Thursday, March 26, 2020

कोरोना महामारी है या चीन की चाल

कॉपी पेस्ट - --- वुहान से निकला वायरस पूरी दुनिया में पहुँच गया पर बीजिंग, शंघाई और पड़ोसी देश उत्तर कोरिया के साथ साथ रूस तक नहीं पहुंचा। दुनिया में बड़े बड़े लोगो को कोरोना हो चूका है, हॉलीवुड स्टार, ऑस्ट्रेलिया के गृह मंत्री, ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री, स्पेन के प्रधानमत्री की पत्नी और अब तो ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स को भी कोरोना हो चूका है, पर चीन में एक भी नेता, एक भी मिलिट्री कमांडर को कोरोना ने टच भी नहीं किया है। कोरोना वायरस ने दुनिया भर में इकॉनमी को बर्बाद कर दिया है, हजारों की जान जा चुकी है, लाखों को ये बीमारी हो चुकी है और अनगिनत लोग घरों में बंद कर दिए गए है, कई देशों में लॉक डाउन हो चूका है जिसमे भारत भी एक है। कोरोना वायरस चीन के वुहान शहर से निकला है, और अब ये दुनिया के कोने - कोने में पहुँच चूका है, पर ये वायरस वुहान के ही पास चीन की राजधानी बीजिंग और आर्थिक राजधानी शंघाई तक नहीं पहुंचा, क्यों..? आज पेरिस बंद है, न्यू यॉर्क बंद है, बर्लिन बंद है, रोम बंद है, दिल्ली बंद है, मुंबई बंद है, टोक्यो बंद है, दुनिया के प्रमुख आर्थिक और राजनतिक केंद्र बंद है, पर बीजिंग और शंघाई खुले हुए है। वहां कोरोना ने कोई असर ही नहीं दिखाया, गिने चुने केस सामने आये पर एक तरह से बीजिंग और शंघाई पर कोरोना का कोई असर ही नहीं हुआ। बीजिंग वो शहर है जहाँ चीन के सभी नेता रहते है, यहाँ मिलिट्री लीडर रहते है, चीन की सत्ता को चलाने वाले यहाँ रहते है, बीजिंग में कोई लॉक डाउन नहीं है, ये खुला हुआ है यहाँ कोरोना का कोई असर नहीं, क्यों..? शंघाई वो शहर है जो चीन की इकॉनमी को चलाता है, ये चीन की आर्थिक राजधानी है, यहाँ चीन के सभी अमीर लोग रहते है, इंडस्ट्री को चलाने वाले रहते है, यहाँ भी कोई लॉक डाउन नहीं, यहाँ कोरोना का कोई असर नहीं, क्यों? क्या कोरोना एक पाला हुआ वायरस है, जिसे बता दिया गया है की तुम्हे दुनिया भर में आतंक मचाना है, पर तुम बीजिंग और शंघाई नहीं आओगे, चीन से ये सवाल पूछा जाना बहुत जरुरी है, की जब दुनिया के बड़े - बड़े विकसित देश कोरोना को नहीं रोक सके, दुनिया के बड़े बड़े शहरों में कोरोना ने आतंक मचा दिया, तो ये विरुस्व बीजिंग क्यों नहीं पहुंचा, शंघाई क्यों नहीं पहुंचा..? बीजिंग और शंघाई वुहान से लगे हुए इलाके ही है। वुहान से निकला वायरस दुनिया के कोने - कोने में पहुँच गया पर ये वायरस शंघाई नहीं पहुँच सका। आज पूरा भारत और 130 करोड़ भारतीय भले लॉक डाउन हो चुके है, हमारी इकॉनमी ठप्प हो रही है, पर China के सभी प्रमुख शहर खुले हुए है, और तो और अब 8 अप्रैल से चीन वुहान को भी खोल रहा है, पूरी दुनिया आतंक से त्रस्त हो चुकी है, पर चीन में अब नए केस भी सामने नहीं आ रहे है और चीन खुला हुआ है। एक और बड़ी चीज ये की दुनिया भर के शेयर मार्किट लगभग आधा गिर चुके है, भारत में भी निफ्टी 12 हज़ार से 7 हज़ार तक पहुँच गया है, पर चीन का शेयर मार्किट 3 हज़ार पे था, जो 2700 पर ही है। चीन के लोकल मार्किट पर भी इस वायरस का कोई असर नहीं। ये जो भी चीजें है वो सिर्फ एक बात की ओर इशारा करती है, की कोरोना चीन का बायो केमिकल हथियार है। जिसे चीन ने दुनिया भर में तबाही के लिए बनाकर छोड़ दिया है, अपने यहाँ कुछ लोगो को मरवा कर चीन ने अब इस वायरस पर कण्ट्रोल कर लिया है। कदाचित उसके पास दवाई भी है जो वो दुनिया से शेयर नहीं कर रहा है! भारत में चीन के राजदूत भारत सरकार और भारत के विदेश मंत्री से आग्रह कर रहे हैं कि वह दुनिया को समझाए और रोके कि Corona को China Virus न कहे। इनकी उम्मीद यही है कि भारत International cooperation और solidarity दिखाते हुए चीन का पक्ष ले। आखिर क्यों ? कम्युनिस्ट तानाशाही और तिब्बत पर हमले के वक्त भी चीन ने भारत से गुहार लगाई थी और नेहरू जी चीन के लिए इंटरनेशनल लॉबिंग में जुट गये थे। १) जहां पूरी दुनिया इससे प्रभावित हो रही है, वहीं चीन में हुबई प्रांत और वुहान के अलावा यह कहीं नहीं फैला? चीन की राजधानी आखिर इससे अछूती कैसे रह गयी ? २) प्रारंभिक अवस्था में चीन ने पूरी दुनिया से इस वायरस के बारे में क्यों छुपाया ? ३) कोरोना के प्रारंभिक सैंपल को नष्ट क्यों किया ? ४) इसे