम तरह
के वर्कशाप में हिस्सा ले सकते हैं। बच्चों को राजधानी के तमाम इलाकों से
भवन तक लाने के लिए बस की फैसिलिटी भी भवन की ओर से मुहैया कराई जाती है।
इसके लिए बच्चों को दूरी के हिसाब से शुल्क चुकाना होता है। यहां बच्चे
खेल- खेल में फोटोग्राफी, कम्प्यूटर, क्ले मॉडलिंग, वुडवर्क, वीडियोग्राफी,
पेंटिंग्स, खेलकूद, संगीत, नृत्य, अभिनय आदि का प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते
हैं। साहित्य कला परिषद को छोड़कर एनएसडी और बाल भवन में रजिस्ट्रेशन शुरू
हो चुका है। इनके अलावा कई पब्लिक स्कूलों की ओर से निजी तौर पर
ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित किए जाते हैं, लेकिन इसके लिए
छात्रों से मोटी रकम वसूली जाती है।<br />
<div style="text-align: left;">
<span style="background-color: white;"><b><span style="color: blue;"> कौन-कौन से संस्थान चलाते हैं ‘समर वर्कशॉप’</span></b></span></div>
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय साहित्य कला परिषद श्रीराम सेंटर राष्ट्रीय
बाल भवन राष्ट्रीय प्राकृतिक विज्ञान केंद्र इनके अलावा कई गैर सरकारी
संस्थानों की ओर से भी समर वर्कशॉप का आयोजन किया जाता है। कितना लगेगा
शुल्क 50 रुपये से लेकर 500 रुपये तक (सरकारी संस्थाओं में)। निजी
संस्थाओं और स्कूलों की ओर से चलाए जाने वाले समर वर्कशॉप के लिए चुकाने
होंगे 500 से 7500 रुपये तक। निजी संस्थाओं के समर वर्कशॉप की फीस एनिमेशन
कोर्स के लिए 1000 से लेकर 3500 रुपए तक डांस के लिए 500 से 3000 रुपए तक
म्यूजिक के लिए 750 से लेकर 3000 रुपए तक फुटबाल व स्केटिंग के लिए 350
से 1500 रुपए तक कम्प्यूटर कोर्स के लिए 750 से 4500 रुपए तक आर्ट एंड
क्राफ्ट के लिए 250 से 1000 रुपए तक।<br />
<br />
</div>amit kumarhttp://www.blogger.com/profile/13031613113379009188noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4518198162576089446.post-63623588674753870352012-04-23T04:33:00.000-07:002012-04-23T04:33:49.233-07:00कब्जों के चलते रेलवे की कई योजनाएं अधर में<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<b>उत्तर रेलवे अतिक्रमण का शिकार हो गया है, जिस वजह से कब्जों के चलते रेलवे की कई योजनाएं अधर में लटी हुई हैं.</b><br />
<div id="article_text">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="http://1.bp.blogspot.com/-6HO8xrYsyjc/T5U9tg9IaQI/AAAAAAAAAUQ/zPAIQIJIsWo/s1600/daya-basti265_1335057113.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="http://1.bp.blogspot.com/-6HO8xrYsyjc/T5U9tg9IaQI/AAAAAAAAAUQ/zPAIQIJIsWo/s1600/daya-basti265_1335057113.jpg" /></a></div>
<br />
रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण का आलम यह है कि लोगों के रेलवे की जमीन पर
ट्रैक के निकट झुग्गी-झोंपड़ी बना लेने की वजह से एक दशक पूर्व रेल
मंत्रालय द्वारा स्वीकृत परियोजनाएं अब तक शुरू नहीं हो पाई हैं. स्वीकृत
इन परियोजना की मूल लागत में अब तीन सौ फीसद तक की बढ़ोतरी हो चुकी है. <br />
रेल मंत्रालय ने वर्ष 1999-2000 में दया बस्ती के पास दोहरी लाइन ग्रेड
सेपरेटर बनाए जाने की स्वीकृति प्रदान की थी. करीब 3.075 किलोमीटर लंबी इस
ग्रेड सेपरेटर को बनाने पर उस वक्त 54.15 करोड़ की राशि खर्च होने का
अनुमान था.<br />
रेलवे सूत्रों के अनुसार 3.075 किलोमीटर लंबी ग्रेड सेपरेटर परियोजना के
तहत चार पुल (एक आरयूबी, एक रेल ट्रैक फ्लाईओवर और दो नालों के ऊपर पुल)
बनाए जाने थे. जिस जगह पर यह परियोजना शुरू होनी थी, उस जगह पर करीब दो
हजार झुग्गीवासियों ने कब्जा किया हुआ है.<br />
उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी वाईएस राजपूत के
अनुसार झुग्गी-झोंपड़ी वालों के पुनर्वास के लिए वर्ष 2004-05 में रेलवे
ने दिल्ली सरकार के स्लम बोर्ड को 11.25 करोड़ रुपये का भुगतान किया था. <br />
उन्होंने कहा कि जिस समय झुग्गीवासियों के पुनर्वास के लिय रेलवे ने
संबंधित विभाग को राशि का भुगतान किया था, उस समय इतनी राशि में
झुग्गीवासियों का पुनर्वास हो गया होता, लेकिन अभी तक झुग्गीवालों ने रेलवे
की जमीन पर कब्जा जमाया हुआ है.<br />
अतिक्रमण हटाने में हो रही देरी की वजह से परियोजना की राशि बढ़कर 150
करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. परियोजना शुरू होने में अगर और देरी होती है,
तो लागत राशि में और इजाफा हो जाएगा. <br />
उन्होंने बताया कि अतिक्रमण हटाने के लिए रेलवे के अधिकारी दिल्ली सरकार
समेत संबंधित विभाग से लगातार संपर्क में हैं. लेकिन अभी तक कोई विशेष
प्रगति नहीं हुई है. राजपूत के मुताबिक, केवल ग्रेड सेपरेटर परियोजना ही
अधर में नहीं लटकी हुई है, बल्कि इसकी वजह से तुगलकाबाद से पलवल के बीच
प्रस्तावित चौथी रेल लाइन परियोजना भी अधर में है. इस रूट पर करीब पांच
