आदमी ही है
जिसकी अनंत इच्छाएं
कभी पूरी नहीं होती
एक के बाद एक इच्छाएं
अनंत इच्छाओं में तब्दील होती जाती हैं
और आदमी जुट जाता है
अपनी इच्छाओं को पूरा करने में
फिर वह
आदमी नहीं,
आदमी से शैतान बन जाता है
शैतान का पेट
नहीं भर सकता रोटी-दाल से
इसलिए वह पेट भरने के लिए
खाने लगता है
ईंट-पत्थर और लोहा- सीमेंट
फिर भी नहीं भरता उसका पेट
बढती जाती है उसकी भूख
लूट जाता है उसका चैन व आराम
क्यूँ की वह
आदमी से बन चुका है शैतान।
और शैतान को चाहिए
पेट की आग भुझाने को खून
जो नहीं बिकता बाज़ार - हाट में
बाज़ार में बिकता है इंसानी गोस्त
जिसकी हो सकती है
खरीद फ़रोख्त
इसलिए शैतान
करने लगता है जिस्म की तिजारत
बढती ही जाती है उसकी हसरत
भरने लगती है
तिजोरी
बढ़ने लगता है बैंक बैलेंस
चढ़ने लगता है पैसे का नशा
भूल जाता है वह
रिश्तो को
रिश्तो की परिभाषा
और एक दिन
शैतान उसी शैतानियत के हाथों
बिक
सरे बाज़ार नीलाम हो जाती है
उसकी अपनी ही
Monday, August 30, 2010
Wednesday, August 25, 2010
आनंद विहार के ‘वर्ल्ड क्लास स्टेशन’ बनने में अड़चनें

दस महीने पहले शुरू हो चुके आनं द विहार रेलवे स्टेशन को ‘वर्ल्ड क्लास स्टेशन’ बनाए जाने की कवायद तक शुरू नही हो पाई है। इसकी वजह अभी तक इसके लिए कंसल्टें ट का चयन नही होना बताया जा रहा है। इतना ही नही दूसरे चरण के लिए अभी तक टेंडर भी फाइनल नही हुआ है, जिसकी वजह से इस स्टेशन को वर्ल्ड क्लास स्टेशन का खिताब मिलना दूर की कौड़ी नजर आ रही है। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पहुंचने वाले यात्रियों की भीड़ को कम करने के लिए आनंद विहार रेलवे स्टेशन की शुरुआत की गई थी। पिछले दस महीने से इस स्टेशन से नियमित रूप से आधा दर्जन से अधिक ट्रेनों का परिचालन हो रहा है। इसके अलावा यहां से स्पेशल ट्रेनें भी चलाई जा रही है, लेकिन अभी तक इस स्टेशन पर बुनियादी सुविधाएं तक नही हैं। इसकी वजह से यहां पहुंचने वाले यात्रियों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। यह स्थिति तब है, जब इस स्टेशन को वर्ल्ड क्लास स्टेशन बनाया जाना है। लेकिन समस्या यह है कि वर्ल्ड क्लास स्टेशन कैसा होगा, इसके बारे में बताने के लिए कंसल्टेंट का चयन उत्तर रेलवे ने नही किया है, जिसकी वजह से दूसरे फेज का काम ठप पड़ा है। दूसरे फेज का काम ठप पड़ने की वजह निर्माण कार्य के लिए ठेकेदार नही मिलना बताया जा रहा है।
उत्तर रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी एएस नेगी के अनुसार दूसरे चरण के लिए जून में टेंडर जारी किया गया था, जिसके बाद लगभग 14 एजेसियो ने ठेका हथियाने के लिए टेडर भरा है। अभी इनमें से किसी एक का चयन नही किया गया है, लेकिन बहुत जल्द चयन कर लिया जाएगा। आनं द विहार रेलवे स्टेशन नियमित ट्रेनो का संचालन होता है। इसके अलावा कई स्पेशल ट्रेनो का संचालन भी इन्ही तीन प्लेटफामो से किया जा रहा है। शेष चार प्लेटफामो का निर्माण दूसरे फेज मे किया जाना था। पहले चरण के निर्माण मे रेलवे ने 85 करोड़ रुपए खर्च किए थे, जबकि दूसरे चरण में 145 करोड़ खर्च किया जाना है। सूत्रों के अनुसार अगर दूसरे चरण का काम शुरू भी हो जाता है, तो यह कौन बताएगा कि वर्ल्ड क्लास स्टेशन के लिए यहां कैसी सुविधा होनी चाहिए। इसलिए सबसे पहले तो कंसल्टेंट का चयन किया जाना है।
उत्तर रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी एएस नेगी के अनुसार दूसरे चरण के लिए जून में टेंडर जारी किया गया था, जिसके बाद लगभग 14 एजेसियो ने ठेका हथियाने के लिए टेडर भरा है। अभी इनमें से किसी एक का चयन नही किया गया है, लेकिन बहुत जल्द चयन कर लिया जाएगा। आनं द विहार रेलवे स्टेशन नियमित ट्रेनो का संचालन होता है। इसके अलावा कई स्पेशल ट्रेनो का संचालन भी इन्ही तीन प्लेटफामो से किया जा रहा है। शेष चार प्लेटफामो का निर्माण दूसरे फेज मे किया जाना था। पहले चरण के निर्माण मे रेलवे ने 85 करोड़ रुपए खर्च किए थे, जबकि दूसरे चरण में 145 करोड़ खर्च किया जाना है। सूत्रों के अनुसार अगर दूसरे चरण का काम शुरू भी हो जाता है, तो यह कौन बताएगा कि वर्ल्ड क्लास स्टेशन के लिए यहां कैसी सुविधा होनी चाहिए। इसलिए सबसे पहले तो कंसल्टेंट का चयन किया जाना है।
