Thursday, August 23, 2012
Tuesday, April 24, 2012
गंदगी से मुक्ति के लिए ट्रेनों में ग्रीन टॉयलेट
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Monday, April 23, 2012
छुट्टियों में हासिल करें हुनर, होगा व्यक्तित्व विकास
कब्जों के चलते रेलवे की कई योजनाएं अधर में
रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण का आलम यह है कि लोगों के रेलवे की जमीन पर ट्रैक के निकट झुग्गी-झोंपड़ी बना लेने की वजह से एक दशक पूर्व रेल मंत्रालय द्वारा स्वीकृत परियोजनाएं अब तक शुरू नहीं हो पाई हैं. स्वीकृत इन परियोजना की मूल लागत में अब तीन सौ फीसद तक की बढ़ोतरी हो चुकी है.
रेल मंत्रालय ने वर्ष 1999-2000 में दया बस्ती के पास दोहरी लाइन ग्रेड सेपरेटर बनाए जाने की स्वीकृति प्रदान की थी. करीब 3.075 किलोमीटर लंबी इस ग्रेड सेपरेटर को बनाने पर उस वक्त 54.15 करोड़ की राशि खर्च होने का अनुमान था.
रेलवे सूत्रों के अनुसार 3.075 किलोमीटर लंबी ग्रेड सेपरेटर परियोजना के तहत चार पुल (एक आरयूबी, एक रेल ट्रैक फ्लाईओवर और दो नालों के ऊपर पुल) बनाए जाने थे. जिस जगह पर यह परियोजना शुरू होनी थी, उस जगह पर करीब दो हजार झुग्गीवासियों ने कब्जा किया हुआ है.
उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी वाईएस राजपूत के अनुसार झुग्गी-झोंपड़ी वालों के पुनर्वास के लिए वर्ष 2004-05 में रेलवे ने दिल्ली सरकार के स्लम बोर्ड को 11.25 करोड़ रुपये का भुगतान किया था.
उन्होंने कहा कि जिस समय झुग्गीवासियों के पुनर्वास के लिय रेलवे ने संबंधित विभाग को राशि का भुगतान किया था, उस समय इतनी राशि में झुग्गीवासियों का पुनर्वास हो गया होता, लेकिन अभी तक झुग्गीवालों ने रेलवे की जमीन पर कब्जा जमाया हुआ है.
अतिक्रमण हटाने में हो रही देरी की वजह से परियोजना की राशि बढ़कर 150 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. परियोजना शुरू होने में अगर और देरी होती है, तो लागत राशि में और इजाफा हो जाएगा.
उन्होंने बताया कि अतिक्रमण हटाने के लिए रेलवे के अधिकारी दिल्ली सरकार समेत संबंधित विभाग से लगातार संपर्क में हैं. लेकिन अभी तक कोई विशेष प्रगति नहीं हुई है. राजपूत के मुताबिक, केवल ग्रेड सेपरेटर परियोजना ही अधर में नहीं लटकी हुई है, बल्कि इसकी वजह से तुगलकाबाद से पलवल के बीच प्रस्तावित चौथी रेल लाइन परियोजना भी अधर में है. इस रूट पर करीब पांच किलोमीटर लंबे क्षेत्र में झुग्गीवासियों का कब्जा है. उन्होंने बताया कि बल्लभगढ़ और फरीदाबाद के बीच करीब सवा सात सौ झुग्गियां हैं.
उन्होंने बताया कि तुगलकाबाद और पलवल के बीच चौथी रेल लाइन परियोजना को रेल मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद रेलवे मार्च, 2012 तक 200 करोड़ रुपये खर्च भी कर चुकी है. जबकि इस पूरी परियोजना पर 123.90 करोड़ खर्च होने थे. अतिक्रमण की वजह से यह परियोजना कब तक पूरी होगी कहना मुश्किल है.
Thursday, March 15, 2012
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को अपग्रेड करने के लिए नहीं मिले 150 करोड़
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इस बार के रेल बजट में देश के सबसे बड़े डिवीजन दिल्ली को केवल निराशा ही हाथ लगी.