किलोमीटर लंबे क्षेत्र में झुग्गीवासियों का कब्जा है. उन्होंने बताया कि
बल्लभगढ़ और फरीदाबाद के बीच करीब सवा सात सौ झुग्गियां हैं.<br />
उन्होंने बताया कि तुगलकाबाद और पलवल के बीच चौथी रेल लाइन परियोजना को
रेल मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद रेलवे मार्च, 2012 तक 200 करोड़
रुपये खर्च भी कर चुकी है. जबकि इस पूरी परियोजना पर 123.90 करोड़ खर्च
होने थे. अतिक्रमण की वजह से यह परियोजना कब तक पूरी होगी कहना मुश्किल है.</div>
</div>amit kumarhttp://www.blogger.com/profile/13031613113379009188noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4518198162576089446.post-64437345613916890102012-03-15T03:12:00.000-07:002012-03-15T03:13:34.713-07:00नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को अपग्रेड करने के लिए नहीं मिले 150 करोड़<table border="0" cellpadding="0" cellspacing="0" width="100%"><tbody><tr><td colspan="2" align="left" valign="top"><div style="line-height: 45px;"> <h1><br /></h1></div> </td> </tr> <tr> <td colspan="2" align="left" height="9"><table border="0" cellpadding="0" cellspacing="0" width="100%"> <tbody><tr> <td colspan="3" align="left"><br /></td> </tr> <tr> <td style="padding-bottom: 12px;" align="left" width="1%"><br /></td> <td align="left" width="0%"><br /></td> <td style="font-size: 15px;" align="left" valign="top" width="99%"><table border="0" cellpadding="0" cellspacing="0" width="100%"> <tbody><tr> <td style="padding-bottom: 5px; padding-top: 15px;" valign="bottom"><br /></td> </tr> <tr> <td><br /></td> </tr> </tbody></table></td> </tr> </tbody></table></td> </tr> <tr> <td colspan="2" align="left"><br /></td> </tr> <tr> <td colspan="2" align="left" bgcolor="#505050" height="1px"><br /></td> </tr> <tr> <td colspan="2" align="left" height="5px"><br /></td> </tr> </tbody></table> <div class="content-texta"><table align="right" border="0" cellpadding="0" cellspacing="0" width="40%"> <tbody><tr> <td><img src="http://www.samaylive.com/pics/article/new-delhi-rail2_1331770030.jpg" alt="नई दिल्ली रेलवे स्टेशन" title="नई दिल्ली रेलवे स्टेशन" class="listing-image" style="float: right; border: 1px solid rgb(204, 204, 204); padding: 1px;" align="right" width="265" hspace="10" /> </td> </tr> <tr> <td><table align="right" border="0" cellpadding="5" cellspacing="0" width="98%"> <tbody><tr> <td style="white-space: normal;">रेल बजट 2012-13 में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को अपग्रेड करने के लिए नहीं मिले 150 करोड़ रुपए.<br /> <ins style="display: inline-table; border: medium none; height: 60px; margin: 0pt; padding: 0pt; position: relative; visibility: visible; width: 234px;"><ins id="aswift_1_anchor" style="display: block; border: medium none; height: 60px; margin: 0pt; padding: 0pt; position: relative; visibility: visible; width: 234px;"></ins></ins></td> </tr> </tbody></table> <p> </p></td> </tr> </tbody></table> <p><b>इस बार के रेल बजट में देश के सबसे बड़े डिवीजन दिल्ली को केवल निराशा ही हाथ लगी. </b></p> <div id="article_text"><p>इस डिविजन को कुछ गिनी-चुनी रेलगाड़ियों के परिचालन के अलावा कुछ स्वचालित सीढ़ियां लगाने के लिए धन के अलावा कुछ भी खास हाथ नहीं लगा है. इस डिवीजन की उपेक्षा का यह आलम तब है जब इस डिवीजन से केवल यात्री-किराए से ही रेलवे का प्रतिवर्ष करीब पांच सौ करोड़ रुपए का टर्नओवर होता है. </p> <p>दिल्ली डिवीजन के नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली, आनंद विहार, हजरत निजामुद्दीन और सराय रोहिला स्टेशनों से प्रतिदिन सामान्य दिनों में करीब 12 लाख और पीक सीजन में 15 लाख यात्री आवाजाही करते हैं.</p> <p>सूत्रों के अनुसार नई दिल्ली स्टेशन को अपग्रेड करने के लिए 150 करोड़ रुपए चाहिए जिसे बजट में नजरअंदाज किया गया है. सूत्रों के अनुसार इसी तरह आंनद विहार और पुरानी दिल्ली स्टेशन के विकास के बारे में बजट में कोई अहमियत नहीं मिली है.</p> <p>दिल्ली से पूर्व की ओर कोई भी नई गाड़ी की सैगात नहीं मिली. उत्तर रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार दिल्ली डिवीजन में हर समय यात्रियों की दबाव रहता है. यात्रियों की हुजूम के हिसाब से यहां के स्टेशनों में उपलब्ध बुनियादी सुविधाएं काफी कम है. कई स्टेशनों पर यात्रियों को पीने का पानी भी मयस्सर नहीं होता है.