Monday, April 22, 2013


दुष्कर्मी को मानसिक रोगी कहना गलत : डॉक्टर
नई दिल्ली । पांच वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी को मानसिक रोगी बताए जाने को कुछ डॉक्टर गलत मान रहे हैं। उनके अनुसार इस तरह के वीभत्स कृत्य को अंजाम देने वाला व्यक्ति बीमार नहीं हो सकता। अगर कोई मानसिक रूप से बीमार होगा तो उसका असर उसके पूरे व्यक्तित्व पर देखने को मिलेगा। ऐसे व्यक्ति की पहचान आसान है, लेकिन पांच वर्षीय बच्ची के साथ जिस तरह से दुष्कर्म किया गया है, उसे कोई विकृत मानसिकता वाला व्यक्ति ही अंजाम दे सकता है। डॉक्टर्स ऐसे लोगों के लिए मेडिकल शब्द ‘पाराफिलियस’ का इस्तेमाल करते हैं। इसके साथ ही एक और शब्द ‘सेडिज्म’ का इस्तेमाल किया जाता है। इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट सायकायट्रिस्ट के पूर्व अध्यक्ष डा. अवधेश शर्मा ऐसे लोगों को मानसिक रोगी मानने को कतई तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को मानसिक रोगी कहकर सजा में नरमी की मांग की जाती है। जबकि हकीकत यह है कि ऐसे कृत्य को अंजाम देने वाले मानसिक विकृति के शिकार होते हैं। हम लोग ऐसे लोगों को मेडिकल भाषा में पाराफिलियस कहते हैं। इस तरह के विकृत मानसिकता वाले लोग दूसरों की भावनाओं के प्रति असंवेदनहीन होते हैं। उन्हें दूसरों को दुख पहुंचाने में मजा आता है। ऐसे लोग इतने वीभत्स तरीके से सेक्सुअल रिलेशन बनाते हैं कि सामने वाले को ज्यादा से ज्यादा पीड़ा हो। ऐसे में जब शराब या अन्य कोई दूसरी चीज जैसे अश्लील फोटो, फिल्म या पुस्तक मिल जाए, तो उससे जो कुछ भी वह ग्रहण करते हैं, उससे भी ज्यादा वीभत्स तरीके से ये लोग शारीरिक संबंध बनाते है। शर्मा के अनुसार, ऐसे ही लोग मुख मैथुन जैसे कृत्य को अंजाम देते हैं। सफदरजंग अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक प्रो. यतीश अग्रवाल भी ऐसे लोगों को मानसिक रूप से बीमार नहीं मानते हैं। वह कहते हैं कि मानसिक विकृति का इलाज है, लेकिन ऐसे लोगों की पहचान नहीं हो पाती, क्योंकि हाव भाव या चेहरे से विकृत मानसिकता का पता नहीं चलता। शर्मा ने ऐसे लोगों की पहचान के लिए कुछ संकेत बताए हैं, लेकिन उन पर पूरी तरह से भरोसा नहीं किया जा सकता। मानसिक रोगी नहीं, मानसिक विकृति वाले लोग करते हैं ऐसे कृत्य ऐसे लोगों पहचानना मुश्किलक्ष्/

विकृत मानसिकता वालों के लक्षण अपोजिट सेक्स वालों के साथ अकेले रहने की कोशिश करना, मौके तलाशना या फिर ऐसे हालात पैदा करना जिससे कि एकांत मिले बगैर किसी कारण के शरीर को ‘टच’
करना, कपड़े की तारीफ करते हुए शरीर को टच करने की कोशिश करना। अश्लील कमेंट करना। कोई बच्चा अगर किसी से कटा-कटा सहमा हुआ रहे, तो ऐसे लोगों से सतर्क हो जाना चाहिए। ऐसे लोग भी मानसिक विकृति वाले हो सकते हैं।

कैसे पैदा होते हैं विकृत मानसिकता वाले लोग यौन हिंसा के शिकार बच्चे भी बड़े होकर ऐसे कृत्य को अंजाम देते हैं। उन्हें लगता है कि वह ऐसा करके अपने साथ हुए कृत्य का बदला ले रहे हैं। दूसरों के द्वारा बार-बार यह कहते सुना जाना कि स्त्री तो सिर्फ सेक्स के लिए होती है। अश्लील फि ल्में देखना, अश्लील पुस्तकें पढ़ना या फिर दोस्तों से शारीरिक संबंध बनाए जाने के बारे में जानना। जिनके माता-पिता ज्यादा हिंसक होते हैं। जिनके घर का माहौल गाली-गलौज वाला होता है। बात-बात में लोग एक दूसरे से लड़ने-झगड़ने पर उतारू हो जाते हैं। जिन घरों में महिलाओं को इज्जत नहीं दी जाती।

जब खुद चाहेंगे तभी उपचार संभव ऐसे लोगों का इलाज तभी हो सकता है, जब वह खुद चाहेंगे। ऐसे लोग, जहां काम करते हैं, वहां भी लोगों को शर्मिदगी का शिकार होना पड़ता है। यह शर्मिदगी उस वक्त होती है, जब वह किसी महिला को टच करने की कोशिश करते हैं या एकांत में कमेंट करते हैं। जिन लोगों को अपोजिट सेक्स वाले के साथ एकांत में मिलने की उत्तेजना महसूस हो। उन्हें लगे कि वह सामने वाली महिला के साथ कुछ भी कर सकता है और वह कुछ नहीं कहेंगी, तो तुरंत उसे मनोरोग विशेषज्ञ के पास जाना चाहिए। ऐसे लोगों का इलाज दवा से नहीं हो सकता है। मनोरोग विशेषज्ञ उन्हें कुछ टिप्स बताते हैं, जिनमें अश्लील चीजों को न देखने, किसी महिला के साथ अकेले न रहने आदि की हिदायत दी जाती है।
     


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