सामने लाने वाले डॉक्टर और पत्रकार को खामोश क्यों किया ? पत्रकार को तो गायब ही कर दिया गया है ? ५) दुनिया के अन्य देशों ने जब सूचना साझा करने को कहा तो उसने सूचना साझा क्यों नहीं किया ? मना क्यों किया ? ६) कोरोना मानव से मानव में फैलता है, इसे छुपाने के लिए WHO के कम्युनिस्ट निदेशक का उपयोग क्यों किया गया ? WHO के निदेशक जनवरी में बीझिंग में क्या कर रहे थे ? ७) WHO 11 जनवरी तक यह ट्वीट क्यों करता रहा कि किसी भी अंतरराष्ट्रीय उड़ान के लिए कोई गाइडलाइन जारी करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह मानव से मानव में नहीं फैलता है ? आज साबित हो गया कि कोरोना मानव से मानव में फैलता है तो फिर WHO ने झूठ क्यों बोला ? ७) वुहान से 50 लाख लोगों को बिना मेडिकल जांच के लिए दुनिया के अलग-अलग हिस्से में क्यों भेजा गया ? इटली में 6 फरवरी तक मामूली केस था। एकाएक चीनी 'हम चीनी हैं वायरस नहीं। हमें गले लगाइए।' प्लेकार्ड के साथ दुनिया के पर्यटन स्थल 'सिटी ऑफ लव' के नाम से मशहूर इटली के लोगों को गले लगाने क्यों पहुंचे ? ८) पूरी दुनिया आज चीन और WHO को संदेह की नजर से देख रही है और ताज्जुब देखिए कि एक ही दिन चीन और WHO, दोनों भारत की तारीफ में उतर आए ! क्या यह महज संयोग है ? ९) और इसके अगले ही दिन भारत में चीन के राजदूत ट्वीट कर उम्मीद करते हैं कि भारत इंटरनेशनल कम्युनिटी में उसकी पैरवी करे। आखिर क्यों ? यह मोदी सरकार है, और उम्मीद है वह आम से कम वह गलती तो नहीं ही दोहराएगी ? १०) सार्क से लेकर G-20 तक की बैठक पीएम मोदी के कहने पर हो रही है‌। संकट के समय भारत वर्ल्ड लीडर के रूप में उभरा है। इटली, जर्मनी, स्पेन, फ्रांस, ब्रिटेन, अमेरिका तक जब कैरोना से निबटने में असफल हो रहे हैं तो पीएम मोदी की पहल पर भारत इससे कहीं बेहतर तरीके से डील कर रहा है। चीन इसी का फायदा उठाकर यह चाहता है कि भारत इंटरनेशनल कम्युनिटी में उसके अछूतपन को दूर करे। अब यह नहीं होगा। चीन संदेह के घेरे में है और रहेगा ! *दृश्य 1 :* पर्दा खुलता है: चीन बीमार हो जाता है, एक "संकट" में प्रवेश करता है और अपने व्यापार को पंगु बना देता है। पर्दा बंद हो जाता है। उन * SCENE II। * पर्दा खुलता है: चीनी मुद्रा का अवमूल्यन होता है। वे कुछ नहीं करते। पर्दा बंद हो जाता है। * SCENE III। " पर्दा खुलता है :: यूरोप और अमरीका की कंपनियों के व्यापार में कमी के कारण इन कंपनियों के शेयरों के भाव गिर जाते है उनके मूल्य के 40% तक, जो चीन में स्थित हैं चीन कुछ नहीं करता है * SCENE IV। * पर्दा खुलता है :: दुनिया बीमार है, चीन यूरोप और अमेरिका की कंपनियों के शेयर 30% से भी कम कीमत पर खरीद लेता है। जब दुनिया में इस बीमारी के कारण सारे व्यापार धंधे बंद पड़ जाते है, पर्दा बंद हो जाता है। * SCENE V. * पर्दा खुलता है: चीन ने इस बीमारी को नियंत्रित कर लिया है और अब वह यूरोप और अमेरिका में कंपनियों का मालिक है। क्युकी यहां व्यापार धंधे ध्वस्त हो चुके हैं और वह यह तय करता है कि ये कंपनियां चीन में रहें और $ 20,000 बिलियन कमाएं। पर्दा बंद हो जाता है। नाटक इसे कहा जाता है? * स्कैन VI: * * शह और मात! * * फिर से देखना लेकिन सच है * कल और आज के बीच दो वीडियो जारी हुए हैं, जिनसे मुझे कुछ संदेह हुआ, कोई जरूरी नहीं हो सकता हो यह सिर्फ मेरी अटकल हो। पर मुझे विश्वास है कि कोरोनोवायरस का जानबूझकर स्वयं चीन द्वारा फैलाया गया था। वो पहले से ही तैयार थे इस नाटक के शुरू होने के तीन हफ्ते में ही उन्होंने 12,000 बिस्तर वाले अस्पताल पहले से ही बनवा लिए केसे? क्या वास्तव में उन्होंने इनका निर्माण दो सप्ताह में किया हो ही नहीं सकता वो उनका निर्माण पहले से ही कर चुके थे क्युकी ये सब एक योजना का हिस्सा था। कल उन्होंने घोषणा की कि उन्होंने महामारी को रोक दिया है। वे जश्न मनाते हुए वीडियो में दिखाई देते हैं, वे घोषणा करते हैं कि उनके पास एक टीका भी है। सभी आनुवंशिक जानकारी के बिना वे इसे इतनी जल्दी कैसे बना सकते हैं? पर यदि आप खुद ही इस नाटक के निर्माता हो तो यह बिल्कुल मुश्किल भी नहीं है। और आज मैंने सिर्फ एक वीडियो देखा जो बताता है कि कैसे जिन पिंग जो की दुनिया के शक्तिशाली देश का राष्ट्रपति है उसने पूरी दुनिया को बगैर किसी युद्ध के घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया कोरोनावायरस के कारण, चीन में पश्चिमी देशों कंपनियों का कारोबार नाटकीय रूप से गिर गया जब दुनिया भर के स्टॉक एक्सचेंजों में इन कंपनियों के शेयर के भाव गिर गए तो उन्हें चीनियों द्वारा खरीद लिया गया। अब चीन, अमेरिका और यूरोप में इन्हीं एक्सचेंजों और अपनी पूंजी द्वारा यह डिसाइड करेगा कि बाज़ार का रुख केसा होगा, औेर कीमतों को निर्धारित करने में सक्षम होगा पश्चिम को अपनी जरूरत की हर चीज बेचने के लिए। क्या गजब की योजना ? हा इसमें संयोग से कुछ बूढ़े मर गए? कम उम्र के लोग भी मारे गए पर ना तो चीन को इसकी परवाह है और ना ही कोई बड़ी समस्या वो इनके परिजनों को थोड़े समय मुआवजे के रूप में पेंशन दे देगा , पर इसके एवज उसने कितनी बड़ी लूट की है। और अभी पश्चिम आर्थिक रूप से पराजित है, संकट में और बीमारी से स्तब्ध। और बिना कुछ जाने की यह सब एक योजना का हिस्सा है और बहुत ही सोच समझ कर बनाई गई परफेक्ट योजना । अब चीन 1.18 ट्रिलियन होल्डिंग वाले जापान के बाद अमेरिकी खजाने के सबसे बड़े मालिक है। -----//// - //////----- अब देखिए इस नाटक के दूसरे किरदारों का रोल केसे रूस और उत्तर कोरिया में करोना नामक घातक बीमारी के केस इतने कम है या नहीं है जबकि बे तो चीन के सहयोगी है उनके आपस में आवाजाही भी ज्यादा है फिर भी क्युकर उनके यहां करोना ने वैसा विकराल रूप दिखाया जैसा की अन्य अमेरिकी और यूरोपीय देशों में देखने को मिला क्या इसलिए कि वे चीन के कट्टर सहयोगी हैं दूसरी ओर संयुक्त राज्य अमेरिका / दक्षिण कोरिया / यूनाइटेड किंगडम / फ्रांस / इटली / स्पेन और एशिया गंभीर रूप से प्रभावित हैं कैसे वुहान अचानक घातक वायरस से मुक्त हुआ ? चीन का कहना है कि उसके द्वारा उठाए गए कठोर उपाय के कारण वुहान करोना मुक्त हो गया केसे वो कोंस उपाय थे चीन ने उनका खुलासा नहीं किया चलिए हम इसको इस तरह से देखते है कि वुहान ही क्यों जो वायरस पूरी दुनिया में फेल गया वो वायरस चीन के दूसरे हिस्सों में क्यू नहीं फेला बीजिंग जो कि चीन की राजधानी थी वह इसका कोई भी असर देखने को क्यू नहीं मिला क्या एक संक्रमित बीजिंग तक नहीं पहुंचा जबकि पूरी दुनिया में संक्रमण फेल चुका है या फिर इस नाटक को सिर्फ वुहान के लिए रचा गया था क्या एक भी संक्रमित व्यक्ति ने नवम्बर से लेकर जनवरी तक वुहान से चीन के अन्य हिस्सों में यात्रा नहीं की जबकि इसके उलट ये संक्रमित दुनिया लगभग हर कोने में पहुंच गए वो भी अच्छी खासी तादाद केसे? क्यू ? बीजिंग में करोना से एक व्यक्ति नहीं मारा गया? और सिर्फ वुहान में हजारों यह विचार करना और दिलचस्प है ., की अब केसे चीन ने इस पर काबू पा लिया उन्होंने इसका क्या इलाज किया और फिर अब उसे व्यापार के लिए खोल भी दिया आखिर केसे जबकि दुनिया भर के डाक्टर इसका इलाज ढूंढ रहे हैं तो चीनियों ने केसे ये चमत्कार कर लिया खैर .. करोना को हमे व्यापार युद्ध में यूएसए द्वारा चीन की बांह मोड़ने की पृष्ठभूमि में देखा जाना चाहिए अमेरिका और उपर्युक्त सभी देश आर्थिक रूप से तबाह हैं जल्द ही अमेरिकी अर्थव्यवस्था चीन की योजना के अनुसार ढह जाएगी। चीन जानता है कि वह अमेरिका को सैन्य रूप से नहीं हरा सकता क्योंकि अमरीका वर्तमान में दुनिया में सबसे शक्तिशाली देश है। तो उसने यहां वाइरस का उपयोग किया ... जो कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था और रक्षा क्षमताओं को पंगु बना दें। मुझे यकीन है कि नैन्सी पेलोसी( जो की अमेरिकी विपक्षी दल की नेता है) को भी इसमें एक हिस्सा मिला होगा .... ट्रम्प को पछाड़ने के लिए ...। राष्ट्रपति ट्रम्प हमेशा से यह बताते रहे हैं कि कैसे अमेरिकी अर्थव्यवस्था सभी मोर्चों पर सुधार कर रही थी और नौकरियां संयुक्त राज्य अमेरिका में वापस आ रही थीं। AMERICA GREAT AGAIN बनाने की उनकी दृष्टि को नष्ट करने का एकमात्र तरीका एक ECONOMIC HAVOC है। नैन्सी पेलोसी महाभियोग के माध्यम से ट्रम्प को नीचे लाने में असमर्थ थी ..... इसलिए क्यू ना चीन के साथ मिलकर एक वायरस जारी करके ट्रम्प को नष्ट कर दिया जाए । वुहान की महामारी एक सोची समझी साजिश थी। आप ही सोचिए महामारी के चरम पर .... चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ... उन प्रभावी क्षेत्रों का दौरा करने के लिए जाते वक़्त बस एक साधारण आरएम 1 फेसमास्क