Tuesday, July 21, 2009

औरत नदी है...

हर औरत एक नदी होती है
और पुरूष उसका मांझी
जो औरत रूपी नदी में
अनेक बार यात्रा करने पर भी
उसकी वेग, उफान, दिशा और
गहराईयों से अपरचित रहता है।
हर औरत एक नदी होती है
और पुरूष उसका मांझी
जो औरत रूपी नदी की
गतिविधियों से अनजान
मनोदशा से अपरचित
भावनाओं को समझने में असक्षम रहता है।
हर औरत एक नदी होती है
और पुरूष उसका मांझी
जो औरत रूपी नदी में साहिल की तलाश में
अपने जीवन को दाव पर लगा देता है
फिर भी किनारा उसकी नजरों से दूर रहता है।

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