</p> <p>कई प्रमुख स्टेशन काफी बड़े हैं, ऐसे में स्वचाचिलत सीढ़ियों की कमी का खमियाजा यात्रियों को उठाना पड़ता है. जर्जर प्लेटफार्म व भीड़ से अटे पड़े प्रतीक्षालयों से उन्हें संतोष करना पड़ता है. डिवीजन के सभी स्टेशनों में संरचनात्मक विकास करने की जरूरत है. फंड की काफी कमी है.</p> <p>नई रेलगाड़ियां : सराय रोहिला-उधमपुर एसी एक्सप्रेस (सप्ताह में तीन दिन), अजमेर- हरिद्वार (वाया दिल्ली), बांद्रा- सराय रोहिला (साप्ताहिक), सराय रोहिला- फरुखानगर (डीईएमयू), आनंद विहार- हलदिया (साप्ताहिक), जबलपुर- हजरत निजामुद्दीन, रोहतक-पानीपत पैसेंजर.</p> <p>गाड़ियां जिनका विस्तार किया गया : नई दिल्ली-लुधियाना शताब्दी एक्सप्रेस, अब मोगा तक जाएगी, अमृतसर-जयपुर, अजमेर तक जाएगी, दिल्ली-ऊना, हिमाचल एक्सप्रेस अब अंदोरा तक जाएगी, दिल्ली- जिंद पैसेंजर, नरवाना तक जाएगी, जींद-सिरसा, हिसार तक जाएगी, नांगलडेम-ऊना पैसेंजर, अंदोरा तक जाएगी, दिल्ली-मुजफ्फरनगर डीईएमयू, सहारनपुर तक जाएगी</p> <p>फेरों में वृद्धि: डिब्रूगढ़-चंडीगढ़, चंडीगढ़- बांद्रा, चंडीगढ़-सराय रोहिला, हजरत निजामुद्दीन- कन्याकुमारी, नई दिल्ली-रांची राजधानी एक्सप्रेस, सराय रोहिला-बीकानेर एक्सप्रेस.</p> <p>एनसीआर के स्टेशन : पुरानी दर नई दर (प्रस्तावित), गाजियाबाद -5-10, फरीदाबाद -7-10, रेवाड़ी -16 -20, शामली-17 -20, सहारनपुर-24 -30.</p> <p>आदर्श स्टेशन : हापुड़, मुजफ्फरनगर.</p> <p>बिजलीकरण के लिए प्रस्तावित सव्रे : कुरुक्षेत्र-कैथल- नरवाना, हिसार-जाखल-लुधियाना, मुरादाबाद-अलीगढ़- बरेली-चंदौसी.</p> <p>इस वर्ष तैयार होने वाले रेललाइन : उधमपुर-कटरा, कांजीगुंडा-बनिहाल, सुल्तानपुर-गुलबर्ग, खमनो-शेहोवाल, भानबेवा-गोहना, सुल्तानपुर- गुलबर्ग.</p></div> </div>amit kumarhttp://www.blogger.com/profile/13031613113379009188noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4518198162576089446.post-4924267091083991262011-09-19T07:36:00.001-07:002011-09-19T07:36:23.697-07:00तुम्हारा आना<span>तुम्हारा आना </span> <div><span>जैसे किसी मरूभूमी में </span></div> <div><span>गुलाब का खिल जाना </span></div> <div><span>जैसे आषाढ़ की गर्मी में </span></div> <div><span>सावन की घटा का छाना </span></div> <div><span>जैसे पुश की रात में </span></div> <div><span>वसंत हो जाना </span></div> <div><span>तुम्हारा आना </span></div> <div><span>जैसे सूर्ख गालों पर </span></div> <div><span>चुटकी भर भोर मल जाना </span></div> <div><span>जैसे किसी थके हुए पथिक को </span></div> <div><span>पीपल की छांव मिल जाना </span></div> <div><span>जैसे किसी प्यासे को </span></div> <div><span>पानी का घड़ा मिल जाना </span></div> <div><span>तुम्हारा आना </span></div> <div><span>जैसे उजड़े चमन में </span></div> <div><span>बहार आ जाना </span></div> <div><span>जैसे अंधेरी रातों में </span></div> <div><span>चांद का निकल आना </span></div> <div><span>जैसे किसी भटके हुए मुसाफिर को </span></div> <div><span>पगडंडी का मिल जाना </span></div> <div><span>तुम्हारा आना ... </span></div>amit kumarhttp://www.blogger.com/profile/13031613113379009188noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-4518198162576089446.post-43863925281643013352011-08-18T04:04:00.000-07:002011-08-18T04:44:25.626-07:00हम हैं बिहारी या विजय<span style="font-size:130%;"><span id="ctl00_ContentPlaceHolder1_ConvertedText">
<br />
<br />गलत बर्दाश्त नहीं कर पाना यह लगता है, विजय की आदत सी बन गई है। मैट्रिक पास किये कई साल बीत चुके हैं। गांव में पढे लिखे में गिनती होने के बावजूद कोई भी काम नहीं है, कारण तुरंत गलत सही का विरोध कर देना। आज तो विजय ने हद कर दी सरपंच के बेटे को ही मार मार कर बुरा हाल कर दिया है। गोपाल बाबू किसी तरह सरपंच के हाथ पांव जोड़कर मामला सलटाने में लगे हुये हैं।
<br />गोपाल बाबू ठहरे छोटे मोटे कर्जदार किसान वह अपने बेटे विजय के रोज रोज के झंझट से परेशान हो चुके हैं, आज उनका टेम्पर बहुत हाई है। ‘सुनो राघव बहुत संयोग से तुम दिल्ली से आये हो, इस बार इस नालायक को भी यहां से ले जाना, हम तंग आ चुके हैं’।
<br />‘बाबूजी हमने क्या किया है,
<br />सुनो राघव भैया वो सरपंच का बेटा , राजू भैया की जो साली बबीता आयी है उसे बुरी तरह से छेड़ रहा था, हम बीच में नहीं आते तो पता नहीं क्या करता। हम कोई नपुंसक तो हैं नहीं कि चुपचाप देखते रहते।’
<br />‘खबरदार, सारे गांव की लडकियों की चिंता है तुम्हें अपनी बहन कुवांरी बैठी है, इसकी फिक्र है घ् रूपयों के कारण अच्छा घर हाथ से निकल जा रहा है, और तुम मुफ्त का अनाज खाआ॓ और साड की तरह लड़ो। तुम राघव के साथ दिल्ली जा रहे हो बस।’
