आने वाले दिनों में
रेलवे स्टेशनों पर पहुंचने के बाद रेल लाइनों पर फैली मल-मूत्र की गंदगी और
उससे उठने वाली बदबू की वजह से नाक बंद करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। रेलवे
इस समस्या से निजात दिलाने के लिए ट्रेनों में ग्रीन टॉयलेट लगाएगा। पहले
चरण में ढाई हजार ट्रेनों में ग्रीन टॉयलेट लगाए जाएंगे। ग्रीन टॉयलेट लगाए
जाने के बाद रेलवे लाइनों व स्टेशनों पर मल-मूत्र की गंदगी फैलने से तो
निजात मिलेगी ही, साथ ही स्टेशनों पर फैलने वाली गंदगी को साफ करने में
खर्च होने वाले हजारों लीटर पानी की बर्बादी भी रुकेगी। उत्तर रेलवे के
डीआरएम अनी लोहानी ने सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ट्रेनों
मे ग्रीन टॉयलेट की शुरुआत इस महीने से हो गई है और उत्तर रेलवे के एक
ट्रेन के कुछ एक डिब्बों में इसे लगाया गया है। उन्होंने बताया कि अभी पहले
चरण में इस साल कुल 2500 ग्रीन टॉयलेट ट्रेनों मे लगाए जाएंगे। इसके बाद
तीन हजार और ग्रीन टॉयलेट लगाए जाने की योजना है। लोहानी ने बताया कि
ट्रेनों में ग्रीन टॉयलेट लगाए जाने के बाद रेलवे स्टेशनों और रेलवे
ट्रैकों पर फैलने वाली गंदगी से बहुत हद तक निजात मिल जाएगी। दिल्ली मंडल
के सीनियर डीएमई जेकेंिसंह ने कहा कि ग्रीन टॉयलेट को इस तरह से डिजाइन
किया गया है कि महीने में एक बार ही इसकी जांच करने की जरूरत पड़ेगी। हर
टॉयलेट में 150 लीटर लिक्विड वैक्टीरिया डाला गया है, जो मल को अवशोषित कर
लेता है और मूत्र बाहर गिर जाता है। उन्होंने कहा कि एक बार ग्रीन टॉयलेट
के बाक्स में डाला गया वैक्टीरिया दो वर्षो तक काम करता है। उन्होंने बताया
कि एक ग्रीन टॉयलेट के निर्माण पर 90 हजार रुपये का खर्च आता है। इस वर्ष
लगेंगे ढाई हजार ग्रीन टॉयलेट |
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