Friday, January 22, 2010

विदेशी अतिथियों के सत्कार से इनकार

कॉमनवेल्थ गेम्स में विदेशी मेहमानों का सत्कार करने में दिल्ली सरकार का सिर शर्म से झुक सकता है। राजधानी के होटलों ने कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान आने वाले विदेशी मेहमानों को आश्रय देने से इनकार कर दिया है। होटलों ने दिल्ली सरकार को दो टूक शब्दों में कह दिया है कि यदि उनकी मांग पूरी नहीं होती तो वे विदेशी मेहमानों के लिए अपने होटलों के दरवाजे बंद कर देंगे। राजधानी स्थित 1400 बजट होटलों के संगठन दिल्ली होटल महासंघ ने सरकार को स्पष्ट शब्दों में कह दिया है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी जाती हैं तो वे अपने 40-45 हजार कमरे किसी भी कीमत पर कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान आ॓पेन नहीं करेंगे। महासंघ के महासचिव अरूण गुप्ता ने कहा कि एक आ॓र सरकार कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान आने वाले विदेशी मेहमानों को ठहराने के लिए पंचसितारा होटलों के रिनोवेशन पर 140 करोड़ रूपए पानी की तरह बहा रही है और हमारे पास 40-45 हजार बजट कमरे हैं तो उसके लिए उसके पास कोई योजना होने की बात तो दूर हमें लाली पॉप थमाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी मांगों में सभी बजट होटलों को पक्के लाइसेंस दिया जाना प्रमुख है। इसके अलावा दलालों पर अंकुश लगाने के लिए बना टाउट टैक्स’ लागू किया जाए, एक टूरिस्ट बोर्ड बनाया जाए जिसमें महासंघ को भी शामिल किया जाए। इसके अलावा कनवर्जन चार्ज और प्रॉपर्टी टैक्स की जगह किसी एक को लिया जाए। साथ ही लम्बे समय से 500 रूपए पर लगने वाले लग्जरी टैक्स की सीमा को बढ़ाकर 15 सौ रूपए की जाए। उन्होंने कहाकि हम खुद नहीं चाहते है कि ऐसे कदम उठाएं लेकिन क्या करें। मजबूरी में हमें ऐसे कठोर निर्णय लेने पड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली आने वाले अधिकतर मेहमानों को बजट होटल में ही आश्रय मिलता है लेकिन सरकार उनकी आ॓र ध्यान ही नहीं देती है। उन्होंने कहाकि पूरी दिल्ली में 14 सौ बजट होटल हैं जिनमें से सिर्फ पहाड़गंज में ही 600-650 बजट होटल हैं जिनके पास 15 हजार से अधिक कमरे हैं। जिनके किराए पांच सितारा होटलों की तुलना में बहुत ही मामूली है।

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