Monday, December 7, 2009

क्या खादी व उसके उत्पाद केवल रईसों के लिए!

जिस आम आदमी के बल पर बापू ने अंग्रेजों की गुलामी से देश को मुक्त करवाया था, आज उसी आम आदमी की पहुंच से खादी ग्रामोघोग स्टोर में बेची जाने वाली वस्तुएं व कपड़े बहुत दूर हैं। आजादी के छह दशकों के बाद भी आम आदमी खादी के कपड़े खरीदने की बात सपने में ही सोचता है। उसे बापू का खादी एक ब्रांड की तरह लगता है जो मल्टीनेशनल ब्रांडों से कहीं ज्यादा महंगा और स्टेटस वाला है। यहां बेची जाने वाली चीजों की कीमतों के बारे में सुनकर ही लगता है जैसे महंगाई की दस्तक सबसे पहले यहीं (खादी ग्रामोघोग भवन) पर पड़ती है। जिस तरह से महंगाई की मार का असर सबसे ज्यादा आम आदमी पर पड़ा है ठीक उसी तरह गुलामी के दिनों में भी सबसे ज्यादा दबा-कुचला आम आदमी (गरीब) ही था। लेकिन जब बापू ने विदेशी कपड़े के विरोध के लिए खादी पहनने का आह्वान किया तो लगा जैसे आम आदमी के नंगे बदन को खादी के कपड़े ढकेंगे लेकिन हुआ ठीक इसका उल्टा। खादी इतनी महंगी हो गई है कि आज यह आम नहीं खास की पसंद बन गई है। खादी का एक कुर्ता बनवाने में इतना खर्च बैठता है कि उतने में विदेशों ने आने वाला कपड़ा पूरे परिवार के तन को ढक सकते हैं। इसी तरह यहां बिकने वाला आटा अभी से 22 रूपये किलो पहुंच गया है, जबकि मल्टीनेशनल कंपनियों द्वारा भारतीय गेहूं से तैयार आटा 20 रूपये किलो तो कुछेक मॉल में तो यह 20 रूपये से भी कम में बेचा जा रहा है। आटे के साथ-साथ आम आदमी के हाथों से खादी भवन के लिए तैयार किया गया दलिया भी मल्टीनेशनल ब्रांडेड दलिया से दोगुने तक महंगा। यहां दलिया 80 रूपये किलो है। वहीं खाने का जायका बढ़ाने वाला अचार इतना महंगा है कि इतने में लगभग दो किलो मल्टीनेशनल कंपनियों के अचार आ जाए। खादी ब्रांड के तहत बेचे जाने वाले अचार की कीमत 130 रूपये प्रतिकिलो है, जबकि पेड़ों से निकाला गया शुद्ध शहद 230 रूपये किलो है। इसी तरह खुदरा बाजार में 24 रूयपे प्रतिकिलो बिकने वाला पोहा (चिउरा) यहां पहुंचते ही 44 रूपये प्रतिकिलो हो जाता है। जैम भी यहां 66 रूपये (500 ग्राम) का है, जबकि खुदरा और मॉल में यही जाम 50-55 रूपये के बीच मिल रहा है। खादी ब्रांड के तहत बेचा जाने वाला नहाने का साबुन 45 रूपये प्रति पीस बिक रहा है। मसालों की कीमतें भी यहां मल्टीनेशनल कंपनियों द्वारा बेचे जा रहे मसालों की तुलना में बहुत ज्यादा है। खादी भवन का जीरा 50 रूपये में 200 ग्राम है तो मल्टीनेशनल कंपनियां इतने ही वजन के लिए 30 रूपये वसूलती हैं। सौंफ भी यहां 20 रूपये में सौ ग्राम मिलती है, जो बाजार में 15-16 रूपये के बीच है। इसी तरह खादी ब्रांड के तहत बेचे जाने वाले सामानों की कीमतें मल्टीनेशनल कंपनियों के सामानों से किसी भी मामले में बहुत ज्यादा है। ऐसे में आदमी खादी का कपड़ा और यहां बिकने वाली खाने-पीने की चीजों को कैसे खरीदेगा।

No comments:

Post a Comment