Wednesday, August 4, 2010

गांधी के शांति संदेशों पर शोध को लगा ग्रहण


राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा दिए गए सत्य, अहिंसा और शांति के संदेशों पर शोध कराने की यूनेस्को व एमएचआरडी की मंशा पर ग्रहण लगता दिखायी पड़ रहा है। गांधी जयंती के अवसर पर गांधी दर्शन परिसर में महात्मा गांधी इंस्टीच्यूट फॉर एजुकेशन, पीस एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट (एमजीआईईपीएसडी) की स्थापना के अंतिम चरण में ऐन वक्त पर फंसे इस पेंच के कारण बड़ी धनराशि खर्च कर बनी योजना भी अधर में लटकती दिखाई पड़ रही है। दरअसल गांधी दर्शन ने इस प्रोजेक्ट के लिए अपने परिसर में जगह देने से मना कर दिया है। अब अंतरराष्ट्रीय स्तर के इस संस्थान की स्थापना का मामला अब प्रधानमंत्री कर्यालय के रुख पर ही निर्भर करता है। सूत्रों के अनुसार हाल ही में गांधी दर्शन समिति की हुई बैठक में उपाध्यक्ष व बापू की पौत्री तारा भट्टाचार्य ने एमजीआईईपीएसडी की स्थापना पर कुछ आपत्तियां जतायी थी। गांधी दर्शन में होने वाले किसी भी कार्यक्रम के लिए उपाध्यक्ष की सहमति आवश्यक होने के कारण उक्त संस्थान की स्थापना अब कठिन प्रतीत हो रही है। बताया जाता है कि तीन घंटे तक चली इस बैठक में गांधीवादियों के प्रतिनिधि व जानेमाने गांधीवादी डॉ. एसएन सुब्बाराव समेत इस प्रोजेक्ट से जुड़े लोग शामिल थे। सूत्रों के अनुसार लोगों के बार-बार समझाने के बाद भी वह इस प्रोजेक्ट को अपने यहां शुरू होने देने से मना करतीं रहीं। इस मामले को सुलझाने के लिए आईसीसीआर के चेयरमैन व एमजीआईईपीएसडी के एग्जिक्यूटिव मेम्बर डॉ. कर्ण सिंह कुछ दिन पहले व्यक्तिगत तौर पर तारा भट्टाचार्य से मिले थे, लेकिन वह भी उन्हें मनाने में नकाम रहे थे। सूत्रों के अनुसार तारा भट्टाचार्य को मनाने की कोशिश एचआरडी की सचिव विभा पूरी दास भी कर चुकी हैं। सूत्रों के अनुसार तारा भट्टाचार्य की अनुमति गांधी दर्शन की उपाध्यक्ष होने के नाते जरूरी है। लेकिन इस मामले में अंतिम फैसला प्रधानमंत्री को ही लेना होगा। क्योंकि वह इस संस्थान के अध्यक्ष हैं। अब संस्थान के समर्थक प्रधानमंत्री से गुहार लगाने का मन बना रहे हैं। बैठक में संस्थान की स्थापना पर सहमति न बन पाने की पुष्टि करते हुए जानेमाने गांधीवादी डॉ. एसएन सुब्बाराव ने राष्ट्रीय सहारा से विशेष बातचीत में कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गांधी के विचारों के प्रसार के उदे्श्य से स्थापित होने वाले इस संस्थान के निर्माण पर अड़चन आना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि इस मामले को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा।

1 comment:

  1. गांधी के शांति संदेशों पर शोध को लगा ग्रहण,जो सरकार और उसमे बैठे लोग शांति के लिए रत्ती भर उपाय नहीं कर सकते है उनसे ऐसी ही आशा की जा सकती है ...वैसे अच्छा भी है इनका शोध भी स्वार्थ आधारित ही होगा जिसका कोई मायने नहीं होगा ..?

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