पहने हुए थे जबकि इटली में इस महामारी का इलाज कर रहे डाक्टर पूरी तरह कवर होने और सावधानी बरतने के बाद भी संक्रमित हो रहे है राष्ट्रपति के रूप में उन्हें सिर से पैर तक ढंका जाना चाहिए था ... लेकिन ऐसा नहीं था क्यों? क्या इसीलिए की इस महामारी से होने किसी भी प्रकार नुकसान से बचने के लिए उन्होंने पहले से ही कोई टीका लगा रखा था इसका मतलब है की इस महामारी का इलाज पहले ही ढूंढ लिया गया था बाद में इस वायरस को फैलाया गया है शायद यह सब चीन की योजना थी अब ECONOMIC COLLAPSE के कगार पर बैठे देशों से अधिकतर शेयर स्टॉक खरीदने के बाद विश्व अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने की ..... बाद में चीन यह घोषणा करेगा कि उनके मेडिकल शोधकर्ताओं ने वायरस को नष्ट करने का इलाज ढूंढ लिया है और इस तरह इस नाटक की समाप्ति की घोषणा हो जाएगी और बिना किसी युद्ध के चीन ने अपना साम्राज्य पूरी दुनिया में फेला दिया अब वह अपने देश में बैठे बैठे ही किसी भी देश की अर्थवयवस्था को हिला सकता है। चीन अपने सभी पश्चिमी गठबंधनों के साथ मिलकर विश्व की अलग देशों की अर्थव्यवस्था बर्बाद करेगा और ये देश बहुत जल्द ही अपने नए मास्टर ..... चीन के गुलाम हो जाएंगे। भविष्य का युद्ध हथियारों से नहीं व्यापार से शेयर स्टॉक से लड़ा जाएगा और चीन ने इस विश्व युद्ध की शुरुआत कर दी है। आपको हमे और देश को समझना होगा कि इस तरह के युद्ध में हमारी रणनीति क्या हो! चीन को 10 कड़े सवाल : (सवाल नं 6,7,8,9 अवश्य पढ़ें): 1) जहां पूरी दुनिया इससे प्रभावित हो रही है, वहीं चीन में वुहान के अलावा यह क्यों कहीं नहीं फैला? चीन की राजधानी आखिर इससे अछूती कैसे रह गयी? 2) प्रारंभिक अवस्था में चीन ने पूरी दुनिया से इस वायरस के बारे में क्यों छुपाया? 3) कोरोना के प्रारंभिक सैंपल को नष्ट क्यों किया? 4) इसे सामने लाने वाले डॉक्टर और पत्रकार को खामोश क्यों किया? पत्रकार को तो गायब ही कर दिया गया है? 5) दुनिया के अन्य देशों ने जब सूचना साझा करने को कहा तो उसने सूचना साझा क्यों नहीं किया? मना क्यों किया? 6) कोरोना मानव से मानव में फैलता है, इसे छुपाने के लिए WHO के कम्युनिस्ट निदेशक का उपयोग क्यों किया गया? WHO के निदेशक जनवरी में "बीझिंग (चीन)" में क्या कर रहे थे ..... ?????? (प्लान फिक्सिंग कर रहे थे क्या?) 7) "किसी भी अंतरराष्ट्रीय उड़ान के लिए कोई गाइडलाइन जारी करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह मानव से मानव में नहीं फैलता है" ....ऐसा ट्वीट 11 जनवरी तक WHO करता रहा । क्यों ??? आज साबित हो गया कि कोरोना मानव से मानव में फैलता है... तो फिर WHO ने झूठ क्यों बोला ???? 8) वुहान से एकसाथ 50,00,000 लोगों को बिना मेडिकल जांच किए "दुनिया के अलग-अलग हिस्से में" क्यों भेजा गया ..??? 9) इटली में 6 फरवरी तक मामूली केस था। एकाएक चीनी 'हम चीनी हैं वायरस नहीं, हमें गले लगाइए।' प्लेकार्ड के साथ दुनिया के पर्यटन स्थल 'सिटी ऑफ लव' के नाम से मशहूर इटली के लोगों को गले लगाने क्यों पहुंचे ??? 10) पूरी दुनिया आज चीन और WHO को संदेह की नजर से देख रही है और ताज्जुब देखिए कि एक ही दिन चीन और WHO, दोनों भारत की तारीफ में उतर आए! क्या यह महज संयोग है? 11) और इसके अगले ही दिन भारत में चीन के राजदूत ट्वीट कर उम्मीद करते हैं कि भारत इंटरनेशनल कम्युनिटी में उसकी पैरवी करे। आखिर क्यों? नेहरू की एक गलती का खामियाजा हम भुगत चुके हैं। यह मोदी सरकार है, और उम्मीद है वह कम से कम वह गलती तो नहीं ही दोहराएगी? 12) सार्क से लेकर G-20 तक की बैठक पीएम मोदी के कहने पर हो रही है‌। संकट के समय भारत वर्ल्ड लीडर के रूप में उभरा है। इटली, जर्मनी, स्पेन, फ्रांस, ब्रिटेन, अमेरिका तक जब कैरोना से निबटने में असफल हो रहे हैं तो पीएम मोदी की पहल पर भारत इससे कहीं बेहतर तरीके से डील कर रहा है। चीन इसी का फायदा उठाकर यह चाहता है कि भारत इंटरनेशनल कम्युनिटी में उसके अछूतपन को दूर करे। अब यह नहीं होगा। चीन संदेह के घेरे में है और रहेगा! नोट: धीरे - धीरे MAKE IN INDIA का और भारत सरकार के रणनीति का असर दिखने लगा था, जिसके कारण चीन भारत से अंदर ही अंदर परेशान था या है। चीन का एक ही ईलाज है, की चीन के समान का पूर्णतः वहिष्कार करें। चीन को आप सब खुद घुटने टेकते देखेंगे...