<br />आज गांव में काली पूजा की धूम मची हुई है ,गाने-बजाने, आकेस्ट्रा का प्रोगाम चल रहा है, सभी खूब इंजॉय कर रहे हैं। लेकिन विजय वहां खामोश बैठा है। राघव भैया, विजय को समझाने की कोशिश करते हैं, लेकिन विजय वहां से तमतमाते हुए चला जाता है। रात का समय है, विजय खाना खा रहा होता है तभी उसकी मां समझाती है ‘ देख बेटा दिल्ली जाआ॓गे तो दो पैसा कमा कर भेजोेगे तब तो पूजा की शादी और कर्ज उतार पायेंगे।’
<br />‘ठीक है मां जब तू भी यही चाहती है तो हम जाते हैं लेकिन ए क शर्त है।’
<br />‘ क्या ’घ्
<br />‘तुम रोना मत, और अब अच्छा लडका देखना शुरू कर दो, हम जा रहे हैं।
<br />’ मां की आंखो में आंसूू आ जाते हैं। इधर विजय के जाने की खबर सुनकर जो सबसे ज्यादा उदास होती है वह है बबीता। उस दिन के घटना के बाद से बबीता मन ही मन विजय से प्यार करने लगती है।
<br />र्ट्रेन खुल चुकी है, विजय जनरल बॉगी में किसी तरह बैठने के लिए जगह बनाता है, चिंताआ॓ से घिरा हुआ है, आखिर अब दिल्ली में करेगा क्या घ्
<br />‘राघव भैया , दिल्ली में हम करेंगे क्या’ घ्
<br />‘अरे वहां बहुत काम है, गाडी चलाना जानता है’ घ्
<br />‘टर्र्र््रेक्टर भी चला लेते हैं’
<br />तो बस हो गया, ऑटो रिक्शा चला लेना, मैं अपने पुराने मालिक से तेरे लिए बात कर लूंगा और तुम्हारा वो दोस्त लक्ष्मण चाचा का बेटा मनोज भी तो है , वह भी यही ऑटो चलाता है।
<br />राघव गली कुची से होते हुए अपनी छोटी सी खोली में विजय को ले जाता है। विजय इस छोटी सी खोली, इस अस्त व्यस्त जगह को देखकर सोच रहा है साला यही दिल्ली है, इससे तो अच्छा अपना गांव है।
<br />शाम का समय है, विजय अकेले कमरे में बैठा होता है तभी अचानक से मनोज अंदर आता है और कहता है कि अरे यार विजय आ पहले गले लग जा, बता कैसा है । गांव में सब ठीक है ,तु कैसे गांव से शहर आ गया ।
<br />‘बस सबने मिलकर जबरदस्ती भेज दिया , और सब ठीक है।’
<br />‘तु काम की चिंता मत कर, राघव भैया हमें मिले थे। मेरे पास ए क ऑटो रिक्शा है हम उसे रात में चलाए ंगे और तुम उसे दिन में चलाना’।
<br />अब चल तुम्हें दिल्ली की सैर कराता हूं। अच्छा ये बता गांव में मेरी वाली कैसी है। ‘कैसी है घ् किसी और के साथ भाग गई’। ‘चल भाग साले तू’।
<br />मनोज विजय को अपने ऑटो में बैठाकर घूमाने निकलता है, दूर से ही अपने ऑटो से कुतुबमीनार दिखाते हुए ए क र्पा के अंदर ले जाता है, जहां लडके लडकियां रोमांस कर कर रहे होते हैं। विजय बोलता है कि ये तुम कहां ले आए हो।
<br />‘यही तो जन्नत है वहां देखो, जोडे की आ॓र दिखाकर , ये लालकिला है , ये कुतूबमीनार और ये ताजमहल है’। ‘चल साले तु नहीं सुधरेगा’ ।
<br />आज सुबह सुबह ही विजय ऑटो लेकर निकल जाता है। पेसैंजर का इंतजार कर रहा होता है, तभी ए क लडकी आती है और बोलती है।
<br />‘भैया गुरूद्वारा चलोगे’।
<br />‘हां क्यों नही ? लडकी बैठ जाती है ऑटो चलती है उसकी नजर मीटर पर पडती है, मीटर चालु होती है वह बोलती है
<br />‘भैया वाह आप तो बहुत ईमानदार हो , बिना बोले मीटर से ले जा रहे हो , यहां तो बोलने पर भी कोई मीटर से नहीं चलता है। ’
<br />‘मैडम इसमें ईमानदारी क्या यह तो नियम है’।
<br />‘नहीं नहीं ये ऑटो वाले ज्यादातर बिहारी होते हैं। बहुत ढीट और ठग होते हैं। आप तो पक्का बिहारी नही हो ।’
<br />‘विजय अपने गुस्से पर ंर्र्र्ट्रोल करते हुए ‘ नह मैडम ए ेसी बात नहीे है’।
<br />‘ए ेसी बात नहीं क्या, सारे के सारे बिहारी चोर और गंवार होते हैं’।
<br />अब विजय से बर्दाश्त नहीे होता है वह तेज ब्रेक मारकर ऑटो रोकता है और बोलता है ‘ मैडम अभी के अभी उतरो ’।
<br />‘क्यों’ ?
<br />‘क्योंकि हम भी बिहार के रहने वाले हैं और आप जैसी पढी लिखी बददिमाग और बदतमीज लडकी से हम मुंह ंलगाना नहीे चाहते हैं।
<br />लडकी ऑटो से उतरते हुए ‘ ए ेसा मैंने क्या गलत कह दिया, सभी तो कहते हैं ’।
<br />‘सब जो कहते हैं जरूरी नहीं वह सही ही कहते हैं और हम आपके जानकारी के लिए बता देते हैें कि, जिस लोकतंत्र को पूरे विश्व ने माना है, वहां के संविधान लिखने का भी गौरव ए क बिहारी को प्राप्त है, देश के प्रथम राष्टपति डॉ राजेंद्र प्रसाद। ‘गौतम बुद’ जिनके ज्ञान और उपदेश की चर्चा पूरे विश्व में है, उन्हें भी ज्ञान की प्राप्ति बिहार में ही हुई और कुछ सुनाउं।
<br />वह माई फुट बोलते हुए और पैर पटकते हुए वहां से चली जाती है। रात का समय है राघव भैया विजय से पुछ रहे हैं , तब आज की कमाई कैसी रही। विजय बोलता है ठीक ही रही, बस यहां के कुछ लोग थोडे बदतमीज है।
<br />धूप खिली हुई है विजय खाली ऑटो चलाते गुजर रहा है , तभी उसकी नजर मनोज पर पडती है, वह मनोज के पास पहुंचता है। दो तीन आदमी मनोज से बात कर कर रहे होते हैं,उसे डरा धमका रहे होते हैं
<br />‘साले पैसा मांगता है जहां से आया है वहीे भेज दूंगा।
<br />‘आप हिसाब देख लो साब, आप के यहां मेरा रूपया निकल रहा है।’
<br />‘बिहारी मादर---- मुझे हिसाब दिखाता है’।
