याद आती है हमें
उन दिनों की
जब तुम अपनी थी
ये दिन भी अपना था
तुम्हारे बिन इन्हें क्या हुआ
पराये से हो गए दिन।
काटे कटते नहीं ये दिन
तुम्हारे बिन महकते नहीं ये दिन
किसे सुनाऊ अब मैं
अपने हाल ये गम दिल का
आज कितने उदास से हैं ये दिन
पराये से हो दिन।
तुम्हारे बिन क्या हुआ इन दिनों को
समझ नहीं आता हैं मुझे
बर्बाद सा मैं हो गया
यादों के उलझन में उलझा कर मुझे
आज जाने कहां खो से गए ये दिन
पराये से हो गए दिन।
sundar abhivyakti
ReplyDeleteachhi lagi rachana
shubh kamnayen
आज की आवाज
यादों की उलझन में ब्लाग बना लिया है तो स्वागत है। शुभकामनाएं॥
ReplyDeleteswagat hai
ReplyDeleteachhi kavita !
good. narayan narayan
ReplyDeleteKisi ke yaaden is mod par le hi asati hain......sundar rachna
ReplyDeleteबहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
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