नई दिल्ली (एसएनबी)। गुड़िया के साथ हुए दुष्कर्म की घटना को सामाजिक संगठनों में भारी गुस्सा है। महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों का मानना है कि सरकार और पुलिस का व्यवहार गैर जिम्मेदाराना हो गया है।
गुड़िया मामले पर सेंन्ट्रर फोर सोशल रिसर्च (सीएसआर) की निदेशक डा. रंजना कुमारी मानना है कि जिस तरह से पुलिस पीड़ित पिता को घूस देकर पूरे मामले पर पर्दा डालने की कोशिश की है वह पूरे पुलिस महकमें के चरित्र को उजागर करता है। उससे भी ज्यादा राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष द्वारा गैर जिम्मेदाराना बनाया देना कि ‘आज रामनवमी का दिन है हम कल कार्रवाई करेंगे। यह तो हद हो गई।
अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (एकवा) की राष्ट्रीय सचिव कविता कृष्णन का कहना है कि पिछले दिनों वर्मा कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी है पर उस रिपोर्ट को अभी तक पूरी तरह से सरकार ने देखा भी नहीं है। फिर यह कैसे विश्वास किया जाए की सरकार महिलाओं की सुरक्षा और उनके ऊपर होने वाले अत्याचार, शोषण को लेकर गंभीर है।
राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग की सदस्य डा. वंदना प्रसाद कहती हैं कि इस पूरे घटनाक्रम से जो बात सामने ऊभर कर आयी है वह है पुलिस की भूमिका। उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि बच्चे गुम हो रहे है। ऐसे में पुलिस को ज्यादा संवेदनशील होना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हुआ है।
गैर सरकारी संस्था हक की संस्थापक निदेशक भारती अली कहती है कि गुमशुदा बच्चों की एफआईआर तुरंत दर्ज होनी चाहिए पर ऐसा होता नहीं है। हमने देखा है कि पीड़ित को एफआईआर दर्ज कराने में तीन-चार दिन से लेकर एक सप्ताह से भी ज्यादा का समय लग जाता है।
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