<br />विजय चुपचाप सुन रहा होता है, अब उससे बर्दाश्त नहीे होता है वह उनलोगों को मारना शुरू कर देता है, उसके दो चार गुंडे और आ जाते हैं लेकिन विजय अकेले सब पर भारी पडता है, और मनोज का बकाया रूपया दिलवा कर छोडता है।यह सीन मनोज को कुछ और जानने वाले लोग देख रहे होते हैें। सबो में विजय की चर्चा होने लगती है। यह बात राघव भैया तक पहुंचती है, वह विजय को समझाते हैं दूसरो के मामले में मत पडो , यहां कमाने के लिए आए हो । हमें तो किसी से लडाई नहीे होती है। विजय बोलता है , आपलोग चुपचाप गाली सुन लेते हैं हम नहीे सुन पाते हैं। हमारा खून खौल उठता है। राघव फिर समझाते हैें और बोलते हैं कि थोडा दिमाग ठंढा रख कर काम करो, यह गांव नहीे शहर है।
<br />विजय टेलीफोन बूथ से मां से बात कर रहा होता है । गांव में विजय के चाचा के पास मोबाइल है उसी से बात होती है। शाम का समय है विजय बूथ से निकलकर ऑटो चलाते आगे बढता है तभी ए क कार पीछे से धीमी टक्कर मारती है, विजय ऑटो साइड करता है। कार रूकती है उससे तीन चार लडके निकलते हैं, विजय अपने ऑटो से निकलकर देख रहा होता है कि ऑटो का कुछ नुकसान तो नही हुआ। तभी ‘ये साले हॉर्न सुनाई नही देती है’
<br />‘भैया हम तो अपने साइड से जा रहे थे, सत्यानाश तो आपने हमारे ऑटो का कर दिया । अब इसका हर्जाना कौन भरेगा ’।
<br />‘साला हरामी बिहारी तुम मुझसे हर्जाना मांगेगा’।
<br />‘हर्जाना तो आपके बाप को भी देना होगा’।
<br />तभी उसमें से ए क विजय का कॉलर पकड लेता है, फिर क्या शुरू होती है मार पिटाई। इसी दौरान कार का शीशा फूट जाता है उन चारो की भी हालत खराब होती है। तभी मौके पर पुलिस पहुंचती है। सभी को थाना ले जाती है। राघव भैया को पता चलता है तो वह थाना आकर विजय को छुडा कर ले जाता है। राघव भैया विजय को बोलते हैं तेरे से ऑटो का काम नहीे होगा हमने दूसरा काम देख लिया है। बिल्डिंग बनाने का काम चल रहा है तुम्हें वहां काम कर रहे मजदूरों पर निगरानी का काम करना है, 4000 रूपये महीना मिलेगा। वहां लडना मत। विजय कुछ नहीें बोलता है।
<br />विजय साइट पर जाने लगता है, अच्छा काम चल रहा हैै।मजदूर सब विजय से घुल मिल जाते हैं। विजय भी वहीें मजदूरों की मदद करते रहता है। ए क दिन ए क मजदूर को छुट्टी लेनी होती है,क्योंकि उसकी बहन की शादी है। लेकिन जब वह छुट्टी मांगता है तो उसे नौकरी छोड देने को कहा जाता है। यह बात जब विजय जानता है तो इसका विरोध कर देता है, साथ में सारे मजदूर भी आ जाते हैं। उस मजदुर को तो छुट्टी मिल जाती है लेकिन विजय मेनेजमेंट के नजर पर आ जाता है। इनलोगों को लगता है यह बिहारी यहां नेतागिरी शुरू करें, इससे पहले निकाल दो । इधर वो मजदुर विजय को शादी में आने का निवेदन करता है। विजय मनोज को लेकर शादी में पहुंचता है, वहां बैंड बाजा, आकेस्ट्रा चलता है। दोनों खुब जमकर डांस करतें हैं।
<br />अचानक से ए क दिन विजय का हिसाब किताब कर दिया जाता है और उसे नौकरी छोड देने को कहा जाता है। उससे बोला जाता है कि इस काम के लिए उससे ज्यादा पढा लिखा लडका मिल गया है।विजय उनकी चाल समझ जाता है, मजदूर सभी विजय के साथ खडे हो जाते हैं, लेकिन विजय को लगता है ,मेरे कारण बेचारे इन लोगों के रोजी रोटी पर असर पडेगी। वह मजदूरों को समझाकर काम छोडकर चला जाता है। कुछ दिनों तक काम नहीे होने के कारण घर पर ही बैठा होता हे। तभी राघव भैया ए क दिन ए क प्रस्ताव लेकर आते हैं,वह विजय से बोलते हैं कि मेरे मालिक को ए क आदमी की जरूरत है, जिसे खेती बारी की जानकारी हो, लेकिन तुम्हें उसके लिए पंजाब जाना होगा। सरदार जी बहुत बडे किसान है, साथ ही बहुत अच्छे आदमी भी है। हम पर बहुत विश्वास करते हैं तब तो दिल्ली वाली दुकान का सारा भार हम पर छोडकर निश्ंिचत से पंजाब में रहते हैं।तुम्हे वहां कोई दिक्कत नहीे होगी। विजय बोलता है जब घर छोडकर निकल ही गया हूं तो क्या दिल्ली, क्या पंजाब । बस वहां आपलोगों की कमी खलेगी।
<br />‘अरे हम तो हर महीने वहां हिसाब देने आते ही हैं, भेंट होते रहेगी। अब बस तू जाने की तैयारी कर , हां वहां कोई झगडा मत कर लेना’।
<br />विजय अब पंजाब सरदार जी के घरं पहुंचता है , पहुंचते ही उसकी नजर ए क लडकी पर पडती है, दोनों ए क दूसरे को देखने लगते हैं। यह वही लडकी है जिसे विजय ऑटो से गुरू़़द्वारा ले जाते वक्त रास्ते में ही उतार दिया था। यह लडकी है सरदार जी की बेटी हरप्रीत। वह बोलती है ‘तुम ही वह ऑटोवाले हो ना, तुम यहां क्या कर रहे हो ’।
<br />‘अरे आप तो वही नकचढी मैडम हैं’।
<br />‘क्या बोला’।
<br />‘कुछ नहीं आप यहां क्या कर रही हैं’। हमको तो सरदार करतार सिंह ने यहां काम करने बुलाया है ’।
<br />‘वो मेरे पापा है तुम्हें यहां कोई काम नहीे मिलेगा।’
<br />तभी सरदार जी उधर से आते हैं, बोलते हैं ये क्या हंगामा हो रहा है। विजय सरदार जी को राघव भैया का चिट्टी देता है, और बोलता है राघव भैया ने मुझे भेजा है। सरदार जी बोलते हैं तुम्हीे विजय हो। तभी हरप्रीत बोलती है
<br />‘पापा ये यहां काम नहीें करेगा।
<br />‘ क्यों ’?