Wednesday, February 17, 2016

सियासत करने वालों को मिल गई है खुराक

नई दिल्ली। इन दिनों जेएनयू में पाकिस्तान समर्थित नारे लगने की बात को लेकर राजनीति गरमाई हुई है। ऐसे समय में राजधानी में साहित्य अकादमी पुरस्कार ग्रहण करने आए साहित्यकारों से जब इस मुद्दे पर बातचीत की गई तो उन्होंने इस पूरे मामले को देश के लिए अपमानजनक बताते हुए देश को बांटने वालों और देश विरोधी नारे लगाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई किये जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि यह तो सियासत करने वालों के लिए खुराक मिल गया है।अपनी कृति ‘‘आग की हंसी’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार हासिल करने वाले हिन्दी के जानेमाने साहित्यकार रामदरश मिश्र ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जेएनयू में जो कुछ भी हुआ है वह गलत है। इस तरह के कृत्य करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मामले में जो कोई भी गुनहगार है उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर हो रही राजनीति पर भी आश्यर्च व्यक्त करते हुए कहा कि कोई देश को टुकड़े करने की बात करता है, लोग उसके समर्थन में खड़े हो जा रहे हैं। यह कैसी राजनीति है। अपनी उर्दू कृति ‘‘तसब्बुफ और भक्ति’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार पाने वाले उर्दू के जानेमाने लेखक शमीम तारिक ने कहा कि वह क्या कोई भी आदमी देश विरोधी नारे लगाने वाले या फिर देश का विघटन करने वाले के पक्ष में नहीं बोलेगा। उन्होंने कहा कि जब भी समाज में कुछ गलत होता है उसका सबसे पहले विरोध लेखक ही करता है, वह किसी भी भाषा का लेखक क्यों न हो। लेकिन लेखक के कहने का तरीका अलग होता है। डोगरी कविता संग्रह ‘‘परछामें दी लो’ के लिए अकादमी पुरस्कार पाने वाले ध्यान सिंह ने भी इस घटना की र्भत्सना करते हुए कहा कि देश में कई मसले हैं उन पर बात होनी चाहिए। यह तो एक तरह से सियासत करने वालों के लिए खुराक मिल गया है। वह इस पर अपनी रोटिंया सेक रहे हैं जबकि इस समय लोग गरीबी और भूख से जुझ रहे हैं। उनके बारे में लोगों को सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि जेएनयू का मुद्दा तब तक सूर्खियों में रहेगा जब तक कोई नया मुद्दा नहीं मिल जाता। श्री सिंह ने कहा कि देश में इस समय अराजकता का माहौल है, जो ठीक नहीं है।

Friday, January 29, 2016

एशिया का सबसे बड़ा नाटय़ महोत्सव भारंगम एक से

नई दिल्ली। एशिया का सबसे बड़े नाटय़ महोत्सवों में शामिल 18वां भारत रंग महोत्सव’ (भारंगम) का आयोजन एक फरवरी से 21 फरवरी के बीच किया जाएगा। 21 दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में देश-विदेश के 80 नाटकों का मंचन होगा, जिसमें 65 भारतीय और 15 विदेशी नाटक शामिल हैं। इस वर्ष पाकिस्तान से अभी तक एक नाटक के शामिल होने की संस्तुति प्राप्त हुई है। यह जानकारी बृहस्पतिवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) के निदेशक वामन केंद्रे ने दी। महोत्सव का उद्घाटन केन्द्रीय पर्यटन एवं संस्कृति राज्य मंत्री डा. महेश शर्मा करेंगे। इस मौके पर अभिनेता नाना पाटेकर मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रहेंगे। श्री केंद्रे ने कहा कि भारंगम एशिया का सबसे बड़ा और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा नाटय़ महोत्सव है। इस बार भारंगम का आयोजन एक से 21 फरवरी के बीच नई दिल्ली में, जबकि 3 से 14 फरवरी के बीच जम्मू, अहमदाबाद, भुवनेश्वर और तिरूवनंतपुरम में समानांतर महोत्सव आयोजित किया जाएगा। इन चारों जगहों पर छह-छह नाटकों का मंचन किया जाएगा, जिनमें तीन भारतीय और तीन विदेशी नाटकों का मंचन शामिल हैं। इस साल 10 से ज्यादा देशों के नाट्य समूह भारंगम का हिस्सा होंगे, जिसमें अमेरिका, आस्ट्रेलिया, इटली, श्रीलंका, पोलैंड, बांग्लादेश, स्पेन, चीन, पाकिस्तान और आस्ट्रिया शामिल हैं। नाना पाटेकर, एमके रैना, पंकज कपूर, अनुपम खेर, परेश रावल, सौरभ शुक्ला, मोहन अगाशे, चंद्रशेखर कंबार, कन्हाई लाल और राम गोपाल बजाज भारंगम का हिस्सा बनेंगे।

