Thursday, December 10, 2009

हिन्दी पुरस्कारों पर दिल्ली सरकार को ऐतराज

दिल्ली सरकार ने इस बार हिन्दी अकादमी की आ॓र से दिये जाने वाले आंशुलेखन, नवोदित लेखन, छात्र प्रतिभा और शिक्षक पुरस्कारों पर रोक लगा दी है। सरकार का कहना है कि हिन्दी के लिए इतने ज्यादा पुरस्कार बांटने की क्या जरूरत है? यह अर्थहीन है? लेकिन वह हर वर्ष दफ्तरों मे हिन्दी पखवाड़े के नाम पर कर्मचारियों के बीच हिन्दी में काम करने के नाम पर उन्हें पुरस्कृत जरूर करना चाहती है। सूत्रों की मानें तो हिन्दी अकादमी की आ॓र से हर वर्ष स्कूली छात्रों को छात्र प्रतिभा लेखन के रूप में दिये जाने वाले पुरस्कारों पर रोक लगा दी गई है। इसके अलावा हिन्दी भाषा में लिखने वाले नये लेखकों को प्रमोट करने के लिए दिया जाने वाला नवोदित लेखक पुरस्कार, गैर स्कूली/कालेजों छात्रों को दिया जाने वाला आंशुलेखन पुरस्कार और हिन्दी के उत्कृष्ट शिक्षकों को दिये जाने वाले शिक्षक पुरस्कारों पर भी रोक लगा दी गई है। सूत्रों की माने तो हिन्दी अकादमी की अध्यक्ष मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने इन पुरस्कारों पर यह कहते हुए रोक लगा दी है कि यह अर्थहीन हैं और इन पर पैसा बर्बाद करना कोई होशियारी नहीं है। इतना ही नहीं उन्होंने अकादमी की आ॓र से दिये जाने वाले कुछ प्रतििष्ठत पुरस्कारों पर भी कैंची चलाने की बात कही है। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने न केवल हिन्दी अकादमी बल्कि दिल्ली सरकार के तहत आने वाले उर्दू, पंजाबी और सिंधी अकादमियों से भी पुरस्कारों की संख्या पर रोक लगाते हुए इनकी संख्या अधिकतम पांच तक किये जाने का फरमान सुनाया है। हिन्दी अकादमी द्वारा प्रति वर्ष छात्र पुरस्कार के तहत लगभग सात हजार छात्रों को सम्मानित किया जाता था जो अकादमी द्वारा राजधानी के 16 केन्द्रों पर राज्य स्तर पर आयोजित प्रतियोगिता में शामिल होने वाले छात्रों के बीच से चुने जाते थे। इस प्रतियोगिता में 10 हजार से अधिक छात्र शामिल होते थे और अकादमी की आ॓र से दिए गए विषय पर निबंध लिखते थे। तीन वर्गाे में आयोजित होने वाले इस प्रतियोगिता में 6 वर्ष से 35 वर्ष के छात्र और गैर स्कूली छात्र शामिल होते थे। इन्हें अकादमी की आ॓र से सम्मान के रूप में तीन सौ रूपये से 31 रूपये तक की नकद राशि और पुस्तकें दी जाती थी। इसी तरह नये युवा लेखकों के मनोबल को बढ़ाने के लिए दिया जाने वाला नवोदित लेखक पुरस्कारों को भी बंद कर दिया गया है। सूत्रों के अनुसार सरकार की मंशा है दो या तीन प्रतििष्ठत लेखकों को ही सम्मानित करने की है। इस बारे में हिन्दी अकादमी के सचिव डॉ. रविन्द्र नाथ श्रीवास्तव ने कहा कि मुझे नही पता कि सरकार ने पुरस्कारों को क्यों कर रोका या बंद किया है। लेकिन इतना जरूर कह सकता हूं कि अभी तक इन सभी पुरस्कारों के वितरण का आदेश उन्हें नहीं मिला है। लेकिन उन्होंने माना कि सरकार ने पुरस्कारों के औचित्य पर न केवल सवाल खड़े किए है बल्कि इनकी संख्या कम किये जाने की बात भी कही है। अकादमी के उपाध्यक्ष व जानेमाने हास्य कवि प्रो. अशोक चक्रधर ने कहा कि मेरे आने के बाद संचालन समिति की मीटिंग नहीं हुई है इसलिए इस बारे में मै कुछ नहीं कह सकता।

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