<br />‘ पापा आपको याद है जब मैं मौसी के यहां दिल्ली गयी थी , तो वहां ए क ऑटो वाले ने मुझे रास्ते में उतार दिया था, यह वही है, ये यहां नहीे रहेगा’’
<br />सरदार जी हंसते और बोलते हें , बेटा जब किसी ईमानदार आदमी को चोर बईमान या उसकी कौम को गाली दिया जाता है तो वह वही करेगा जो विजय ने किया था। तुम्हें बिहारी को गाली नहीे देनी चाहिए थी। कोई भी कौम अच्छा या बुरा नहीे होता है वहां के आदमी अच्छे या बुरे होते हैं। हरप्रीत झल्लाते हुए चली जाती है। यह बात सुनकर विजय सरदार जी के पैर छूता है और बोलता है आप सच में बहुत अच्छे आदमी हैं। सरदार जी का यहां फार्म हाउस होता है , यहीे विजय के रहने की व्यवस्था हो जाती है। सरदार जी के दो और भाई होते हैं, उनका परिवार, सभी साथ में रहते हैं। दो भाई में ए क सरदार जी से बडे होते हैं, जो पैर से अपाहिज होते हैं, लेकिन घर का फैसला उन्हीं के मर्जी से होता है। इन्हें कोई संतान नहीे है। दूसरा भाई बलबंत सिंह सरदार जी से छोटा है, उसके दो छोटे छोटे बच्चे होते हैें और सरदार करतार सिंह को तो ए क ही बेटी हरप्रीत हैंं। विजय यहां अपने काम से सबका दिल जीत लेता है। सरदार जी के बडे भाई जो अपाहिज हैं ,उनका सारा भार जैसे नहलाने ,खिलाने तथा सुलाने तक का वह अपने उपर ले लेता है। अपना खेत तो अपना खेत दूसरों के खेत में भी हाथ बंटा देता है। दूसरे लोग भी सरदार जी को कहते हैं आपको तो हीरा मिल गया है। घर की औरतों को कुछ बाहर का काम हो तो उनके मुंह पर सीधे विजय का ही नाम आता है और काम भी तुरंत हो जाता है। धीरे धीरे विजय सबका चहेता हो जाता है । बस हरप्रीत के साथ उसकी नोक झोंक चलती रहती है। हरप्रीत उससे कुछ पंजाबी में बोलती है तो विजय उसका जवाब भोजपुरी में देता है, और बोलता है कि हम आपको तो भोजपुरी सिखा कर रहेंगे। दोनों में यही सब होते रहता है।
<br />ए क दिन हरप्रीत अपने ए क दोस्त से मिलने के लिए तैयार हो कर जा रही है। खेत के बीच से रास्ता होता है । खेत में दो तीन लडके शराब पी रहे होते हैं, उनकी नजर हरप्रीत पर पडती है, वेलोग खेत का फायदा उठाना चाहते हैें, हरप्रीत को पकडकर खेत मे खीच लेते हैंै। तभी वह चिल्लाती है , येलोग हरप्रीत के साथ जोर जबरदस्ती कर ही रहे थे, तभी चीख की आवाज सुनकर विजय वहां पहुंच जाता है। उसकी इनलोगों के साथ लडाई होती है।ए क लडका पीछे से शराब की बोतल से विजय के सर पर वार करता है, उसके सर से खून गिरने लगता है, सभी भागने लगते हैं ,विजय उनको पकडने की कोशिश करता है ,लेकिन सभी भाग जाते हैं। हरप्रीत को लेकर विजय घर पहूुंचता है। विजय की मरहम पट्टी होती है। सभी लोग तहे दिल से ए हसान मानते हैं।
<br />हरप्रीत अब लडने के बदले उसका क्ष्याल रखने लगती है। वह विजय से बोलती है कि पापा उस दिन सही बोल रहे थे कि आदमी अच्छा या बुरा होता है , कोई कौम बुरा नहीे होता है।वह अब विजय के करीब आना चाहती है। वह विजय से भोजपुरी सीखने लगती है, ताकि वह उसके और करीब आ सके । अब तो उसके सपनो में भी विजय आने लगता हैं। हरप्रीत को विजय से प्यार हो जाता है। वह उसे बिना बोले समझाने की कोशिश करती है लेकिन सीधे साधे विजय को यह समझ में कहां आती है। घर में हरप्रीत की शादी की बात चल रही होती है । उसे कोई लडका वाला देखने आ रहा है। अब हरप्रीत से बर्दाश्त नही होता है वह जाकर अपनी सारी फीलिंग विजय से बता देती है। विजय उसे समझाता है यह गलत है, आप ए ेसा मत सोचिए , सरदार जी हम पर विश्वास करते हैं । वो क्या सोचेंगे ,ए ेसे भी हम आपके लायक नहीं है । हम तो बहुत गरीब है। हरप्रीत उससे बोलती है प्यार अमीर गरीब देखकर नहीं होता है। हरप्रीत उससे भोजपुरी में आई लव यू कहती है और चली जाती है।
<br />लडका वाले देखने आते हैं,विजय लडका को खेत दिखाने ले जाता है। हरप्रीत वहां पहुंच जाती है और लडके को ही सब बता देती है और उससे शादी नहीे करने की रिक्वेस्ट करती है। लडका मान जाता है । हरप्रीत विजय से कहती है, वह उससे बहुत प्यार करती है।वह शादी करेगी तो र्सि उसीसे , नहीं तो जान दे देगी । विजय को भी हरप्रीत अच्छी लगती थी , वह भी प्यार को स्वीकार कर लेता है। दोनो चोरी छिपे मिलने लगते हैं।