Wednesday, August 4, 2010
गांधी के शांति संदेशों पर शोध को लगा ग्रहण

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा दिए गए सत्य, अहिंसा और शांति के संदेशों पर शोध कराने की यूनेस्को व एमएचआरडी की मंशा पर ग्रहण लगता दिखायी पड़ रहा है। गांधी जयंती के अवसर पर गांधी दर्शन परिसर में महात्मा गांधी इंस्टीच्यूट फॉर एजुकेशन, पीस एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट (एमजीआईईपीएसडी) की स्थापना के अंतिम चरण में ऐन वक्त पर फंसे इस पेंच के कारण बड़ी धनराशि खर्च कर बनी योजना भी अधर में लटकती दिखाई पड़ रही है। दरअसल गांधी दर्शन ने इस प्रोजेक्ट के लिए अपने परिसर में जगह देने से मना कर दिया है। अब अंतरराष्ट्रीय स्तर के इस संस्थान की स्थापना का मामला अब प्रधानमंत्री कर्यालय के रुख पर ही निर्भर करता है। सूत्रों के अनुसार हाल ही में गांधी दर्शन समिति की हुई बैठक में उपाध्यक्ष व बापू की पौत्री तारा भट्टाचार्य ने एमजीआईईपीएसडी की स्थापना पर कुछ आपत्तियां जतायी थी। गांधी दर्शन में होने वाले किसी भी कार्यक्रम के लिए उपाध्यक्ष की सहमति आवश्यक होने के कारण उक्त संस्थान की स्थापना अब कठिन प्रतीत हो रही है। बताया जाता है कि तीन घंटे तक चली इस बैठक में गांधीवादियों के प्रतिनिधि व जानेमाने गांधीवादी डॉ. एसएन सुब्बाराव समेत इस प्रोजेक्ट से जुड़े लोग शामिल थे। सूत्रों के अनुसार लोगों के बार-बार समझाने के बाद भी वह इस प्रोजेक्ट को अपने यहां शुरू होने देने से मना करतीं रहीं। इस मामले को सुलझाने के लिए आईसीसीआर के चेयरमैन व एमजीआईईपीएसडी के एग्जिक्यूटिव मेम्बर डॉ. कर्ण सिंह कुछ दिन पहले व्यक्तिगत तौर पर तारा भट्टाचार्य से मिले थे, लेकिन वह भी उन्हें मनाने में नकाम रहे थे। सूत्रों के अनुसार तारा भट्टाचार्य को मनाने की कोशिश एचआरडी की सचिव विभा पूरी दास भी कर चुकी हैं। सूत्रों के अनुसार तारा भट्टाचार्य की अनुमति गांधी दर्शन की उपाध्यक्ष होने के नाते जरूरी है। लेकिन इस मामले में अंतिम फैसला प्रधानमंत्री को ही लेना होगा। क्योंकि वह इस संस्थान के अध्यक्ष हैं। अब संस्थान के समर्थक प्रधानमंत्री से गुहार लगाने का मन बना रहे हैं। बैठक में संस्थान की स्थापना पर सहमति न बन पाने की पुष्टि करते हुए जानेमाने गांधीवादी डॉ. एसएन सुब्बाराव ने राष्ट्रीय सहारा से विशेष बातचीत में कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गांधी के विचारों के प्रसार के उदे्श्य से स्थापित होने वाले इस संस्थान के निर्माण पर अड़चन आना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि इस मामले को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा।
Sunday, August 1, 2010
समय के पथ पर
समय के पथ पर/
नीम का पेड़ भी सुख जाता है/
शहर की हर गली बदल जाती है/
समय के पथ पर/
गाँव शहर में तब्दील हो जाता है/
दिन महीने और महीने साल में बदल जाते है/
समय के पथ पर/
चेहरे की पहचान बदल जाती है/
कहने का अंदाज बदल जाता है/
समय के पथ पर/
हम तुम बदल जाते है/
रिश्तों के नाम बदल जाते है/
समय के पथ पर/
जीवन की सच्चाई समझ आ जाती है/
हर बात पुरानी हो जाती है/
समय के पथ पर/
पल भर में सयाने हो जाते है/
रिश्तों की बात समझ में आ जाती है/
समय के पथ पर/
हम तुम बदल जाते हैं/
नीम का पेड़ भी सुख जाता है/
शहर की हर गली बदल जाती है/
समय के पथ पर/
गाँव शहर में तब्दील हो जाता है/
दिन महीने और महीने साल में बदल जाते है/
समय के पथ पर/
चेहरे की पहचान बदल जाती है/
कहने का अंदाज बदल जाता है/
समय के पथ पर/
हम तुम बदल जाते है/
रिश्तों के नाम बदल जाते है/
समय के पथ पर/
जीवन की सच्चाई समझ आ जाती है/
हर बात पुरानी हो जाती है/
समय के पथ पर/
पल भर में सयाने हो जाते है/
रिश्तों की बात समझ में आ जाती है/
समय के पथ पर/
हम तुम बदल जाते हैं/
Subscribe to:
Posts (Atom)