Friday, June 25, 2010

कॉमनवेल्थ गेम्स 100 दिन शेष कब शुरू होगी सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रिहर्सल

कॉमनवेल्थ गेम्स शुरू होने में महज सौ दिन बचे हैं और कई ए ेसे कार्यक्रम हैं, जिनकी शुरूआत तक अभी नही हुई है। इन कार्यक्रमों में उस दौरान राजधानी में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम भी शामिल हैं। इनमें लोक नृत्य-संगीत के अलावा भारतीय शास्त्रीय नृत्य-संगीत, थिए टर, फाइन आटर्स व क्राफ्ट् आदि से लेकर फिल्म शो तक के कार्यक्रम आयोजित होने हैं। इनमें सबसे ज्यादा रिहर्सल वैसे कार्यक्रमों को चाहिए , जिनमें कलाकारों का ग्रुप शामिल है। जानकारी के अनुसार गेम्स के दौरान राजधानी पहुंचने वाले विदेशी मेहमानों को भारतीय कला-संस्कृति से रूबरू कराने के लिए दर्जन भर सांस्कृतिक कार्यक्रम किये जाने हैं। इनका आयोजन दिल्ली सरकार विभिन्न अकादमियों के सहयोग से करेगी, जिनमें हिन्दी, पंजाबी, उर्दू, मैथिली भोजपुरी, सिंधी अकादमियों के अलावा साहित्य कला परिषद आदि शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार गेम्स के दौरान आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा कागजों में तो तैयार हो चुकी है लेकिन हकीकत से अभी यह कोसों दूर है। गेम्स के दौरान अंग्रेजों से लेकर देश के आजाद होने तक की कहानी को बयां करने वाले नाटक का रिहर्सल तक अभी शुरू नहीं हुई है, जबकि इस तरह के नाटकों को तैयार करने में तीन महीने से भी अधिक का वक्त लगता है। अब तक यह भी तय नहीं हुआ है कि राजधानी के किस हिस्से में कौन सा कार्यक्रम और किस दिन आयोजित किया जाए गा। कार्यक्रमों के आयोजन की जिम्मेदारी निभाने वाली लभगभ सभी अकादमियों के प्रमुखों की ए क ही जबाव है कि अभी वह कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं है। यही स्थिति सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन से जुड़े अन्य अधिकारियों की भी है। वही दूसरी आ॓र सूत्र बताते है कि कुछ ए क अकादमियों ने तो अभी तक उन कलाकारों का चयन तक नहीं किया है जिन्हें गेम्स के दौरान कार्यक्रम पेश करना है। कला और संस्कृति से जुड़े कुछ वरिष्ठ कलाकारों का कहना है कि अगर सरकार विदेशी मेहमानों के सामने भारतीय कला और संस्कृति को सही तरीके और प्रभावशाली ढ़ंग से पेश करना चाहती है तो उसे इसकी तैयारी (रिहर्सल) अभी से शुरू कर देनी चाहिए । क्योंकि कई कार्यक्रम ए ेसे होते हैं जिनमें दो तीन से ज्यादा कलाकार होते है। ए ेसे कार्यक्रमों की सफलता ज्यादा से ज्यादा रिहर्सल पर ही टिकी होती है।

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