<br />विजय आजकल काफी परेशान रह रहा है। वह इस उलझन में पडा हुआ है कैसे हरप्रीत के बारे में अपने घर में बताए और सरदार जी को क्या बताए ं। तभी राघव भैया़ को आते देखता है, राघव भैया सरदार जी को हिसाब किताब देने आये हैें। विजय सोचता है क्योंना पहले राघव भैया से सारी बात बता दें। लेकिन विजय के कहने से पहले ही राघव विजय से कहते हैं कि तुम्हारी बहन पूजा की शादी ठीक हो गई है, घर से फोन आया था। सरदार जी से छुट्टी लेकर घर जाने की तैयारी करो। विजय अब मन की बात मन में ही रख लेता है और बहन की शादी की तैयारी के बारे में सोचने लगता है। विजय सरदार जी से यह बात बताता है और ए क महीने की छुट्टी लेता है। तभी वहां हरप्रीत आती है वह यह बात सुनकर खुश भी होती है और उदास भी होती है। खुश इसलिए कि पुजा की शादी ठीक हो गई और दुखी इसलिए कि ए क महीने विजय से दूर रहना होगा। सरदार जी बोलते हैं कि हां हां बेटा बहन की शादी है जरूर जाआ॓ और यदि कुछ रूपये की जरूरत हो तो मुझसे लेते जाना। अब विजय सामान लेकर घर जाने के लिए निकलता है, रास्ते में हरप्रीत उसका इंतजार कर रही होती है। हरप्रीत ए क सोने का चेन विजय को देती है और कहती है यह मेरे तरफ से पूजा के लिए है और हरप्रीत के आंखो में आंसु आ जाते हैं।विजय उसे गले लगाकर कहता है जल्द ही वापस आउंगा और तुमसे शादी करके तुम्हें अपने साथ ले जाउंगा यह बोलकर विजय चला जाता है।
<br />विजय अपने गांव पहुंचता है देखता है सबलोग उसका इंतजार कर रहे होते हैं। विजय देखता है कि बबीता उसके घर में खाना बना रही होती है। वह मां से पूछता है मां ये यहां खाना बना रही है। मां बोलती है कि बेटा तुम्हारे जाने के बाद से बबीता ने इस घर का सारा भार अपने उपर उठा ली है। सारे सुख दुख में बबीता ही हमारे साथ रही है और अभी तुम्हारी बहन खाना बनाए गी नहीें और बबीता हमको कुछ करने नहीे देती है।जैसे ही जानी कि तुम आ रहे हो तुम्हारे पसंद की ही खाना बनाने में लगी हुई है, यह बात सुनकर बबीता थोडी शर्मा जाती है।
<br />विजय शादी की तैयारी में व्यस्त है। आज बारात आने वाली है । खूब धूम धाम से शादी होती है। विजय के बहन की आज विदाई भी हो जाती है। अब विजय भी वापस जाने की बात करता है। वह मां को हरप्रीत के बारे में बताना चाहता है , तभी उसकी मां कहती है , बेटा जाना चाहते हो तो जाआ॓ लेकिन हम चाहते हैें कि अब तुम भी शादी कर ही लो, क्योंकि पूजा के जाने के बाद घर भी सूना सूना हो गया है, और हम दोनो ठहरे बूढे , कोई तो देखभाल करने वाला भी चाहिए । विजय बोलता है बबीता तो है ही , मां कहती है वही तो हम भी कहना चाहते हैं कि बबीता को हमेशा के लिए अपने ही पास रख लेते हैं। हम और तुम्हारे बाबूजी दोनों की यही इच्छा है तुम्हारी और बबीता की शादी हो जाए । ए क तरह से समझो कि तुम्हारे बाबूजी बबीता के घरवाले से बात भी कर लिए हैं, तुम्हें तो कोई दिक्कत नहीे है, हां ए क दिन पूजा कह रही थी कि बबीता तुम्हें उसी दिन से पसंद करने लगी है जिस दिन तुमने उसे सरपंच के बेटे से बचाया था। यह सब सुनकर विजय सन्न रह जाता है, और बिना कुछ कहे घर से निकल जाता है। उसके मौन को मां सहमति समझ लेती है।
<br />इधर विजय अब उलझन मे पडा हुआ है, ए क तरफ बबीता है जो उससे प्यार करती है और उसके मां बाप का पूरा क्ष्याल रखती है तो दुसरी तरफ हरप्रीत है जिसे वह दिलो जान से चाहता है और वह उसके बिना ज्रिंदा नहीं रह सकती है। विजय को कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि वह क्या करें ?इधर उसके घरवाले शादी की बात आगे बढाने में लगे हुए हैं। सभी लोग बहुत खुश है। बबीता विजय की परेशानी को देखकर अकेले में पूछती है कि आप शादी से खुश नहीं है क्या ? विजय चेहरे पर हंसी लाकर बात को टाल देता है। बबीता ए क दिन विजय के घर आती है, तो देखती है कि विजय की मां विजय का कपडा साफ कर रही होती है। वह बबीता से कहती है उस तरफ जो शर्ट पडी हुई है वह देना। बबीता शर्ट उठाती है तभी शर्ट उसके हाथ से गिर जाती है। उसके पॉकेट से ए क फोटो निकलती है जिसमें विजय और हरप्रीत साथ साथ होते हैं। अब बबीता वह फोटो अपने पास रख लेती है और शर्ट मां को दे देती है। अब बबीता फोटो लेकर विजय को ढूंढने निकलती है। फोटो दिखाकर विजय से पूछती है यह कौन है। पहले विजय बात को टालने की कोशिश करता है, लेकिन बबीता अपने सर की कसम देती है, तो विजय सारी बात बबीता को बताता है। बबीता सुनकर थोडी देर के लिए खामोश हो जाती है और फिर बोलती है आपको कुर्बानी देने की कोई जरूरत नहीं है, आप हमसे कहे तो होते, ए ेसे भी आपका हमारे उपर बहुत बडा ए हसान है। यह शादी नहीे होगी, आप पंजाब जाने की तैयारी कीजिए ।
<br />विजय पूछता है कैसे ?
