नयन नयन के
मौन मिलन ने,
मधु संबंध रचाए।
अधर-अधर की
मधुर छुअन ने
मीठे छंद रचाए।
मृग नयनी
मीठे छंद रचाए।
मृग नयनी
स्पर्श तुम्हारे
तन में यूँ उतरे
अनब्याही
पनिहारन जैसे
पनघट पावं धरे।
रह-रह ठुमक रही
तरुनाई,
केसर गंध रचाए
लम्हा-लम्हा
संगमरमरी
रेशम-रेशम साँस
हर सिंगार
झरे अंगो में
हर धड़कन मधुमास।
कल्पनाओं ने
प्रीत भरे
अल्लहड़ अनुबंध रचाए।
शहदीले
सपनों ने गुंथा
एक सतरंगी गीत।
खट्टी-मीठी
मनुहारों के संग,
गई चाँदनी बीत।
रत मीत ने
मन कागज पे,
नेह निबंध रचाये।
रत मीत ने
ReplyDeleteमन कागज पे,
नेह निबंध रचाये।
बहुत ही सुन्दर कविता ......अतिसुन्दर अभिव्यक्ति .....बढिया
meethi-meethi aur pyari si kavita...
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