Wednesday, February 17, 2016

सियासत करने वालों को मिल गई है खुराक

नई दिल्ली। इन दिनों जेएनयू में पाकिस्तान समर्थित नारे लगने की बात को लेकर राजनीति गरमाई हुई है। ऐसे समय में राजधानी में साहित्य अकादमी पुरस्कार ग्रहण करने आए साहित्यकारों से जब इस मुद्दे पर बातचीत की गई तो उन्होंने इस पूरे मामले को देश के लिए अपमानजनक बताते हुए देश को बांटने वालों और देश विरोधी नारे लगाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई किये जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि यह तो सियासत करने वालों के लिए खुराक मिल गया है।अपनी कृति ‘‘आग की हंसी’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार हासिल करने वाले हिन्दी के जानेमाने साहित्यकार रामदरश मिश्र ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जेएनयू में जो कुछ भी हुआ है वह गलत है। इस तरह के कृत्य करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मामले में जो कोई भी गुनहगार है उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर हो रही राजनीति पर भी आश्यर्च व्यक्त करते हुए कहा कि कोई देश को टुकड़े करने की बात करता है, लोग उसके समर्थन में खड़े हो जा रहे हैं। यह कैसी राजनीति है। अपनी उर्दू कृति ‘‘तसब्बुफ और भक्ति’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार पाने वाले उर्दू के जानेमाने लेखक शमीम तारिक ने कहा कि वह क्या कोई भी आदमी देश विरोधी नारे लगाने वाले या फिर देश का विघटन करने वाले के पक्ष में नहीं बोलेगा। उन्होंने कहा कि जब भी समाज में कुछ गलत होता है उसका सबसे पहले विरोध लेखक ही करता है, वह किसी भी भाषा का लेखक क्यों न हो। लेकिन लेखक के कहने का तरीका अलग होता है। डोगरी कविता संग्रह ‘‘परछामें दी लो’ के लिए अकादमी पुरस्कार पाने वाले ध्यान सिंह ने भी इस घटना की र्भत्सना करते हुए कहा कि देश में कई मसले हैं उन पर बात होनी चाहिए। यह तो एक तरह से सियासत करने वालों के लिए खुराक मिल गया है। वह इस पर अपनी रोटिंया सेक रहे हैं जबकि इस समय लोग गरीबी और भूख से जुझ रहे हैं। उनके बारे में लोगों को सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि जेएनयू का मुद्दा तब तक सूर्खियों में रहेगा जब तक कोई नया मुद्दा नहीं मिल जाता। श्री सिंह ने कहा कि देश में इस समय अराजकता का माहौल है, जो ठीक नहीं है।

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