<br />बबीता कहती है यह आप हम पर छोड दीजिए । बबीता विजय के सामने खुश होने का नाटक दिखाती है,कि उसे इस फैसले से कोई दुख नही है। वहां से जाने के बाद अकेले में बहुत रोती है।
<br />विजय और बबीता की शादी टूट जाती है और घरवाले भी विजय और हरप्रीत के बारे में जान जाते हैं। पहले तो बहुत गुस्से में होते है, फिर विजय की बात सुनकर सहमति दे देते हैं। विजय जाने से पहले बबीता से मिलता है और उससे कहता है हमें माफ कर देना, तुम्हें हमसे बहुत अच्छा लडका मिलेगा।
<br />अब विजय पंजाब पहुंचता है। हरप्रीत विजय को देखकर खुश हो जाती हैं। विजय अपने काम में लग जाता है। आज विजय और हरप्रीत दोनो फिर खेत में मिलते हैं, विजय का सर हरप्रीत के गोद में होता है। वह उससे बोल रहा होता है ‘ मेरे घर का तो मामला फिट हो गया , अब बस तुम्हारे पापा से बात कर लें। इस तरह चोरी छिपे मिलते बहुत डर लगता है, कोई देख लिया तो क्या समझेगा।’
<br />‘कोई नहीे देखेगा’।
<br />तभी सरदार जी का छोटा भाई बलवंत सिेह इनदोनो को खेत में देख लेता है। वह गुस्साते हुए विजय का कॉलर पकडता है, विजय उसे समझाने की कोशिश करता है, लेकिन वह ए क नही सुनता है और विजय को ए क जोरदार झापर मारता है और हरप्रीत का हाथ पकड खिंचते हुए घर की आ॓र ले जाता है। विजय भी पीछे पीछे आता है। हरप्रीत को गेट के अंदर करता है और विजय को बाहर ही रोक देता है। सरदार जी पूछते हैं
<br />‘क्या हो रहा है’।
<br />‘अपनी बेटी से पूछिए ’। यह बोलकर बलवंत सिंह बाहर चला जाता है।
<br />हरप्रीत बोलती है ‘ पापा हमदोनों ए क दूसरे से बहुत प्यार करते हैं।’
<br />‘साहब जी हम आपको यह बताने ही वाले थे, हमें माफ कर दीजिए , हम ए क दूसरे से बहुत प्यार करते हैं’। सरदार जी बोलते हैं ‘ खामोश, यदि ए क लफ्ज भी अपनी गंदे जुबान से निकाला तो जीभ खिंच लेंगे।’
<br />यह आावाज सुनकर घर के सभी लोग बाहर आ जाते हैं। सरदार जी के बडे भाई भी अपने व्हील चेयर लेकर आ जाते हैं। संयोग से राघव भैया भी आये होते हैं। सरदार जी फिर बोलते हैं ‘ मैंने तुम्हें क्या समझा और तुम क्या निकले , अभी के अभी यहां से निकल वरना तुम्हारे दो टुकडे कर दूंगा।’
<br />‘पापा मेरे भी दो टुकडे कर दीजिए , मैं विजय के बिना नहीे जी पाउंगी’। सरदार जी हरप्रीत को गुर्राकर देखते हैं।
<br />‘ साहब जी हमसे गलती हुई, लेकिन हम आपके बेटी से सच्चा प्यार करते हैें, हमें माफ कर दीजिए । ’
<br />‘अभी के अभी गंदी सुरत लेकर निकल जाआ॓’’
<br />तभी बलवंत सिंह अपने साथ 10-12 गुंडो को लाता है, जिसके पास तलवार, लाठी, चैन होता है, ये सब मिलकर विजय को मारना शुरू करते हैं। हरप्रीत का हाथ सरदार जी पकड लेते है, वह चिल्ला रही होती है। राघव भैया से नहीे देखा जाता है वे बचाने जाते हैं, लेकिन वे लोग उन्हें भी मारना शुरू कर देते हैें, और बिहारी कह कर गाली देने लगते हैं। उन्हें मार खाता देख , विजय उठता है और सभी गुंडो को मारना शुरू कर देता है ,धीरे धीरे सभी पस्त हो जाते हैं। विजय वहीे पास पडी तलवार उठाता है और बलवंत सिंह पर तान देता है, फिर तलवार फेंक देता है, और राघव भैया को उठाकर वहां से जाने के लिए निकलता है। गेट तक पहुंचते ही पीछे से ए क जोरदार आवाज आती है, यह आवाज सरदार जी के बडे भाई की होती है,
<br />वह बोलते हैें ‘ विजय यहां आआ॓’, विजय पीछे घूमता है और खून से लथपथ उनके पास जाकर खडा हो जाता है। फिर बोलते है ‘ हरप्रीत इधर आआ॓ ’। सभी स्तब्ध रहते हैं, वह दोनो का हाथ ए क दूसरे के हाथ में देते हैं और बोलते हैें ‘किसी को कोई ए तराज ,बहुत देर से तुमलोगों की बकवास सुन और देख रहा हू"’।
<br />सरदार जी बोलते है‘ भाई साहब आप ये क्या कर रहे हैं’
<br />‘इससे अच्छा लडका तु हरप्रीत के लिए ढू"ढ सकता है तो बता। यह चाहता तो इसे भगाकर कब का ले गया होता, तब क्या करता। दोनों ए क दूसरे से प्यार करते हैं, विजय ए क नेक बंदा है तब तुमलोगों को क्या परेशानी है’। ए क बार फिर वह जोरदार और आदेश के लहजे में कहते हैे ‘ किसी को कोई ए तराज’ कोई कुछ नहीे बोलता है।
<br />विजय और हरप्रीत सरदार जी के बडे भाई के पैर पर गिर जाते हैं। । वह दोनों को उठाते हैं और विजय से कहते हैं ‘ हमें माफ कर देना’।
<br />‘साहब जी आप हमें शर्मिंदा मत कीजिए ’।
<br />‘मुझे साहब जी मत बोल पुत्तर तुम तो अब हमारे बेटे हुए ’।
<br />सरदार जी भी अब दोनों को आशीर्वाद देते हैं, बलवंत सिंह चुपचाप खडा देख रहा होता है। तभी सरदार जी के बडे भाई बोलते हैें, यह शादी विजय के गांव बिहार से होगी, यही बहाने हमलोग बिहार भी देख लेंगे और विजय के घरवालों से भी मिल लेंगे।
<br />सभी लोग बिहार के लिए निकलते हैं, यहां छठ पर्व का माहौल होता है, येलोग विजय के घर पहुंचते हैं, उस दिन शाम का अर्ग होता है। सभी लोग पूजा का आनंद उठाते हैं और फिर दोनों की शादी हो जाती है। इधर बबीता भी शादी में अपने पति के साथ आयी हुई होती है।
<br />समाप्त</span> </span>amit kumarhttp://www.blogger.com/profile/13031613113379009188noreply@blogger.com0