’शौच‘‘ जाना 92 कर्मियों को पड़ा महंगा, गंवाई नौकरी

नई दिल्ली। ‘‘शौच’ जाने की मांग करना करीब सात दर्जन से अधिक महिलाओं और उनका समर्थन करने वाले कर्मचारियों को भारी पड़ गया। तीन से लेकर 13 वर्ष तक ठेके पर काम कर रही इन महिलाओं को भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) ने एक फरवरी से नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने भी पीड़ित महिलाओं की मदद के बजाय उल्टा आईआरसीटीसी की मुखबिरी करते हुए शिकायतकर्ताओं की सूची आईआरसीटीसी अधिकारियों को थमा दी। मामला दिल्ली स्थित आईआरसीटीसी के ई-टिकट यूनिट का है। स्टेट एंट्री रोड पर आईआरसीटीसी की ई-टिकट यूनिट आईटी सेंटर का कार्यालय है, जिसमें काफी संख्या में पुरु षों के साथ-साथ महिला कर्मचारी भी हैं। इनमें कार्यरत महिलाओं का आरोप है कि उनके साथ भेदभाव किया जाता है। यहां न तो उनके लिए अलग से रेस्ट रूम है और न अन्य सुविधाएं। महिलाओं के लिए यहां कोई शिकायत विभाग भी नहीं है। उनका आरोप है कि एक महिला अधिकारी ममता शर्मा ने मौखिक आदेश जारी कर सुबह 10 से 12 बजे तक टॉयलेट जाने पर रोक लगा दी है। इस तुगलकी फरमान का जब महिलाओं ने विरोध शुरू किया तो उन्हें किसी न किसी बहाने प्रताड़ित किया जाने लगा। इसके बाद इन महिलाओं ने पिछले साल नौ सितम्बर को दिल्ली महिला आयोग का दरवाजा खटखटाया। महिलाओं का आरोप है कि जब डीसीडब्ल्यू ने उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की तो इन लोगों ने 18 दिसम्बर 2015 को आरटीआई के माध्यम से आयोग से 9/9/15 को भेजे गए उस पत्र के बारे में जानकारी मांगी, जिसके माध्यम से 18 महिलाओं ने आईआरसीटीसी के कृत्यों के खिलाफ शिकायत की थी। इसके बाद डीसीडब्ल्यू ने 22 दिसम्बर 2015 को आईआरसीटीसी के जीएम को पत्र लिखकर इस मामले में प्रगति रिपोर्ट मांगी। महिलाओं का आरोप है कि डीसीडब्ल्यू के इस पत्र के बाद महिला कर्मचारियों को आईआरसीटीसी को मैन पावर मुहैया कराने वाली कंपनी जेएमडी कंसल्टेंट ने पत्र जारी कर कहा है कि एक फरवरी से उनकी सेवाएं समाप्त की जा रही हैं। आईआरसीटीसी यूनिट के महासचिव सुरजीत श्यामल बताते हैं कि महिलाओं को सुबह 10-12 बजे के बीच टॉयलेट यह कहकर नहीं जाने दिया जाता है कि वह तो अभी घर से आई हैं। अगर किसी को टॉयलेट जाना भी होता है तो उसे विस्तार से पुरु ष अधिकारी को बताना पड़ता है कि वह पांच मिनट के लिए टॉयलेट जाना चाहती है या 10 मिनट के लिए। इसके पीछे एक और तर्क दिया जाता है कि यहां वर्क लोड ज्यादा है इसलिए इस दरम्यान अपनी सीट से कोई नहीं हिलेगा। इतना ही नहीं इस दरम्यान एक कर्मचारी को कम से कम 150 कॉल रिसीव करने का टारगेट होता है। श्यामल बताते हैं कि आईआरसीटीसी के इस तुगलकी फरमान और कर्मियों को नौकरी से निकाले जाने को लेकर पिछले दो दिनों तक महिला/पुरु ष कर्मचारी धरना-प्रदर्शन भी कर चुके हैं। इतना ही नहीं महिला कर्मचारियों ने न्याय पाने के लिए प्रधानमंत्री व रेल मंत्री को भी लिखित में शिकायत दी है लेकिन अभी तक पीड़ित महिलाओं को कहीं से कोई न्याय नहीं मिला है। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली महिला आयोग ने भी शिकायत करने वाले कर्मचारियों की सूची आईआरसीटीसी कर्मचारियों को दे दी थी, जिसके बाद इन कर्मचारियों को एक फरवरी से नौकरी से हटाए जाने का नोटिस थमा दिया गया है। इस बारे में आईआरसीटीसी के पीआरओ संदीप दत्ता महिला ने कर्मचारियों द्वारा लगाए जा रहे सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हैं। उनका कहना है कि हम लोग बड़ी कंपनी के माध्यम से ठेके पर रखना चाहते हैं। इसकी जानकारी हमने पहले ही कर्मचारियों को दे दी थी। उन्होंने कहा कि जहां ढेर सारे लोग काम करते हैं वहां धरना-प्रदर्शन भी होते रहते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यहां पर कुछ गलत हो रहा है।

