Friday, June 25, 2010

कॉमनवेल्थ गेम्स : बनने थे 60 ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन, बने सिर्फ 13

कॉमनवेल्थ गेम्स तक मौसम विभाग को राजधानी के मौसम पर रखने के लिए गेम्स से पहले 60 ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन (ए डब्ल्यूए स) स्थापित करने थे लेकिन फंड की कमी के कारण अभी तक केवल 13 डब्ल्यूए स ही स्थापित किए गए हैं। जबकि गेम्स में महज सौ दिन दिन बचे हैं, और इतने कम समय में किसी भी हालत में 47 ए डब्ल्यूए स स्थापित नहीं किया जा सकता है। ए ेसे में अगर खेल के दौरान मौसम ‘विलेन’ बन जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। गेम्स के दौरार मौसम की वजह से खेल में कोई खलल न पड़े इसके लिए मौसम विभाग ने राजधानी व ए नसीआर में 60 आटोमेटिक वेदर स्टेशन (ए डब्ल्यूए स) स्थापित किये जाना था, लेकिन फंड की कमी की वजह से इसमें से अभी तक सिर्फ 13 ए डब्ल्यूए स ही स्थापित किये जा सके हैं। मौसम विभाग ने कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान मौसम की सटिक और पल-पल की जानकारी देने के लिए सालभर पहले दिल्ली और आसपास के इलाके में कुछ 60 ए डब्ल्यूए स स्थापित किये जाने की योजना तैयार की थी। इसके लिए उसने तैयारी भी शुरू कर दी थी। लेकिन उसकी रफ्तार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खेल होने में महज सौ दिन बचे है आंैर उसने अभी तक 60 में से केवल 13 ए डब्ल्यूए स ही दिल्ली और ए नसीआर में स्थापित किये है। इतने कम ए डब्ल्यूए स के सहारे वह मौसम की सटिक जानकारी गेम्स आयोजन समिति और विदेशी मेहमानों को कैसे मुहैया करा पायेगी यह न तो मौसम वैज्ञानिकों को समझ में आ रहा है और न ही विभाग के अधिकारियों को ही। मौसम विभाग के डायरेक्टर जेनरल वीपी वर्मा के अनुसार योजना तो 60 ए डब्ल्यूए स लगाने की थी और हमने अभी तक 13 ए डब्ल्यूए स लगाये है। जिनमें से 10 दिल्ली में और 2 ए नसीआर में लगाये गए है। ए क पहले से लगा हुआ है। इसके अलावा मौसम की हर गतिविधि पर नजर रखने के लिख पालम में ए क ए स बैंड का रडार लगाया गया है। इसके अलावा पश्चिमी विक्षोभ पर नजर रखने के लिए जयपुर में सी बैंठ का ए क रडार लगाया जायेगा। इस रडार से राजस्थान की आ॓र से आने वाली हवाओं पर नजर रखी जाए गी। क्योंकि उस आ॓र से होकर आने वाली हवाए दिल्ली की फिजा को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है। मौसम विभाग के वैज्ञानिकों के अनुसार राजधानी अलग-अलग इलाके का तापमान अलग-अलग होता है। कई बार तो राजधानी के कुछ ए क इलाके में झमाझम बारिश हो जाती है और मौसम विभाग को इसकी भनक तक नही होती है। इसकी वजह यह होती है कि उस इलाके में मौसम विभाग का मौसम मापक यंत्र नहीं होता है या है भी तो मैन्यूल होने की वजह से वहां की जानकारी तुरंत मुख्यालय तक नहीं पहुंच पाती है। अगर यहीं स्थिति कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान बनती है तो यकीनन फजीहत होनी तय है।

कॉमनवेल्थ गेम्स 100 दिन शेष कब शुरू होगी सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रिहर्सल

कॉमनवेल्थ गेम्स शुरू होने में महज सौ दिन बचे हैं और कई ए ेसे कार्यक्रम हैं, जिनकी शुरूआत तक अभी नही हुई है। इन कार्यक्रमों में उस दौरान राजधानी में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम भी शामिल हैं। इनमें लोक नृत्य-संगीत के अलावा भारतीय शास्त्रीय नृत्य-संगीत, थिए टर, फाइन आटर्स व क्राफ्ट् आदि से लेकर फिल्म शो तक के कार्यक्रम आयोजित होने हैं। इनमें सबसे ज्यादा रिहर्सल वैसे कार्यक्रमों को चाहिए , जिनमें कलाकारों का ग्रुप शामिल है। जानकारी के अनुसार गेम्स के दौरान राजधानी पहुंचने वाले विदेशी मेहमानों को भारतीय कला-संस्कृति से रूबरू कराने के लिए दर्जन भर सांस्कृतिक कार्यक्रम किये जाने हैं। इनका आयोजन दिल्ली सरकार विभिन्न अकादमियों के सहयोग से करेगी, जिनमें हिन्दी, पंजाबी, उर्दू, मैथिली भोजपुरी, सिंधी अकादमियों के अलावा साहित्य कला परिषद आदि शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार गेम्स के दौरान आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा कागजों में तो तैयार हो चुकी है लेकिन हकीकत से अभी यह कोसों दूर है। गेम्स के दौरान अंग्रेजों से लेकर देश के आजाद होने तक की कहानी को बयां करने वाले नाटक का रिहर्सल तक अभी शुरू नहीं हुई है, जबकि इस तरह के नाटकों को तैयार करने में तीन महीने से भी अधिक का वक्त लगता है। अब तक यह भी तय नहीं हुआ है कि राजधानी के किस हिस्से में कौन सा कार्यक्रम और किस दिन आयोजित किया जाए गा। कार्यक्रमों के आयोजन की जिम्मेदारी निभाने वाली लभगभ सभी अकादमियों के प्रमुखों की ए क ही जबाव है कि अभी वह कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं है। यही स्थिति सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन से जुड़े अन्य अधिकारियों की भी है। वही दूसरी आ॓र सूत्र बताते है कि कुछ ए क अकादमियों ने तो अभी तक उन कलाकारों का चयन तक नहीं किया है जिन्हें गेम्स के दौरान कार्यक्रम पेश करना है। कला और संस्कृति से जुड़े कुछ वरिष्ठ कलाकारों का कहना है कि अगर सरकार विदेशी मेहमानों के सामने भारतीय कला और संस्कृति को सही तरीके और प्रभावशाली ढ़ंग से पेश करना चाहती है तो उसे इसकी तैयारी (रिहर्सल) अभी से शुरू कर देनी चाहिए । क्योंकि कई कार्यक्रम ए ेसे होते हैं जिनमें दो तीन से ज्यादा कलाकार होते है। ए ेसे कार्यक्रमों की सफलता ज्यादा से ज्यादा रिहर्सल पर ही टिकी होती है।