इस डिविजन को कुछ गिनी-चुनी रेलगाड़ियों के परिचालन के अलावा कुछ स्वचालित सीढ़ियां लगाने के लिए धन के अलावा कुछ भी खास हाथ नहीं लगा है. इस डिवीजन की उपेक्षा का यह आलम तब है जब इस डिवीजन से केवल यात्री-किराए से ही रेलवे का प्रतिवर्ष करीब पांच सौ करोड़ रुपए का टर्नओवर होता है.
दिल्ली डिवीजन के नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली, आनंद विहार, हजरत निजामुद्दीन और सराय रोहिला स्टेशनों से प्रतिदिन सामान्य दिनों में करीब 12 लाख और पीक सीजन में 15 लाख यात्री आवाजाही करते हैं.
सूत्रों के अनुसार नई दिल्ली स्टेशन को अपग्रेड करने के लिए 150 करोड़ रुपए चाहिए जिसे बजट में नजरअंदाज किया गया है. सूत्रों के अनुसार इसी तरह आंनद विहार और पुरानी दिल्ली स्टेशन के विकास के बारे में बजट में कोई अहमियत नहीं मिली है.
दिल्ली से पूर्व की ओर कोई भी नई गाड़ी की सैगात नहीं मिली. उत्तर रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार दिल्ली डिवीजन में हर समय यात्रियों की दबाव रहता है. यात्रियों की हुजूम के हिसाब से यहां के स्टेशनों में उपलब्ध बुनियादी सुविधाएं काफी कम है. कई स्टेशनों पर यात्रियों को पीने का पानी भी मयस्सर नहीं होता है.
कई प्रमुख स्टेशन काफी बड़े हैं, ऐसे में स्वचाचिलत सीढ़ियों की कमी का खमियाजा यात्रियों को उठाना पड़ता है. जर्जर प्लेटफार्म व भीड़ से अटे पड़े प्रतीक्षालयों से उन्हें संतोष करना पड़ता है. डिवीजन के सभी स्टेशनों में संरचनात्मक विकास करने की जरूरत है. फंड की काफी कमी है.
नई रेलगाड़ियां : सराय रोहिला-उधमपुर एसी एक्सप्रेस (सप्ताह में तीन दिन), अजमेर- हरिद्वार (वाया दिल्ली), बांद्रा- सराय रोहिला (साप्ताहिक), सराय रोहिला- फरुखानगर (डीईएमयू), आनंद विहार- हलदिया (साप्ताहिक), जबलपुर- हजरत निजामुद्दीन, रोहतक-पानीपत पैसेंजर.
गाड़ियां जिनका विस्तार किया गया : नई दिल्ली-लुधियाना शताब्दी एक्सप्रेस, अब मोगा तक जाएगी, अमृतसर-जयपुर, अजमेर तक जाएगी, दिल्ली-ऊना, हिमाचल एक्सप्रेस अब अंदोरा तक जाएगी, दिल्ली- जिंद पैसेंजर, नरवाना तक जाएगी, जींद-सिरसा, हिसार तक जाएगी, नांगलडेम-ऊना पैसेंजर, अंदोरा तक जाएगी, दिल्ली-मुजफ्फरनगर डीईएमयू, सहारनपुर तक जाएगी
फेरों में वृद्धि: डिब्रूगढ़-चंडीगढ़, चंडीगढ़- बांद्रा, चंडीगढ़-सराय रोहिला, हजरत निजामुद्दीन- कन्याकुमारी, नई दिल्ली-रांची राजधानी एक्सप्रेस, सराय रोहिला-बीकानेर एक्सप्रेस.
एनसीआर के स्टेशन : पुरानी दर नई दर (प्रस्तावित), गाजियाबाद -5-10, फरीदाबाद -7-10, रेवाड़ी -16 -20, शामली-17 -20, सहारनपुर-24 -30.
आदर्श स्टेशन : हापुड़, मुजफ्फरनगर.
बिजलीकरण के लिए प्रस्तावित सव्रे : कुरुक्षेत्र-कैथल- नरवाना, हिसार-जाखल-लुधियाना, मुरादाबाद-अलीगढ़- बरेली-चंदौसी.
इस वर्ष तैयार होने वाले रेललाइन : उधमपुर-कटरा, कांजीगुंडा-बनिहाल, सुल्तानपुर-गुलबर्ग, खमनो-शेहोवाल, भानबेवा-गोहना, सुल्तानपुर- गुलबर्ग.