Sunday, January 5, 2014

रैन बसेरों में नहीं मिल रहा चैन


 नई दिल्ली। दिल्ली का पारा सोमवार को दो डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच गया। लगातार सर्द होती रातों ने रैन बसेरों में रहने वालों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बने रैन बसेरों में रात गुजारने वालों को एक कंबल हाड़ कंपाने वाली सर्दी से राहत नहीं दे पा रहा है। इन टेंटो मे रहने वाले बेबस लोग सारी रात जागते हुए गुजार रहे हैं। कुछ रैन बसेरो में तो भीड़ इतनी ज्यादा है कि एक कंबल में दो लोगों को रात गुजारनी पड़ रही है। दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड की ओर से दिल्ली के विभिन्न इलाकों में पौने दो सौ रैन बसेरे (अस्थायी और अस्थायी मिलाकर) हैं। इनकी कुल क्षमता करीब 15 हजार लोगों की है। एनजीओ के माध्यम से चलाये जा रहे इन रैन बसेरों में कंबल और गद्दे की व्यवस्था दिल्ली सरकार की ओर से की जाती है। पिछले एक सप्ताह से भी ज्यादा समय से दिल्ली का पारा लगातार नीचे लुढ़क रहा है। ऐसे में लोगों को एक कंबल से राहत नहीं मिल रही है। रामलीला मैदान के पास बने रैन बसेरों में रहने वालों का सबसे बुरा हाल है। यहां गैर सरकारी संस्था आपार द्वारा टेंट में चलाये जा रहे रैन बसेरे में सर्द हवाएं लोगों को परेशान किए हुए हैं। एक कंबल ठंड से बचाव नहीं कर पा रहा है। यहां रात गुजारने वालों की शिकायत है कि उन्हें कम से कम दो कंबल दिए जाएं। वहीं रैन बसेरे के केयर टेकर का कहना है कि कंबलों की डिमांड की गई है, पर अभी तक नहीं मिले हैं। टेंट को भी ठीक करने के लिए कहा है। इसी तरह आईजीएसएसएस में कंबल की व्यवस्था तो ठीक है पर यहां पीने के पानी की किल्लत है। यहां रात गुजारने वालों का आरोप है कि 15 दिनों में एक बार पानी आता है। इन लोगों के लिए यहां शौचालय तक की व्यवस्था नहीं है। दूर बने शौचालय में जाने के लिए पैसे चुकाने पड़ते हैं। यमुना बाजार के पास उत्थान और सामर्थ संस्था की ओर से चलाये जा रहे रैन बसेरे में भी रहने वाले लोगों की एक ही शिकायत है कि उन्हें एक कंबल से ठंडक से राहत नहीं मिल रही है। उन्हें इतनी सर्दी में दो कंबल दिए जाएं। कुछ ऐसी ही स्थिति दिल्ली के अन्य हिस्सों में अस्थायी तौर पर चल रहे रैन बसेरों की भी है। इतना ही नहीं सर्दी बढ़ने के साथ ही इन रैन बसेरों में भीड़ भी बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति पिछले दो दिनों से इन रैन बसेरों में है। सबसे ज्यादा भीड़ रामलीला मैदान के पास होती है। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन नजदीक होने की वजह से यहां रिक्शा चलाने वाले और मजूदरी करने वालें लोग सर्दी बढ़ने पर रात गुजारने के लिए इन्हीं रैन बसेरों में आते हैं। ऐसे में एक कंबल में दो-दो लोगों को सोना पड़ता है।
यह भी : दिल्ली के रैन बसेरों का सं चालन करीब 80 एनजीओ मिल कर करते हैं। ये सभी मदर एनजीओ फॉर होमलेस दिल्ली के तहत काम करते हैं। डा. आमोद कुमार को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। शहरी विकास मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि हम विशेषज्ञों से राय-मशविरा कर रहे हैं कि किस तरह रैनबसेरों में रहने वाले लोगों को बे हतर सुविधाएं दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार एक लाख की आबादी पर एक रैनबसेरा होना चाहिए, लेकिन इस समय दिल्ली में इतने रैनबसेरे नहीं हैं। हम शहरी विकास मंत्रालय से मांग करेंगे कि वह उचित संख्या में रैनबसेरों की व्यवस्था करे।
कुल रैन बसेरे 15000 क्षमता 01 प्रति व्यक्ति कंबल व गद्दा मिलता है बुखार, सर्द दर्द, मामूली चोट आदि लगने पर दवाई व पीने के पानी की व्यवस्था होती है। 175

Saturday, December 7, 2013

अब भी जारी है तत्काल ई-टिकटों का घपला!



