Tuesday, December 15, 2009

पेंटिंग में भी हो रहा है निवेश

पेंटिंग अब सिर्फ दीवारों पर टंगने के लिए नहीं रह गई हैं। अब इनकी पहचान कला के ऐसे हीरे के रूप में हुई है जिसमें अब इंवेस्टमेंट होने लगा है। लोगों के सामने अभी तक इंवेस्टमेंट के लिए जमीन-जायदाद और सोने-चांदी की खरीदारी हुआ करते थे, लेकिन अब उनके सामने पैसा इंवेस्ट करने के लिए नया द्वार पेंटिंग का खुल गया है। इससे जहां एक आ॓र नये कलाकारों को काम मिल रहा है वहीं दूसरी आ॓र उन्हें उनकी कला की कीमत भी मिल रही है। इसे मैं भारतीय कला के लिए अच्छा संकेत मानता हूं। यह बात जानेमाने पेंटर सूर्य प्रकाश ने राष्ट्रीय सहारा के साथ एक विशेष बातचीत में कही। श्री प्रकाश की बनाई पेंटिग की प्रदर्शनी आजकल राजधानी की नव्या गैलरी में चल रही है। प्रदर्शनी में प्रकाश द्वारा पिछले पांच दशकों के दौरान बनाई गई बेहतरीन पेंटिंग में से 20 पेंटिंग को प्रदर्शित किया गया है। सूर्य प्रकाश ने कहा कि आज कला का बाजार बढ़ गया है। अब तक इसके कद्रदानों की संख्या बहुत कम थी जिसकी वजह से कभी किसी जानेमाने कलाकार की कृति ही लाखों में बिकती थी लेकिन आज ऐसा नहीं है। आज स्थिति बदल गयी है। एक नये कलाकार की कृति भी कई लाख में बिकती हैं। जबकि जो स्थापित कलाकार हैं उनकी कलाकृतियों की कीमत करोड़ों में पहुंच गयी हैं। उन्होंने कहा कि अब लोग नये कलाकारों की कृतियों को इस उम्मीद के साथ खरीद रहे हैं कि कल हो सकता है उसका नाम हो जाए और फिर उस समय हजारों की कीमत वाली कृति करोड़ों में बिकेगी। श्री प्रकाश ने इस चलन को अच्छा बताते हुए कहा कि इससे आज के कलाकारों को काम तो मिल रहा है। साथ ही ढेर सारी गैलरियों के खुलने से उन्हें उनके काम की अच्छी कीमत भी मिल रही है। उन्होंने भारतीय कला को खास आदमी की ड्राईंग रूम से आम आदमी के घरों तक पहुंुचने के लिए इंटरनेट और मीडिया की सराहना की जिसने अपने कार्यक्रमों द्वारा इस कला (पेंटिंग) को प्रमोट किया है।

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