Tuesday, July 20, 2010

वेटिंग की ई-टिकट थमा देते है, कंफर्म नहीं होने पर पैसा भी नहीं वापस करते

रेल यात्रियों को एजेंट ई-टिकट (वेटिंग) की आड़ में चपत लगा रहे हैं। इन एजेंटो का मुख्य जोर प्रतीक्षा की ई-टिकट दिल्ली के बाहर के लोगों के हाथ बेचने की होती है जिससे कि टिकट के कन्फर्म नहीं होने की स्थिति में जरूरतमंद यात्रियों को पैसा वापस न करना पड़े। नई दिल्ली व पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन स्थित रिजेर्वेशन काउंटर पर हर वक्त टिकट बुक कराने वालों की लगने वाली भीड़ ने एजेंटों के लिए कमाई के द्वार खोल दिए हैं। घंटों कतार में खड़े होने से बचने के लिए दूसरे शहरों से आने वाले ये यात्री एजेंटों के पास पहुंचते है और उनके हाथों लूटने को मजबूर हो रहे हैं। यात्रियों को खुलेआम लूटने का यह धंधा नई दिल्ली व पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशनों के पास अवैध रूप से इंटरनेट के माध्यम से ई-टिकट बेचने वाले एजेंट कर रहे हंै।
एजेंटो द्वारा यात्रियों को लूटने का तरीका ऊपरी तौर पर तो पूरी तरह से कानूनी लगता है लेकिन है यह गैर कानूनी। सूत्रों के अनुसार एजेंटों के पास जैसे ही कोई यात्री ई-टिकट के लिए आता है तो वह उनसे उसकी आईडी (पहचान पत्र) मांगते है और उसमें जब यात्री का पता राजधानी से सैकड़ों किलोमीटर दूर का लिखा होता है तो उससे वह दिल्ली आने जाने के बारे में जानकारी लेते है। जब एजेंट इस बारे में पूरी तरह से आश्वस्त हो जाता है कि वेटिंग ई- टिकट लेने वाला यात्री महीने भर में फिर दोबारा नही आने वाला है तो ऐसे यात्रियों को वह वेटिंग का ई-टिकट थमा देते है। जबकि नियमों के अनुसार इंटरनेट के माध्यम से लिया गया वेटिंग के ई-टिकट पर यात्रा नही किया जा सकता है। वहीं दूसरी ओर टिकट के कन्फर्म नही होने की स्थिति में आईआरसीटीसी की ओर से एजेंट के खाते में टिकट का पैसा वापस आ जाता है। जबकि दूसरे शहर में जा चुका यात्री न तो उस पैसे को पाने के लिए एजेंट के पास आता है और न ही उसकी शिकायत ही वह कही कर पाता है। जबकि आईआरसीटीसी का कहना है कि ऐसे एजेंटो की शिकायत के लिए बकायदा एक शिकायत प्रकोष्ठबना हुआ है। जिसमें यात्री शिकायत कर सकते हैं। इसके अलावा वह 139 पर भी फोन कर के अपनी शिकायत दर्ज करा सकते है और उनकी शिकायत पर फौरन कार्रवाई होती है। लेकिन उनके पास इस बात का कोई जवाब नही है कि ऐसे एजेंटों से बचने के लिए आईआरसीटीसी या रेलवे ने कभी कोई जागरूकता अभियान चलाया हो।

3 comments:

  1. कैसे कैसे धंधे खोज लेते है..
    ये ठग भी न
    बहुत इनोवेटिव होते है!

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  2. ये इंडिया है भाई .
    यहाँ सबकुछ संभव है .

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  3. इस लोकोपयोगी रिपोर्टिंग के लिये साधुवाद।

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