रेलवे की आधिकारिक वेबसाइट का हाल छह को ही फुल हो गई नौ दिसम्बर की तत्काल टिकटें रेलवे अधिकारियों का तीन दिन पहले दिलाया गया था इस ओर ध्यान
नई दिल्ली (एसएनबी)। रेलवे की वेबसाइट पर कई ट्रेनों में अब भी दो से तीन दिन बाद की तत्काल ई टिकटें बुक नजर आ रही हैं। पूर्वोत्तर की ओर से आने वाली कुछ एक ट्रेनों में यात्रा से दो से तीन दिन बाद की तत्काल टिकटें अब भी फुल शो हो रही हैं। डिब्रूगढ़ से दिल्ली के बीच चलने वाली ब्रह्मपुत्र एक्सप्रेस में तो स्लीपर और एसी थ्री की नौ दिसम्बर तक की तत्काल ई टिकटें फुल हो चुकी हैं। सीतामढ़ी से आनंद विहार के बीच चलने वाली लिच्छवी एक्सप्रेस में आठ दिसम्बर तक की तत्काल टिकटें बुक हो चुकी हैं। तत्काल ई- टिकट के घपले को लेकर तीन दिसम्बर को ‘राष्ट्रीय सहारा’ ने ‘घपला : तत्काल टिकटें तीन दिन पहले फुल’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। वेबसाइट के इस घपले की खबर आम होते ही रेलवे अधिकारियों में खलबली मच गई थी और मामला जीएम और सीसीएम तक पहुंच गया था। सूत्रों के अनुसार कुछ एक लोगों को इस पूरे मामले के बारे में पता करने को कहा गया था। यह आशंका थी कि वेबसाइट पर किसी तकनीकी गड़बड़ी की वजह से ऐसा हुआ होगा, जो ठीक हो जाएगा। लेकिन तीन दिन बाद भी रेलवे की वेबसाइट लाल किला, सीमांचल, नार्थ ईस्ट, अवध असम व लिच्छवी एक्सप्रेस में आठ दिसम्बर तक की तत्काल टिकटें फुल दिखा रही है। सूत्रों के अनुसार, अधिकारी भी मान रहे हैं कि ई-तत्काल टिकटों की बुकिंग को लेकर कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ी है, लेकिन कोई भी यह बताने को तैयार नहीं है कि गड़बड़ी कहां से हो रही है। अधिकारी तीन दिन बाद तक की तत्काल टिकटों की बुकिंग होने को गंभीर मान रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, ऐसा तभी हो सकता है, जब कोई वेबसाइट को हैक कर ले। काउंटर से तो दो और तीन दिन बाद की तत्काल टिकटों की बुकिंग करना संभव नहीं है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि रेलवे इस घपले की जांच करवाने में देरी क्यों कर रहा है। हालांकि रेलवे प्रवक्ता का कहना है कि मामले की जांच कराई जा रही है।

घपला : तत्काल टिकटें तीन दिन पहले फुल!


नई दिल्ली। तत्काल टिकट का खेल बदस्तूर जारी है। नियमों के अनुसार तत्काल टिकटों की बुकिंग एक दिन पहले होनी चाहिए, लेकिन आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर पूर्वोत्तर से आने वाली कुछ एक ट्रेनों में चार और पांच दिसम्बर तक तत्काल टिकटों की बुकिंग ‘फुल’ हो चुकी है। लिच्छवी, नार्थ-ईस्ट, सीमांचल, लालकिला आदि ट्रेनों मे चार दिसम्बर तक की तत्काल टिकटें बुक हो चुकी हैं, जबकि डिब्रूगढ़ से दिल्ली आने वाली ब्रrापुत्र एक्सप्रेस (14055) में पांच दिसम्बर तक तत्काल टिकटों की बुकिंग हो चुकी है। आईआरसीटीसी की साइट पर चार और पांच दिसम्बर तक तत्काल की सीटें फुल दिखाए जाने के बारे में जब आईआरसीटीसी के प्रवक्ता प्रदीप कुंडू से बात की गई तो पहले तो यह मानने को ही तैयार नहीं थे कि तीन दिसम्बर के बाद तत्काल की सीटें फुल शो कर रही होगी, लेकिन जब उन ट्रेनों के नाम बताए जिनकी तत्काल सीटें साइट पर फुल शो हो रही थीं तो उन्होंने यह कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया कि रेलवे की ओर से जो हमें डाटा मिलता है वही आईआरसीटीसी की साइट पर दिखाई देता है। उन्होंने कहा कि इसके बारे में ज्यादा जानकारी रेल अधिकारी ही दे सकते हैं। जब हमने उत्तर रेलवे के सीपीआरओ नीरज शर्मा से बात की तो वे भी यह मानने को तैयार नहीं थे कि आईआरसीटीसी की साइट पर तत्काल श्रेणी की सीटें चार और पांच दिसम्बर तक फुल होंगी। उन्होंने मामले की जांच कराने की बात कही। ये माजरा क्या है? सोमवार (2 दिसम्बर) को आईआरसीटीसी के माध्यम से पटना से दिल्ली के लिए ब्रrापुत्र एक्सप्रेस ट्रेन से तत्काल टिकट बुक कराने की कोशिश की गई तो उसमें तीन, चार और पांच दिसम्बर तक स्लीपर क्लास की सभी तत्काल सीटें फुल थीं, जबकि एसी थ्री की चार दिसम्बर तक की सीटें फुल शो हो रही हैं। इसी तरह पटना से होकर आने वाली नार्थ-ईस्ट (12505), सीमांचल एक्सप्रेस (12487), लालकिला (13111) आदि में चार दिसम्बर तक की तत्काल की सीटें फुल शो हो रही हैं। लिच्छवी एक्सप्रेस (14005) और अवध असम एक्सप्रेस में चार दिसम्बर तक साइट पर तत्काल की सीटें फुल शो हो रही हैं।
ब्रrापुत्र एक्सप्रेस में पांच और लालकिला, नार्थ- ईस्ट, सीमांचल, अवध असम व लिच्छवी एक्सप्रेस में चार दिसम्बर तक की तत्काल टिकटें हैं फुल आईआरसीटीसी व उत्तर रेलवे के प्रवक्ताओं ने दिए गोलमोल जवाब नियमत: यात्रा से एक दिन पहले ही हो सकती है तत्काल टिकटों की बुकिंग